अनिर्बान-पौलमी: पति-पत्नी जिन्होंने गरीब बच्चों की मदद के लिए अमेरिका से PHD का ऑफर ठुकरा दिया

अनिर्बान नंदी और पौलमी चाकी नंदी अपने कार्यो से समाज को लगातार प्रेरित कर रहे हैं. इस युवा जोड़े के पास अमेरिका जाकर पीएचडी करने का बड़ा मौका था. मगर दोनों ने भारत में रहकर ही आगे बढ़ने का फैसला किया. अनिर्बान और पौलोमी के लिए यह एक कठिन निर्णय नही था. मगर आज जब वो पीछे मुड़कर देखते होंगे तो उन्हें अपने इस फैसले पर गर्व होता होगा.

A Couple In West Bengal Declined PhD Offer From The US To Help Underprivileged Children

कोविड लॉकडाउन से ही ये पति-पत्नी उत्तर बंगाल के दार्जिलिंग जिले में सिलीगुड़ी से सटे चाय बागान इलाकों में मजदूरों के बच्चों की ज़िंदगी संवार रहे हैं. गरीब बच्चों को उनकी उस लाल रंग की कार का बेसब्री से इंतज़ार रहता है, जिसमें वो उनके लिए मुफ्त किताबें लेकर आते हैं. इसके अलावा वो जरूरतमंदद बच्चों को महज दस रुपए में महीने भर ट्यूशन भी पढ़ाते हैं. 

अनिर्बान-पौलोमी ने मिलकर ऐसे बच्चों के लिए मोबाइल लाइब्रेरी शुरू की है जो बेहद गरीब हैं और स्मार्टफोन, लैपटाप और इंटरनेट का खर्च नहीं झेल सकते. अपनी लाइब्रेरी के लिए उन्होंने छह हज़ार से ज़्यादा किताबें जुटाईं. अब यह दंपति बच्चों को तीन महीने के लिए किताबें उधार देता है ताकि बच्चे अपना भविष्य उज्ज्वल कर सकें. उनकी लाइब्रेरी में प्रतियोगी परीक्षाओं से संबंधित किताबें भी हैं.   

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पति-पत्नी बच्चों को फ्री किताबें देने के अलावा और भी बहुत कुछ करते हैं. वे सिलीगुड़ी में बंद चाय बागानों की महिलाओं की मदद कर रहे हैं. वे खेतिहर महिलाओं को आधुनिक खेती के लिए प्रशिक्षित करते हैं. साथ ही महिलाओं को स्वच्छ मासिक धर्म स्वच्छता के बारे में जागरूक करते है. महिलाओं के लिए उन्होंने एक सैनिटरी पैड बैंक की स्थापना की है.

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बता दें, अनिर्बान नंदी आईआईटी, खड़गपुर में सीनियर रिसर्च फेलो हैं. वहीं पौलमी सोशल साइंस और इकॉनामी में रिसर्च एसोसिएट हैं. ये पति-पत्नी जिस तरह से गरीबों की मदद कर रहे हैं वो मिसाल है.