वॉशिंगटन: एशिया और अमेरिका में अगले कुछ दिनों में माहौल कैसे बदलेगा, ये आने वाला वक्त बताएगा। लेकिन अमेरिकी स्पीकर नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा की वजह से चीन का जो गुस्सा भड़का है, उसके आसानी से शांत होने के आसार नजर नहीं आते हैं। चीन ने ताइवान को घेरने के मकसद से एक मिलिट्री ड्रिल भी शुरू कर दी है। ग्लोबल टाइम्स की मानें तो ये युद्धाभ्यास एक असाधारण युद्धाभ्यास है जिसमें पारंपरिक मिसाइलें पहली बार ताइवान के ऊपर से गुजरेंगी। साथ ही पीएलए की सेनाएं ताइवान की समुद्री सीमा में 12 नॉटिकल मील यानी 22 किलोमीटर अंदर तक दाखिल होंगी। विदेश मामलों के जानकारों की मानें तो चीन के गुस्से से अमेरिका का तो कुछ नहीं बिगड़ेगा लेकिन ताइवान को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है।
नैंसी पेलोसी मंगलवार को जैसे ही ताइवान पहुंची, चीन का पारा सांतवें आसमान पर चढ़ गया। बुधवार को उन्होंने ताइवानी राष्ट्रपति त्साई इंग वेन के साथ संसद को भी संबोधित किया। चीन इस दौरे के खिलाफ कई दिनों से चेतावनी देता आ रहा था। यहां तक कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने जब अपने अमेरिकी समकक्ष जो बाइडेन से फोन पर बात की तो उन्होंने धमकी वाले अंदाज में कहा, ‘चीन की संप्रभुता के साथ खेलना आग से खेलने के बराबर है।’
विशेषज्ञों की मानें तो पेलोसी का चीन जाना अब उसके लिए दुनिया में शर्मिंदगी का विषय बन गया है। कई वॉर्निंग के बाद भी जिस तरह से पेलोसी ने अपना दौरा पूरा किया है वो जिनपिंग को रास नहीं आ रहा हे। युन सन जो वॉशिंगटन स्थित स्टिमसान सेंटर में चाइन प्रोग्राम की डायरेक्टर हैं, उनका मानना है कि ये ताइवान के लिए बुरा समय है। युन सन ने कहा कि चीन का गुस्सा भले ही अमेरिकी स्पीकर की तरफ हो लेकिन इसकी आंच अब ताइवान तक पहुंचेगी। जिस तरह से मिलिट्री एक्सरसाइज को प्लान किया गया है, वो इसी तरफ इशारा करती है
ताइवान पर निकलेगी भड़ास
उन्होंने कहा कि इस एक्सरसाइज के जरिए ताइवान पर अपनी भड़ास निकाली जाएगी। उनके शब्दों में, ‘पेलोसी के दौरे ने असल में चीनी की सेना और ताइवान के भविष्य पर सवाल खड़े कर दिए हैं। ताइवान को इसकी सजा देना ही चीनी सरकार की बड़ी कोशिश है क्योंकि उसे मालूम है वो अमेरिका का बाल भी बांका नहीं कर सकता है।’ इसके अलावा ताइवान को इसके लिए आर्थिक जुर्माना भी चुकाना होगा। चीन के ताइवान मामलों के ऑफिस की तरफ से ऐलान कर दिया गया है कि वो कुछ खास फलों और सी-फूड का आयात ताइवान से रोक रहा है।
चीन के विदेश विभाग की तरफ से भी ऐलान कर दिया गया है कि वो ताइवान को निर्यात किए जाने वाली प्राकृतिक बालू का निर्यात बंद कर रहा है। ताइवान की सेमीकंडक्टर चिप इंडस्ट्री इस पर ही निर्भर है क्योंकि इसे तैयार करने के लिए ये एक महत्वपूर्ण तत्व है। ताइवान ने जापान और फिलीपींस से बातचीत शुरू कर दी है ताकि चीनी सामानों का विकल्प तलाशा जा सके।