कोरोना को लेकर प्रदेश सरकार बड़े बड़े दावे कर रही है कि वह बेहद सजग है और लोगों के स्वास्थ्य की उन्हें बेहद चिंता है | लेकिन हकीकत में यह वायदे केवल हवा हवाई साबित हो रहे हैं | सोलन जिला का क्षेत्रीय अस्पताल इन वायदों की पोल खोल रहा है | इस अस्पताल में 7 वेंटिलेटर्स बड़े और 3 वेंटिलेटर्स छोटे कुछ महीने पहले आए थे | ताकि कोरोना के रोगियों को इस का लाभ मिल सके | लेकिन काफी महीने बीतने के बाद भी इन वेंटिलेटर्स को अभी तक इंस्टाल नहीं किया गया हैं |
जिस से पता चलता है कि सरकारी तंत्र कोरोना जैसी महामारी में कितना संवेदनशील है | जहाँ समूचे देश में वेंटिलेटर्स की कमी देखी जा रही है वहीँ दूसरी और सोलन अस्पताल में यह वेंटिलेटर्स धूल फांक रहे हैं | मिली जानकारी के अनुसार इन मशीनों को चलाने के लिए टैक्निकल स्टाफ नहीं है और न ही इस वार्ड में आक्सीजन का उचित प्रबंध है | यही कारण है कि इस सुविधा को महीनों बीत जाने के बाद भी आरम्भ नहीं किया गया है | ऐसे में अगर कोई रोगी यहाँ आता है तो उसे मजबूरन निजी अस्पताल या किसी अन्य अस्पताल भेज दिया जाता है |
जब इस बारे में एम्एस एस एल वर्मा से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि वेंटिलेटर्स के लिए अगल से वार्ड बना दिया गया है | जहाँ इन मशीनों को इंस्टाल कर दिया गया है | लेकिन अभी इन मशीनों के कुछ पार्ट अन्य राज्यों से आने थे लेकिन वह पार्ट कोविड लॉकडाउन की वजह से नहीं आ पा रहे हैं | उन्होंने कहा कि जैसे ही मशीनों के पार्ट्स आ जाएंगे तो जल्द ही वेंटिलेटर को आरम्भ कर दिया जाएगा |जिसका उपयोग गम्भीर रूप से ग्रस्त कोरोना रोगी कर पाएंगे |
सोलन अस्पताल में अन्य वार्डों के बीच कोविड आई सी यु वार्ड बना दिया है | जिसे देख कर ऐसा लगता है उसे बिना सोचे समझे बनाया गया है | क्योंकि अगर इस वार्ड में कोविड रोगियों को रखा जाता है तो क्या अन्य आस पास चल रहे वार्डों को बंद कर दिया जाएगा | उनकी सुरक्षा का क्या होगा | अगर इसी वजह से इसे चलाया नहीं गया है तो मशीनों को यहाँ क्यों स्थापित किया गया | इनको चलाने के लिए तकनीकी स्टाफ कब आएगा इन कमियों को क्यों दूर किया जाएगा | अगर स्वास्थ्य मंत्री के गृह क्षेत्र में यह हाल है तो अन्य जिलों क्या स्थिति होगी इस का अंदाज़ा आप स्वयं लगा सकते हैं |