हिमाचल प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद “लोकतंत्र प्रहरी सम्मान” योजना को बंद करने का मुद्दा बुधवार को विधानसभा में गूंजा। विपक्षी दल भाजपा ने इस मुद्दे को उठाते हुए राज्य सरकार से योजना को बहाल करने की मांग उठाई। लेकिन सरकार ने विपक्ष के इस आग्रह को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि पूर्व भाजपा शासन के दौरान योजना के जरिए आरएसएस और भाजपा से जुड़े लोगों को लाभांवित कर सरकारी धन का दुरूपयोग किया गया है।
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने प्रश्नकाल के बाद इस मुद्दे को उठाया। जयराम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश सरकार की ओर से सदन में आज लिखित जवाब आया है कि लोकतंत्र प्रहरी सम्मान योजना को बंद कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि 25 जून 1975 को तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा पूरे देश में आपातकाल लगाकर लोकतंत्र की हत्या कर दी गई थी। उस दौरान मीसा के तहत कई लोगों को जेलों में डाला गया। हिमाचल के भी कई लोग जेलों में रहे।
जयराम ठाकुर ने कहा कि पिछली भाजपा सरकार ने आपातकाल के दौरान जेलों में रहने वाले ऐसे लोगों के परिजनों को मासिक 20 हजार और 12 हजार की सम्मान राशि देने का फैसला लिया था।
उन्होंने कहा कि हिमाचल के करीब 80 लोगों के परिवारों को इस योजना का लाभ मिल रहा था। पूर्व सरकार ने इस योजना के लिए बकायदा विधानसभा में विधेयक पारित कर कानून बनाया था। ऐसे में वर्तमान कांग्रेस सरकार को इस योजना को बंद करने की जरूरत क्यों पड़ी? जयराम ठाकुर ने कहा कि जो लोग आपातकाल के दौरान सलाखों में रहें, उनके प्रति सम्मान होना चाहिए। जयराम ठाकुर ने मुख्यमंत्री से इस योजना को बहाल करने की मांग उठाई।
इस पर संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि विपक्ष के नेता अप्रासंगिक मुद्दा सदन में उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि पूर्व भाजपा सरकार आपातकाल के दौर को हाईलाइट करने के लिए “लोकतंत्र प्रहरी सम्मान” योजना लाई थी। हर्षवर्धन ने कहा कि योजना के जरिए सियासतदानों, आरएसएस से जुड़े लोगों को फायदा दिया गया।
आपातकाल के दौरान कोई आंदोलन नहीं हुआ था। उस वक्त आरएसएस के लोग ही जेलों में गए थे। पूर्व सरकार ने आर्थिक रूप से संपन्न अपने चहेतों को इस योजना के दायरे में लाकर सरकारी धन का दुरुपयोग किया है। वहीं मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इतना कहा कि जब इस योजना से जुड़ा विधेयक सदन में लाया जाएगा, तब वो इस मुद्दे पर अपनी बात रखेंगे।