बिहार के शेखपुरा जिले से ऐसी तस्वीरें सामने आई हैं, जो स्थानीय प्रशासन की घोर लापरवाही को बयां करती हैं. बच्चों के लिए आंगनवाड़ी केंद्र का निर्माण कराया गया था, लेकिन भवन में यहां बच्चों के बजाय मवेशी बंधे रहते हैं. आंगनवाड़ी केंद्र की दीवारों पर गोयठे पाथे जाते हैं. यह सबकुछ खुलेआम हो रहा है, लेकिन इसको लेकर न तो स्थानीय प्रशासन चिंतित है और न ही यहां के जनप्रतिनिधि को इसकी फिक्र है.शेखपुरा जिले के ग्रामीण क्षेत्र में संचालित आंगनवाड़ी केंद्र की स्थिति बदतर है. आंगनवाड़ी केंद्र में बच्चों के होने के बजाय गाय-भैंसें बंधी रहती हैं. सरकारी धन से बना यह केंद्र तबेले में तब्दील हो चुका है.
सदर थाना क्षेत्र कि करीहियो गांव में आंगनवाड़ी केंद्र के भवन को देखकर इसकी स्थिति के बारे में सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है. यह केंद्र तबेले में तब्दील हो चुका है. आंगनवाड़ी सेविका अपने घर से केंद्र का संचालन कर रही हैं. आंगनवाड़ी केंद्रों के नियमित संचालन को लेकर डीएम भी कारवाई कर रहे हैं. इसके बाद भी सरकारी बिल्डिंग पर अवैध कब्जा हटाया नहीं जा रहा है. इसके कारण शैक्षणिक कार्य प्रभावित हो रहा है.
आंगनवाड़ी केंद्रों की दीवारों पर शिक्षा से संबधित स्लोगन की जगह उपले पाथे हुए हैं. जहां शिशुओं की सुरक्षा और पौष्टिकता की बात होनी चाहिए, वहां खूंटे में बंधी गाय और भैंस पगुरा रही हैं. ग्रामीणों का कहना है कि आंगनवाड़ी बिल्डिंग से अवैध कब्जा हटा कर केंद्र में बच्चों का शैक्षणिक कार्यक्रम चलाया जाना चाहिए, ताकि अधिक से अधिक बच्चे लाभ ले सकें. ग्रामीणों की शिकायत है कि साल 2010 में आंगनवाड़ी भवन का निर्माण अधूरा हुआ, जबकि आवंटित राशि की निकासी भी हो गई.