नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि ऐसे जघन्य अपराध जो निजी प्रकृति के नहीं हैं और जिनका समाज पर गंभीर प्रभाव पड़ता है, उन मामलों में अपराधी और शिकायतकर्ता या पीड़ित के बीच समझौते के आधार पर एफआईआर को रद्द नहीं किया जा सकता है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शिकायतकर्ता के साथ समझौते के आधार पर ही गंभीर और जघन्य अपराधों से संबंधित प्राथमिकी या शिकायतों को रद्द करने का आदेश एक ‘खतरनाक मिसाल’ कायम करेगा. जहां आरोपी से पैसे ऐंठने के लिए भी परोक्ष कारणों से शिकायतें दर्ज कराई जाएंगी.
एनडीटीवी डॉटकॉम की एक खबर के मुताबिक जस्टिस इंदिरा बनर्जी और वी. रामसुब्रमण्यन की बेंच ने अपने फैसले में कहा कि ‘इसके अलावा आर्थिक रूप से मजबूत अपराधी हत्या, बलात्कार, दुल्हन को जलाने आदि जैसे गंभीर और गंभीर अपराधों के मामलों में भी सूचना देने वालों / शिकायतकर्ताओं को खरीदकर और उनके साथ समझौता करके बरी हो जाएंगे.’
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ‘जघन्य या गंभीर अपराध, जो प्रकृति में निजी नहीं हैं और समाज पर गंभीर प्रभाव डालते हैं, ऐसे मामलों को अपराधी और शिकायतकर्ता और / या पीड़ित के बीच समझौते के आधार पर रद्द नहीं किया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हत्या, बलात्कार, सेंधमारी, डकैती और यहां तक कि आत्महत्या के लिए उकसाने जैसे अपराध न तो निजी हैं और न ही दीवानी हैं और ऐसे अपराध समाज के खिलाफ हैं. किसी भी परिस्थिति में समझौता होने पर अभियोजन को रद्द नहीं किया जा सकता है, जबकि अपराध गंभीर और जघन्य है और समाज के खिलाफ अपराध के दायरे में आता है.