नई दिल्ली. मोस्ट वांटेड आतंकवादी अल-कायदा प्रमुख अयमान अल जवाहिरी की मौत से ठीक दो दिन पहले सीएनएन-न्यूज18 ने हक्कानी नेटवर्क के प्रमुख और अफगानिस्तान के आंतरिक मंत्री सिराजुद्दीन हक्कानी से विशेष रूप से बात की है.
अल-जवाहिरी अमेरिका में हुए 11 सितंबर, 2001 के हमलों का मास्टरमाइंड था. अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में अमेरिकी ड्रोन हमले में जवाहिरी मारा गया था. अफगानिस्तान के आंतरिक मंत्री सिराजुद्दीन हक्कानी ने सीएनएन-न्यूज 18 को दिए एक विशेष इंटरव्यू में जोर देकर कहा कि अफगानिस्तान को विकास कार्यों को फिर से शुरू करने के लिए भारत सरकार की मदद की जरूरत है. जो संकटग्रस्त देश के लिए एक बड़ी मदद होगी.
हक्कानी ने न्यूज 18 को एक टेलीविजन इंटरव्यू में बताया कि ‘हमें शांतिपूर्ण माहौल के लिए भारत के सहयोग की आवश्यकता है. हमें लॉजिस्टिक सपोर्ट की जरूरत है. हमें इस क्षेत्र में भारत की मौजूदगी की जरूरत है, ताकि अधूरी परियोजनाओं को पूरा किया जा सके. अपने इंटरव्यू मे हक्कानी ने काबुल में भारतीय दूतावास को फिर से खोलने के भारत के कदम का स्वागत करते हुए कहा कि अफगान सरकार ने सुनिश्चित किया है कि व्यापारिक संस्थानों, राजनयिक और राष्ट्रीय संस्थान सुरक्षित और भयमुक्त होकर काम कर सकते हैं.’
अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल किसी भी देश के खिलाफ नहीं किया जाएगा’
अफगानिस्तान में सक्रिय अल-कायदा और लश्कर-ए-तैयबा पर भारतीय सुरक्षा संस्थानों की चिंताओं पर मंत्री ने कहा कि उनकी सरकार पड़ोसी देशों और दुनिया को आश्वासन देती है कि अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल किसी भी देश के खिलाफ नहीं किया जाएगा. आर्थिक कर्ज में डूबे पड़ोसी देश पाकिस्तान को लेकर हक्कानी ने कहा कि एशियाई देश मौजूदा संकट में पाकिस्तान में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं.
यह पहली बार है, जब किसी भारतीय टीवी चैनल के पत्रकार से बात करने को लेकर अफगानिस्तान के आंतरिक मंत्री ने कहा कि इस इंटरव्यू की शुरुआत में मैं भारत और दुनिया में व्याप्त सभी संदेहों को दूर करना चाहता हूं कि अफगानिस्तान का इस्लामी अमीरात पाकिस्तान के समर्थन से अस्तित्व में आया है.
‘अफगानिस्तान के साथ भारत के संबंध सामाजिक हैं’
इस्लामी अमीरात अफगानिस्तान और भारत के रिश्तों पर बात करते हुए हक्कानी ने कहा कि अफगानिस्तान के साथ भारत के संबंध सामाजिक हैं. हमारे गहरे संबंध हैं, समय के साथ सरकारें बदलती हैं, लेकिन हमें भारत की जरूरत है. क्योंकि इसने अफगानिस्तान में कुछ विकासात्मक परियोजनाएं शुरू की हैं. काबुल में भारतीय दूतावास को फिर से खोलना और इसका सुचारू संचालन समय की मांग थी. यह एक अच्छा कदम है और हम इसकी सराहना करते हैं.
भारतीय सुरक्षा संस्थानों के अफगानिस्तान से संचालित जैश-ए-मोहम्मद (JeM) और लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और उनके द्वारा भारत के लिए उत्पन्न खतरे की चिंताओं के बारे में बात करते हुए कहा कि ‘अफगानिस्तान 40 साल से बाहरी ताकतों से लड़ रहा है और पिछले 20 सालों में हम अपने वैध अधिकारों के लिए दुनिया से लड़ रहे हैं. हमारी धरती विदेशियों के लिए नहीं है, बल्कि यह अफगानिस्तान के लोगों की है और हमने पड़ोसी देशों और दुनिया को आश्वासन दिया है कि अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल किसी देश के खिलाफ नहीं किया जाएगा.’