नई दिल्ली. महाराष्ट्र में राजनीतिक उठापटक के मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है. चीफ जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही है. वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने मामले में बहस की शुरुआत की है.
ये राजनीतिक संवेदनशील केस: चीफ जस्टिस
शिवसेना के एकनाथ शिंदे के लिए पैरवी कर रहे हरीश साल्वे ने कहा कि अयोग्यता के नियम शिंदे मामले में लागू नही होता क्योंकि अगर किसी पार्टी में दो धड़े होते हैं और जिसके पास ज्यादा संख्या होती है, वो कहता है कि मैं अब लीडर हूं और स्पीकर मानता है तो ये अयोग्यता में कैसे आएगा.
इस पर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने कहा कि हरीश साल्वे हम आपको सुनेंगे. लेकिन हमारे मन में कुछ सवाल हैं? ये राजनीतिक संवेदनशील केस है, सवाल है कि अगर स्प्लिट नही हुआ है तो इसका क्या प्रभाव हुआ है?
इस पर हरीश साल्वे ने कहा कि इसमें अयोग्यता का मामला नहीं है. एक आदमी जो अपने समर्थन में 20 लोग भी नहीं पेश कर सकता, वो कोर्ट से राहत की उम्मीद कर रहा है. साल्वे: ने कहा की हमें जवाब देने का समय दिया जाए. एक हफ्ते में जवाब दाखिल करेंगे. साल्वे ने कहा कि इसमें से कुछ याचिकाएं नई हैं. लिहाजा इसमें नोटिस जारी किया जाए. ताकि हम जवाब दाखिल कर सकें.
केवल कोर्ट संवैधानिकता तय कर सकता है
शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट की तरफ से अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि 10 से अधिक फैसले हैं, जहां इसे एक संवैधानिक पाप कहा है. गुवाहाटी जाने से एक दिन पहले इन लोगो ने उपसभापति को यह कहते हुए एक मेल भेजा कि हमें आप पर भरोसा नहीं है. सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए कहा कि जब बागी विधायकों ने स्पीकर के खिलाफ मोशन के लिए कोई आधिकारिक सूचना नहीं दी तो अयोग्यता का कार्यवाही गलत नहीं थी. लेकिन इसके उलट हुआ और स्पीकर की कार्यवाही पर रोक लगाई गई और इसके बाद फ्लोर टेस्ट हुआ.
सिंघवी ने कहा कि ऐसा क्यों किया गया…ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि ये राबिया फैसले का दुरुपयोग करना चाहते है. सिंघवी ने कहा कि अभी तक शिंदे कैम्प किसी भी पार्टी में शामिल नही हुए है लेकिन फिर भी उन्हें अयोग्य घोषित नही किया है. सिंघवी ने कहा की क्लॉज 4 के तहत संवैधानिक जरूरत है कि उन्हें मर्जर करना होता है.
सिंघवी ने कहा कि इसमें संवैधानिकता केवल कोर्ट तय कर सकता है. हमारी अर्जी पर स्पीकर ने कोई करवाई नहीं की. बल्कि बहुमत परीक्षण के बाद उद्धव ठाकरे कैम्प के विधायकों को नोटिस जारी कर दिया गया. इस मामले को कोर्ट स्पीकर के पास न भेजे. कोर्ट ही इस मामले को तय करे.
इस तरह के परंपरा की शुरुआत किसी भी तरह अच्छी नहीं
सिब्बल ने कहा कि अयोग्यता पर कोर्ट तो रोक लगा सकता है लेकिन 10वीं अनुसूची के तहत जारी करवाई को कैसे लगा सकते हैं? इस मामले में जितने दिनों का वक्त लगेगा वो और भी कठिन हो जाएगा. सिब्बल ने कहा कि जिस कानून का काम दल-बदल को रोकने के लिए बनाया गया था, उसी कानून के सहारे दल-बदल को बढ़ावा दिया जा रहा है.
कपिल सिब्बल ने कहा कि इस तरह के परंपरा की शुरुआत न सिर्फ महाराष्ट्र बल्कि देश में कहीं भी, किसी भी तरह से अच्छी नहीं हैं, सिब्बल ने कहा कि उद्धव ठाकरे के शिवसेना ग्रुप के विधायकों को कोई संरक्षण नही है. सिब्बल ने 10वीं अनुसूची पर बहस की शुरुआत की. सिब्बल ने कहा कि राज्यपाल ने एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई, जबकि वो जानते थे कि उनकी अयोग्यता का मामला अभी स्पीकर के समक्ष लंबित है.