शिमला, 23 अगस्त : वर्तमान परिप्रेक्ष्य में हिमाचल प्रदेश आपदा प्रबंधन एवं राहत नियमावली में संशोधन करने की सख्त जरूरत है। आपदा के दौरान सरकार द्वारा जारी की जाने वाली राशि ऊंट के मुंह में जीरा वाली बात है। यह बात हिमाचल प्रदेश किसान सभा के राज्याध्यक्ष कुलदीप तंवर ने मंगलवार को सतलाई पंचायत के कैल गांव का दौरा करने के दौरान उपस्थित लोगों के साथ चर्चा के दौरान कही।
उन्होंने कहा कि कैल गांव के बीते दिनों भारी वर्षा से रामस्वरूप शर्मा की गौशाला ढह गई थी, जिसमें दो जर्सी गऊओं के दब जाने से मृत्यु हो गई थी। बताया कि प्रशासन द्वारा इस परिवार को राहत के रूप में केवल एक तिरपाल प्रदान की गई है। जबकि दो जर्सी गऊओं की कीमत करीब एक लाख रुपये बनती है। इसी प्रकार बीते रविवार को जनेडघाट के समीप चनैया गांव में देवदार के आठ पेड़ गिरने से कृष्णदत का मकान पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त हो गया है।
प्रभावित व्यक्ति को जुन्गा में किराए के मकान लेकर रहने को मजबूर होना पड़ा। इस प्रभावित परिवार को प्रशासन की ओर से केवल तीन हजार की राशि फौरी राहत के रूप में प्रदान में दी गई जोकि नाकाफी है।
डाॅ. तंवर ने जारी बयान में कहा कि हिमाचल प्रदेश आपदा प्रबंधन एवं राहत नियमावली राज्य में वर्ष 2015 में कार्यान्वित की गई है। जिसमें संशोधन करने की बहुत आवश्यकता है। बताया जा रहा है कि बीते दिनो विधायक राकेश सिंघा द्वारा भी इस बारे विधानसभा में मामला उठाया गया था। जिस पर सीएम का सकारात्मक रूख रहा था ।
गौर रहे कि इस नियमावली में संशोधन भारत सरकार स्तर पर होना है जिसके लिए राज्य सरकार को मामला प्रभावी ढंग से उठाना चाहिए। इनका कहना है कि हर वर्ष बरसात, आगजनी इत्यादि जैसे हादसों से लोगों का लाखों रुपये का नुकसान होता है जबकि राहत केवल कुछ रुपये में मिलती है।