दिल्ली में यमुना नदी पर साल 1997-98 में पास हुए ब्रिज का काम इस साल पूरा होने की उम्मीद है। सितंबर में इस पुल के शुरू होने की खबरें हैं। बता दें कि 150 साल पुराने लोहे के पुल को बंद कर ट्रेनों की आवाजाही के लिए नया पुल बनाने की जरूरत काफी से से महसूस की जा रही थी।
नए पुल का अभी काम बचा हुआ है
यमुना नदी पर बन रहे नए पुल का काम काम अभी काफी बचा हुआ है। काम की रफ्तार का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 15 फाउंडेशन पिलर्स में से 11 पिलर्स पूरे हो गए है। आखिर के चार पिलर्स में से तीन पिलर का ऊपरी हिस्सा बचा हुआ है। वहीं एक पिलर को फाउंडेशन के ऊपर खड़ा करने का काम चल रहा है। यहां काम करने वाली एजेंसी के पास मुश्किल से पांच महीने का समय ही बचा हुआ है। मानसून के दौरान यमुना का जलस्तर बढ़ जाता है। इसकी वजह से पिलर्स का काम रुक सकता है। अगर पिलर्स तैयार नहीं हो पाए तो इनके ऊपर गार्डर डालने का काम भी रुक जाएगा। फिलहाल नौवें पिलर तक ही लोहे के गार्डर बिछाए गए हैं।
नया पुल बनाने में क्या अड़चन आई
ट्रेनों के लिए नए पुल की दरकार थी। पुराने लोहे के पुल के ठीक बराबर में नया पुल का प्लान भले ही साल 1997-98 में पास हो गया था, लेकिन इसका काम 2003 में शुरू हुआ। दो दशक बीतने के बाद भी पुल तैयार नहीं हो पाया है। नए पुल के सामने सलीमगढ़ सबसे मजबूत दीवार बनकर खड़ा हुआ था। नया पुल बनाने के लिए किले के कुछ हिस्से को तोड़ना पड़ता, लेकिन एएसआई इसके लिए तैयार नहीं हुआ। इस वजह से लंबे समय तक पुल का काम ठप पड़ा रहा। सलीमगढ़ किले को बचाने के लिए नए पुल को हल्का कर्व दिया गया। इसी वजह से इसमें पिलर्स की संख्या भी बढ़ानी पड़ी। आखिर के कुछ पिलर्स बहुत कम दूरी पर बनाए गए हैं। जबकि बाकी सभी पिलर्स 61 मीटर की दूरी पर हैं। पुल को मोड़ने के लिए आखिर में एक बॉक्स भी बनाना पड़ा।
पुल से आगे करीब एक किमी तक बिछेगा ट्रैक
यमुना पार करने के बाद नई रेलवे लाइन भी बिछाई जानी है। रेलवे अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार महावीर स्वामी पार्क के पीछे बने पुल से लेकर सीलमपुर तक करीब एक किमी तक नई पटरी बिछाने के लिए जमीन लगभग तैयार है, लेकिन इस पर अभी पटरी बिछाने का काम शुरू होना है।