हिमाचल प्रदेश में बीएड डिग्री धारकों को जेबीटी भर्ती से बाहर करने की मांग को लेकर मंगलवार को मंडी जिला के 4 प्रशिक्षण संस्थानों के प्रशिक्षुओं ने कक्षाओं का बहिष्कार कर विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान प्रशिक्षुओं ने एक विरोध रैली ऐतिहासिक सेरी मंच से जेल रोड़ स्थित प्रारंभिक शिक्षा उप निदेशक के कार्यालय तक निकाली और ज्ञापन के माध्यम से बीएड डिग्री धारकों को जेबीटी भर्ती से बाहर करने की मांग की।
जेबीटी डीएलएड प्रशिक्षित बेरोजगार संघ के जिलाध्यक्ष सबीर खान ने कहा कि जेबीटी भर्ती में बीएड डिग्री धारकों को शामिल किया जा रहा है जो बिल्कुल गलत है। जेबीटी व डीएलएड डिप्लोमा करने वालों के साथ यह सरासर अन्याय है। इसलिए इसका विरोध प्रदेश के सभी डीएलएड शिक्षण प्रशिक्षण संस्थानों के प्रशिक्षु कक्षाओं का निरंतर कई दिन से बहिष्कार कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार में जेबीटी बैच वाइज भर्ती में बीएड उम्मीदवारों को मौका दिया जा रहा है जोकि जेबीटी के हकों की अनदेखी के अलावा कुछ भी नहीं है। प्रशिक्षुओं में इस बात का भी रोष है कि अभी यह मामला माननीय उच्च न्यायालय और माननीय सर्वोच्च न्यायालय में भी विचाराधीन है और जिसका परिणाम कभी भी आ सकता है, फिर भी इस भर्ती में यह जल्दबाजी की जा रही है जो सही नहीं है।
सबीर ने कहा कि पूर्व में भी जेबीटी बैचवाइज भर्ती में कई लोगों ने गलत तरीके से डिप्लोमा लेके यहां नौकरी हासिल की और उन्हें संरक्षण भी मिला। उन लोगों को विभाग में लगे 3 वर्ष भी पूरे हो गए लेकिन आज तक यूनियन के बार-बार बोले जाने पर भी उनके सर्टिफिकेट्स दस्तावेजों की जांच पूरी नहीं हुई।
ज्ञापन के माध्यम से जेबीटी प्रशिक्षुओं ने सरकार से मांग उठाई है कि सर्वोच्च न्यायालय के अंतिम फैसले तक शिक्षा विभाग को जेबीटी बैच वाइज भर्ती में बीएड डिग्री धारकों को शामिल नहीं करना चाहिए। जिन जिलों में यह भर्ती हो चुकी है वहां पर सर्वोच्च न्यायालय के अंतिम निर्णय आने तक किसी भी बीएड की नियुक्ति न की जाए। प्रशिक्षुओं का कहना है कि पुराने आर एंड पी रूल्स के तहत भर्तियां की जाए जिसमें जेबीटी डीएलएड डिप्लोमा धारकों को उनका हक मिल सके।
वहीं विभिन्न संस्थानों में जेबीटी व डीएलएड का कोर्स कर रहे प्रशिक्षुओं ने हिमाचल प्रदेश सरकार से सवाल किया है कि यदि शिक्षा विभाग में उन्हें भर्ती नहीं किया गया तो प्रदेश में जेबीटी व डीएलएड के कोर्स करवाए जा रहे हैं। प्रशिक्षुओं का मानना है कि प्रदेश सरकार की नीति से प्रदेश में हजारों की संख्या में बेरोजगारी बढ़ेगी।
प्रशिक्षुओं का कहना है कि जब तक इन भर्तीयों पर रोक नहीं लग जाती तब तक वह कक्षाओं का बहिष्कार करेंगे। प्रशिक्षुओं का यह भी आरोप है कि कांग्रेस ने सरकार बनने से पहले उनकी समस्या का समाधान करने का वादा किया था जिसे सरकार में मंत्री बने नेता अब भूल चुके हैं।