लाहौल-स्पीति. राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने आजादी का अमृत महोत्सव के आयोजन के लिए गठित राष्ट्रीय समिति की बैठक में भाग लिया. इस मौके पर राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने प्रदेश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए पहल की है. उन्होंने पौधरोपण अभियान और संस्कृत भाषा को प्रोत्साहित करने के लिए किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि उन्होंने सीमावर्ती किन्नौर और लाहौल-स्पीति जिलों का दौरा कर वहां के लोगों से संवाद किया. इस दौरान उनकी संस्कृति, विकासात्मक योजनाओं और अन्य स्थानीय मुद्दों जैसे सड़कों के निर्माण में वन अधिनियम के कारण आने वाली बाधाओं इत्यादि पर चर्चा की गई.
उन्होंने बताया कि राज्य में 1.71 लाख किसान प्राकृतिक खेती को अपना चुके हैं. अगले 15 वर्षों में हिमाचल प्रदेश को पूर्ण रूप से प्राकृतिक खेती राज्य बनाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि राजभवन में कर्मचारियों को संस्कृत में संवाद का प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए कार्यशालाओं का आयोजन किया गया है. मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने बताया कि प्रदेश सरकार आजादी का अमृत महोत्सव के अन्तर्गत राष्ट्रीयता की मूल भावना के अनुरूप विभिन्न आयोजन कर रही है. उन्होंने कहा कि अभी तक पूरे प्रदेश में 170 विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जा चुके हैं.
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा हर घर तिरंगा अभियान के अन्तर्गत उपायुक्तों के माध्यम से 17.50 लाख झंडे उपलब्ध करवाने का लक्ष्य रखा गया है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा स्वतंत्रता सेनानियों और स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम नायकों के योगदान से संबंधित साहित्य का भी प्रकाशन किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि प्रत्येक जिले में उपायुक्त की अध्यक्षता में जिला स्तरीय डिजिटल ज्ञान कोष स्थापित किया जा रहा है जिसमें वहां के स्वतंत्रता सेनानियों, ऐतिहासिक स्थलों, प्रमुख हस्तियों और कला एवं शिल्प से संबंधित डेटा बैंक तैयार किया