हिमाचल प्रदेश में पहली बार लाहौल घाटी में दुर्लभ बिर्च प्रजाति का लंबी पूंछ वाला (सिसिस्टा कॉनकलर लेथेमी) चूहा मिला है। ग्रांफू और छतरू के बीच यह चूहा देखा गया है। जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की सोलन की टीम को यह सफलता मिली है।
पाकिस्तान के गिलगित, लद्दाख और उत्तरी अमेरिका जैसे क्षेत्रों में ही ऐसे चूहे पाए जाते हैं। हाल ही में सर्वे के लिए लाहौल घाटी गई टीम ने जिस जगह यह चूहा देखा, वह ट्रांस हिमालयी इलाका है। यहां शुष्क, पथरीली और रेतीली जमीन है। यह चूहा रात के समय निकलता है। दिन के समय इसे देखना मुश्किल होता है। लेकिन सर्वे टीम ने दोपहर 1:30 बजे के करीब इसे देखा।
इस दौरान टीम ने चूहे की तस्वीरें भी ली हैं। इसका एक शोध पत्र भी प्रकाशित किया गया है। उल्लेखनीय है कि बिर्च प्रजाति के चूहे अच्छे पर्वतारोही होते हैं। यह अपनी पूंछ को अतिरिक्त सहारे के लिए इस्तेमाल करते हैं। कई वर्षों तक इस चूहे की केवल छह प्रजातियों को ही मान्यता दी गई थी। मगर 1970 के दशक की शुरुआत में रूस और चीन के वैज्ञानिकों ने गहन अध्ययन से इनकी सात और प्रजातियों का पता लगाया। इस प्रजाति के चूहे परिवार से अलग रहना पसंद करते हैं।
जंगली फल, बीज और कीड़े खाता है यह चूहा
बिर्च प्रजाति का चूहा सर्दियों में लंबे समय तक शीत निद्रा में चला जाता है। रात के समय में यह जंगली फल, बीज और कीड़े खाता है। इसकी दो रंग की लंबी पूंछ होती है, जो सिर और शरीर की लंबाई के औसतन 160 फीसदी से अधिक होती है। इसके शरीर पर छोटे बाल होते हैं। यह पीले-भूरे रंग का होता है और 2,140 से 4,000 मीटर की ऊंचाई में घास की ढलानों में पाया जाता है।
टीम ने लाहौल स्पीति जिला का दौरा किया है। इस दौरान वहां बिर्च प्रजाति का चूहा (सिसिस्टा कॉनकलर लेथेमी) देखा गया है। पहली बार हिमाचल में यह चूूहा देखा गया है। इसका एक शोध पत्र भी प्रकाशित किया गया है। यह ठंडे क्षेत्रों में पाया जाता है। – डॉ. अवतार कौर सिद्धू, वैज्ञानिक व प्रभारी जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, सोल