अंसार अहमद: एक ऑटो ड्राइवर का बेटा, जो ग़रीबी और हालात को मात दे कर सबसे कम उम्र का IAS बना

कुछ समय पहले में राजस्थान में 21 साल के लड़के के जज के बनने की ख़बर आई थी. ऐसी न्यूज़ दिमाग में सवाल पैदा करती है कि इन बच्चों ने किस तरह तरह पढ़ाई की होगी, जो वो ऐसा मुकाम हासिल कर पाए. ऐसी ही कहानी है देश के सबसे कम उम्र के IAS अफ़सर अंसार शेख की.

Youngest IAS

Twitter

21 साल की उम्र में पहले Attempt में क्लियर कर सबको आश्चर्यचकित कर डाला

महाराष्ट्र के अंसार शेख ने 2016 में 21 साल की उम्र में पहले Attempt में ही सिविल सर्विस (IAS) का एग्ज़ाम क्लियर कर सबको आश्चर्यचकित कर डाला था. अंसार मराठवाड़ा के एक ऐसे गांव से हैं, जो हमेशा सूखे का दंश झेलता रहा. परिवार में हमेशा पैसों की कमी रही, लेकिन उन्होंने पढ़ाीई का साथ नहीं छोड़ा.

पिता ऑटो चलाते थे और घर में इतनी ग़रीबी थी कि रिश्तेदारों ने उनके परिवार से उनकी पढ़ाई छुड़वाने की बात भी कही. एक पल के लिए उनके घरवाले तैयार भी हो गए, लेकिन अंसार की टीचर के कहने पर रुक गए. अंसार ने भी सभी की आशाओं को बनाये रखा और 12वीं में 91 परसेंट मार्क्स लेकर पास हुए.

Youngest IAS

Twitter

अंसार के लिए पढ़ाई वो रास्ता थी, जिससे वो सब मुश्किलों को पीछे छोड़ सकते थे

IAS बनने तक का सफ़र बेहद मुश्किलों भरा था. घर में खाने को अनाज नहीं था, पिता ने दूसरी शादी कर ली और बहनों का ब्याह 15 की उम्र में हो चुका था. मार-पीट, लड़ाई-झगड़ा, ये सब अंसार की दिनचर्या का हिस्सा था. ऐसे में कोई पढ़ाई के बारे में सोच भी नहीं सकता, लेकिन अंसार के लिए पढ़ाई वो रास्ता थी, जिससे वो सब मुश्किलों को पीछे छोड़ सकते थे.

स्कूल के बाद अंसार पुणे के Fergusson College पहुंचे और पॉलिटिकल साइंस की पढ़ाई शुरू की. उनके परिवार के लिए बेटे को पढ़ाई करवाना इतना मुश्किल था कि उनसे 2 साल छोटा भाई नौकरी करने लगा था और महीने की अपनी सारी कमाई उन्हें भेजता था.

पढ़ाई में अच्छा होने की वजह से अंसार को 50 परसेंट डिस्काउंट मिला

ग़रीबी के अलावा अंसार के लिए अंग्रेज़ी एक बड़ा चैलेंज था, लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने उसे भी पार कर लिया. कॉलेज के फ़र्स्ट ईयर में टीचर्स ने UPSC के बारे में बताया. पुणे के तुकाराम जाधव की Unique Academy तक अंसार पहुंच तो गए, लेकिन इस कोर्स की फ़ीस थी 70 हज़ार रुपये. इतने पैसे चुकाना अंसार के लिए नामुमकिन था. लेकिन, उसकी निष्ठा और पढ़ाई में अच्छा होने की वजह से उसे 50 परसेंट डिस्काउंट दिया गया. इस क्लास में सारे बच्चे 20-30 साल के थे और अंसार सिर्फ़ 19 के. पढ़ाई से लेकर नोट्स फ़ोटोकॉपी करवाने तक, अंसार ने कम पैसों में गुज़ारा कर पढाई शुरू की क्योंकि उसे पता था कि वो हार नहीं सकता, उसे पढाई की मदद से आगे बढ़ना ही होगा.

ये एग्ज़ाम क्लियर करने के रास्ते में बहुत दिक्कतें थी. लेकिन, वो आगे बढ़ता जा रहा था. कभी वो वड़ा पाव खाता, कभी दोस्तों से किताबें मांगता, लेकिन वो पीछे नहीं हटा. ‘फ़ालतू सवाल’ पूछने के लिए क्लास में उसका मज़ाक बनाया जाता, लेकिन वो जानता था कि वो सीख रहा है.

Prelims पास हो गया, लेकिन…

आख़िरकार अंसार ने प्रीलिम्स पास कर लिया. लेकिन, मेन्स और साक्षात्कार अभी बाकी था. जब वो मेन्स की तैयारी कर रहा था, तब उसकी बहन के पति की बहुत ज़्यादा शराब पीने से मौत हो गयी. इसके बाद परिवार को संभालने की ज़िम्मेदारी उनके कंधों पर आ गयी थी, क्योंकि उनके पिता और भाई दोनों काम कर रहे थे. लेकिन, उनकी बहन ने उनका सपोर्ट करते हुए उन्हें आगे पढ़ाई करने को कहा. बाद में जब परीक्षा का परिणाम आया, तो उन्होंने परीक्षा पास कर ली.

अंसार ने कहा, “मैं एक भारतीय मुस्लिम हूं”

अंसार को इंटरव्यू पैनल ने एक ऐसा सवाल पूछा था, जिसे वो आज भी याद करते हैं. एक रिटायर्ड आईएएस अधिकारी ने उन्हें कट्टरपंथी संगठनों में शामिल मुस्लिम युवाओं के बारे में पूछा. वे अंसार के जवाबों से प्रभावित हुए. इस इंटरव्यू में उनसे पूछा गया था कि वे शिया संप्रदाय से हैं या सुन्नी से.

अंसार ने कहा, “मैं एक भारतीय मुस्लिम हूं.”

इस राउंड में अंसार को 275 में से 199 मार्क्स मिले. किसी के लिए इंटरव्यू में इतने मार्क्स लेकर आना बहुत बड़ी बात है.

अंसार अहमद शेख़ उन लोगों के लिए प्रेरणा हैं, जिनके हालात उन्हें आगे बढ़ने से रोकते हैं. जिनके सपने मुश्किलों के बादलों में फंसते हैं. अंसार की ज़िन्दगी और उनकी मेहनत ये बताने के लिए काफ़ी है कि पढ़ाई को अपना सब कुछ सौंप दो, तो ज़िन्दगी हर मुश्किल से बाहर निकल जाती है.