आखिर मनीष सिसोदिया के पीछे क्यों पड़ी CBI, FIR में क्या हैं आरोप? डिटेल में जानें सबकुछ

केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने दिल्ली आबकारी नीति मामले में एक एफआईआर दर्ज करने के बाद दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी आरव गोपी कृष्ण के परिसरों के अलावा 25 स्थानों पर शुक्रवार को छापा मारा है. अधिकारियों ने बताया कि सीबीआई ने पिछले साल नवंबर में लाई गई दिल्ली आबकारी नीति बनाने और उसके क्रियान्वयन में कथित अनियमितताओं के संबंध में एक एफआईआर दर्ज की है.

उन्होंने बताया कि छापेमारी के दौरान सीबीआई के दल सात राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों में 25 स्थानों पर पहुंचे, जिसमें सिसोदिया और एजीएमयूटी काडर के 2012 बैच के आईएएस अधिकारी एवं पूर्व आबकारी आयुक्त गोपी कृष्ण के परिसर भी शामिल हैं. दो अन्य लोक सेवकों के परिसरों पर भी छापेमारी की जा रही है.

1- मनीष सिसोदिया पर आबकारी पॉलिसी फॉर्मेशन और एक्जीक्यूशन में सरकारी नियमों का उल्लघंन का आरोप.
2- एलजी की इजाजत के बिना शराब उत्पादकों को फायदा पहुंचाने का आरोप.
3- शराब विक्रेताओं के EMD (Earnest Money Deposite) ऐसे ही वापिस कर देने का भी आरोप.
4- L1,L7 लाइसेंस देने की प्रक्रिया में घोटाले का आरोप.
5- केन बीयर देने की पॉलिसी भी ठीक नहीं.
6- 25 से ज्यादा लोकेशन पर सीबीआई की छापेमारी.
7- दिल्ली के अलावा यूपी, महाराष्ट्र तेलंगाना में भी छापेमारी
8- दिल्ली में ही लगभग 200 लोग छापेमारी में शामिल जिसमें 25 अधिकारी.

दिल्ली के उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना ने आबकारी नीति 2021-22 के क्रियान्वयन में कथित अनियमितताओं की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने की सिफारिश की थी. उन्होंने बताया कि दिल्ली के मुख्य सचिव की जुलाई में दी गई रिपोर्ट के आधार पर सीबीआई जांच की सिफारिश की गई थी, जिसमें राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र शासन अधिनियम 1991, कार्यकरण नियम (टीओबीआर)-1993, दिल्ली उत्पाद शुल्क अधिनियम-2009 और दिल्ली उत्पाद शुल्क नियम-2010 का प्रथम दृष्टया उल्लंघन पाए जाने की बात कही गई थी.

अधिकारियों के अनुसार, रिपोर्ट में पाया गया कि निविदा जारी करने के बाद ‘शराब कारोबार संबंधी लाइसेंस हासिल करने वालों को अनुचित लाभ’ पहुंचाने के लिए ‘जानबूझकर और घोर प्रक्रियात्मक चूक’ की गई. उन्होंने बताया कि रिपोर्ट की एक प्रति मुख्यमंत्री को भी भेजी गई है.

इस बीच, सिसोदिया ने सिलसिलेवार ट्वीट में कहा कि वह सीबीआई का स्वागत करते हैं. उन्होंने ट्वीट किया, ‘सीबीआई आई है. उनका स्वागत है. हम कट्टर ईमानदार हैं. लाखों बच्चों का भविष्य बना रहे हैं. बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमारे देश में जो अच्छा काम करता है उसे इसी तरह परेशान किया जाता है. इसीलिए हमारा देश अभी तक नंबर-एक नहीं बन पाया.’

उन्होंने कहा, ‘हम सीबीआई का स्वागत करते हैं. जांच में पूरा सहयोग देंगे ताकि सच जल्द सामने आ सके. अभी तक मेरे खिलाफ कई मामले बनाए गए, लेकिन कुछ नहीं निकला. इसमें भी कुछ नहीं निकलेगा. देश में अच्छी शिक्षा के लिए मेरा काम रोका नहीं जा सकता.’ सिसोदिया ने सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा, ‘ये लोग दिल्ली में शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में शानदार काम से परेशान हैं. इसीलिए दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री और शिक्षा मंत्री को पकड़ा है, ताकि शिक्षा एवं स्वास्थ्य के अच्छे काम रोके जा सकें.’

वहीं, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि सिसोदिया के आवास पर सीबीआई की छापेमारी वैश्विक स्तर पर सराहे जा रहे उनके अच्छे प्रदर्शन का परिणाम है. केजरीवाल ने ट्वीट किया, ‘जिस दिन अमेरिका के सबसे बड़े अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स के मुख्य पृष्ठ पर दिल्ली शिक्षा मॉडल की तारीफ और मनीष सिसोदिया की तस्वीर छपी, उसी दिन उनके घर पर केंद्र ने सीबीआई को भेजा. सीबीआई का स्वागत है. पूरा सहयोग करेंगे. पहले भी कई जांच हुईं और छापे मारे गए. कुछ नहीं निकला. अब भी कुछ नहीं निकलेगा.’

आरोप है कि राजकोष को नुकसान पहुंचाकर निविदाएं जारी की गईं और इसके बाद शराब कारोबार संबंधी लाइसेंस हासिल करने वालों को अनुचित वित्तीय लाभ पहुंचाया गया. सूत्रों ने दावा किया कि आबकारी विभाग ने कोविड​​-19 वैश्विक महामारी के नाम पर लाइसेंसधारियों को निविदा लाइसेंस शुल्क पर 144.36 करोड़ रुपये की छूट दी. उन्होंने बताया कि लाइसेंस के लिए सबसे कम बोली लगाने वाले को 30 करोड़ रुपये की बयाना राशि भी तब वापस कर दी गई, जब वह हवाई अड्डा अधिकारियों से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) प्राप्त करने में विफल रहा था.

एक सूत्र ने कहा, ‘यह दिल्ली आबकारी अधिनियम 2010 के नियम 48(11)(बी) का घोर उल्लंघन था, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया कि बोलीदाता को लाइसेंस प्रदान करने के लिए सभी औपचारिकताओं को पूरा करना होगा, ऐसा न करने पर सरकार उसकी जमा राशि जब्त कर लेगी.’ विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट के आधार पर तैयार की गई आबकारी नीति, 2021-22 को पिछले साल 17 नवंबर से लागू किया गया था और इसके तहत निजी बोलीदाताओं को शहरभर में 32 क्षेत्रों में 849 दुकानों के लिए खुदरा लाइसेंस जारी किए गए थे.