अपने लोगों को यूक्रेन से निकालने के लिए भारत क्या-क्या कर रहा है

भारत ने यूक्रेन में फंसे अपने नागरिकों को पश्चिमी यूक्रेन पहुंचने की कोशिश करने को कहा है. लेकिन साथ ही ये भी साफ़ किया है कि भारतीय लोग सीधे यूक्रेन की सीमा तक न पहुंचें.

सोमवार को प्रेस वार्ता में भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा,”हम भारतीयों को पश्चिमी यूक्रेन जाने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं. हम इस बात पर ज़ोर देना चाहते हैं कि लोग सीधे सीमा पर न पहुंचें. अगर वे ऐसा करते हैं तो उन्हें सीमा पार करने के लिए लंबे इंतज़ार का सामना करना पड़ेगा”.

विदेश मंत्रालय ने कहा है कि भारतीयों को यूक्रेन के पश्चिमी भाग तक पहुंच कर आस-पास के शहरों में शरण लेने की कोशिश करनी चाहिए और विदेश मंत्रालय की टीमों से सलाह मशविरा करने के बाद ही वो सीमा पर जाएं.

यूक्रेन की राजधानी कीएव में सप्ताहांत कर्फ़्यू हटने के बाद यूक्रेन स्थित भारतीय दूतावास ने सभी भारतीय छात्रों को यूक्रेन के पश्चिमी भागों तक पहुँचने के लिए अपने निकटतम रेलवे स्टेशन तक जाने की सलाह दी है. भारतीय दूतावास ने कहा है कि यूक्रेन रेलवे लोगों को निकालने के लिए विशेष ट्रेनें चला रहा है.

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‘1396 भारतीय अब तक लौटे’

भारत सरकार के ‘ऑपरेशन गंगा’ के तहत अभी तक छह विमानों के ज़रिये 1,396 भारतीयों को वापस लाया गया है. इन छह उड़ानों में से चार रोमानिया के बुख़ारेस्त और दो हंगरी के बुडापेस्ट से आई हैं.

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    यूक्रेन संकट: क्या यूक्रेन से अपने नागरिक निकालने में भारत ने कर दी देरी?
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विदेश मंत्रालय के मुताबिक़ अगले 24 घंटों में बुख़ारेस्त से दो और बुडापेस्ट से एक उड़ान भारतीय नागरिकों को लेकर भारत पहुँच जाएगी.

यूक्रेन में भारतीय

यूक्रेन और रूस के बीच संघर्ष शुरू होने के बाद यूक्रेन में हवाई क्षेत्र बंद कर दिया गया था. इस वजह से भारत यूक्रेन के चार पड़ोसी देशों–हंगरी, पोलैंड, रोमानिया और स्लोवाकिया के ज़रिये भूमि मार्ग से अपने फंसे हुए नागरिकों को सुरक्षित बाहर निकालने की कोशिश कर रहा है.

जहाँ हंगरी और रोमानिया के रास्ते फंसे हुए भारतीयों को निकालने में सफलता मिली है, वहीं पोलैंड के रास्ते यूक्रेन से निकलने के प्रयास में सैंकड़ों भारतीयों को काफ़ी दिक़्क़तों का सामना करना पड़ा है.

भारत के विदेश मंत्रालय के मुताबिक़ इसकी वजह ये है कि यूक्रेन और पोलैंड की सीमा पर लाखों यूक्रेनी और अन्य देशों के नागरिकों का जमावड़ा लग गया है, ये सभी यूक्रेन से निकलना चाह रहे हैं.

भारत के विदेश मंत्रालय ने ये माना है कि कई छात्र यूक्रेन के पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी इलाकों में फंसे हुए हैं और ये वो इलाके हैं जहाँ संघर्ष चल रहा है. भारत के विदेश सचिव हर्षवर्धन शृंगला ने रविवार को कहा था कि जैसे ही संभव होगा इन छात्रों को भी उपयुक्त तरीके से निकालने के तौर-तरीके खोजने के प्रयास किए जाएंगे.

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नए रास्तों की तलाश

पोलैंड की सीमा पर आ रही दिक़्क़तों की वजह से भारतीय विदेश मंत्रालय अब भारतीय नागरिकों को अज़्हारोड नाम की जगह पहुँचने की सलाह दे रहा है. विदेश सचिव शृंगला के मुताबिक़ अज़्हारोड से चॉप नाम की एक जगह तक पहुँचने पर हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट के लिए हर दो घंटे पर एक ट्रेन उपलब्ध है जो सात से आठ घंटों की यात्रा के बाद यात्रियों को बुडापेस्ट पहुंचा देगी.

इसी तरह दक्षिण यूक्रेन में फंसे भारतीय नागरिकों को सुरक्षित निकालने के लिए भारत ने मॉल्डोवा के ज़रिये एक नया रास्ता खोलने की कोशिश शुरू कर दी है. विदेश मंत्रालय की एक टीम सोमवार सुबह मॉल्डोवा पहुंची.

इस योजना के तहत भारतीय नागरिकों को यूक्रेन से पहले मॉल्डोवा भेजा जायेगा और वहां से उन्हें रोमानिया भेजा जायेगा. रोमानिया से फ़्लाइट से उन्हें वापस भारत भेज दिया जाएगा.

विदेश मंत्रालय के अनुसार कुछ भारतीय नागरिक पहले ही मॉल्डोवा पहुँच चुके हैं और अब उन्हें रोमानिया भेजने की कोशिश की जा रही है.

  • यूक्रेन-रूसशुरुआती एडवाइज़री के बाद 8,000 भारतीयों ने यूक्रेन छोड़ा’

भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि प्रारंभिक एडवाइज़री जारी होने के बाद और संघर्ष शुरू होने से पहले 8,000 से ज़्यादा भारतीयों ने यूक्रेन छोड़ दिया. अनुमानों के मुताबिक़, अभी भी क़रीब 15,000 से 18,000 भारतीय नागरिक यूक्रेन में हैं और इनमें से ज़्यादातर छात्र हैं.

विदेश मंत्रालय ने ये भी साफ़ किया है कि उड़ानों की कोई कमी नहीं होने दी जाएगी और इस बात को लेकर यूक्रेन में फंसे भारतीयों को चिंता करने की कोई ज़रूरत नहीं है.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि भारतीय नागरिक जब एक बार यूक्रेन की सीमा पार कर लेंगे तो ये सुनिश्चित किया जाएगा कि उन्हें वापस लाने के लिए पर्याप्त उड़ानें हों. उन्होंने कहा कि इस समय मुख्य फ़ोकस ये सुनिश्चत करना है कि यूक्रेन में फंसे भारतीय पड़ोसी देशों में प्रवेश कर सकें.