हरियाणा के पूर्व CM ओम प्रकाश चौटाला की सजा निलंबन वाली याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित

निचली अदालत ने 27 मई को, 1993 से 2006 तक आय के ज्ञात स्रोत से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में चौटाला को दोषी करार दिया था और चार साल कैद की सजा सुनाई थी। साथ ही उन पर 50 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था। निचली अदालत ने संबंधित अधिकारियों को उनकी चार संपत्तियों को जब्त करने का भी निर्देश दिया था।

om prakash chautala, file pic
नई दिल्ली:

दिल्ली हाई कोर्ट ने आय के ज्ञात स्रोत से अधिक संपत्ति के मामले में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला को सुनाई गई चार साल कारावास की सजा निलंबित करने का अनुरोध करने वाली, उनकी याचिका पर सोमवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। चौटाला की पैरवी वरिष्ठ वकील एन हरिहरन ने की। चौटाला ने दलील दी कि उनकी दोषसिद्धि एवं मामले में उन्हें दी गई सजा को चुनौती देने वाली उनकी याचिका पर फैसला लंबित रहने तक उन्हें रिहा किया जाना चाहिए। इसके बाद न्यायमूर्ति योगेश खन्ना ने कहा, हम उपयुक्त आदेश पारित करेंगे।

चौटाला ने अदालत को पहले बताया था कि वह पहले ही मामले के सिलसिले में पांच साल जेल में बिता चुके हैं। उन्होंने कहा, वह वैसे भी जमानत के लिए पात्र हैं क्योंकि वह हिरासत में काफी समय रह चुके हैं और याचिका के निपटारे में काफी समय लगेगा। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की ओर से पेश हुए वकील अनुपम शर्मा ने सजा निलंबित करने संबंधी चौटाला की याचिका का विरोध किया।

उच्च न्यायालय ने पिछले महीने याचिका पर नोटिस जारी किए थे और इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) नेता के जेल के रिकॉर्ड मंगाये थे ताकि याचिका लंबित रहने के दौरान उनकी रिहाई के मुद्दे पर फैसला किया जा सके। CBI ने चौटाला के खिलाफ 2005 में मामला दर्ज किया था। एजेंसी ने 26 मार्च, 2010 में दाखिल आरोप पत्र में आरोप लगाया था कि चौटाला ने 1993 से 2006 के बीच आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति जुटाई।

सीबीआई द्वारा दर्ज प्राथमिकी के मुताबिक, चौटाला ने 24 जुलाई, 1999 से पांच मार्च 2005 तक हरियाणा का मुख्यमंत्री रहते हुए परिवार और अन्य के साथ साठगांठ कर आय के ज्ञात स्रोत से अधिक चल एवं अचल संपत्ति अर्जित की। यह संपत्ति चौटाला और उनके परिवार के सदस्यों के नाम पर अर्जित की गई।