नई दिल्ली. भारत में पेट्रोल-डीजल (Petrol-Diesel) की बढ़ती कीमतों का असर अब वाहनों की बिक्री पर देखने को मिल रहा है. परंपरागत ईंधन का विकल्प इलेक्ट्रिक वाहन के रूप में सामने आने के बाद पिछले कुछ दिनों में देश में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (Electric Vehicles) की मांग में जबर्दस्त बढ़ोत्तरी हुई है. वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही में ईवी की बिक्री के ये आंकड़े सीईईडब्ल्यू-सेंटर फॉर एनर्जी फाइनेंस (सीईईडब्ल्यू-सीईएफ) मार्केट हैंडबुक के जारी नए संस्करण में सामने आए हैं जो चौंकाने वाले हैं.
सीईईडब्ल्यू-सीईएफ की प्रोग्राम एसोसिएट रुचिता शाह ने कहा, इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) की बिक्री के मामले में, मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही में ईवी (EV) की बिक्री, पिछले वित्त वर्ष में कुल बिके ईवी के लगभग आधे हिस्से तक पहुंच गई. दोपहिया और तिपहिया (ई-रिक्शा सहित) वाहनों की कुल बिक्री में, बैटरीचालित दोपहिया वाहनों का हिस्सा 3.7 फीसदी और तिपहिया वाहनों का हिस्सा 54.9 प्रतिशत रहा.
इस तिमाही में ईवी की सुरक्षा के बारे में बढ़ती चिंताओं के बीच, भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) ने उपभोक्ता सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ईवी बैटरी के प्रदर्शन मानकों को जारी किया है. इसके अलावा, नीति आयोग ने अग्रिम लागत घटाने और कम जगह में ईवी चार्जिंग के लिए बैटरी स्वैपिंग पॉलिसी का मसौदा जारी किया. इन उपायों से ग्राहकों को सभी श्रेणी में ज्यादा से ज्यादा इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा.
सीईईडब्ल्यू-सीईएफ मार्केट हैंडबुक यह भी बताती है कि आग लगने की विभिन्न घटनाओं के बावजूद, चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री पिछले वर्ष की इसी तिमाही की तुलना में 636 प्रतिशत बढ़कर 2 लाख यूनिट से थोड़ा ऊपर पहुंच गई. तिमाही-दर-तिमाही आधार पर देखें तो ईवी की बिक्री में 18 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई. इस तिमाही में बिक्री होने वाले कुल नए वाहनों में ईवी की हिस्सेदारी बढ़कर 4.35 प्रतिश हो गई, जो पिछले वित्त वर्ष की इसी तिमाही में एक प्रतिशत से भी कम थी.