आवश्यक सूचना! कोरोना वैक्सीन लगवाने वालों को 5,000 रुपये नहीं दे रहा जन कल्याण विभाग

नई दिल्ली. इन दिनों वॉट्सऐप और सोशल मीडिया ऐप्स पर एक मैसेज वायरल है. इस मैसेज में दावा किया जा रहा है कि जिन लोगों ने दोनों वैक्सीन लगवा ली हैं, उन्हें “प्रधानमंत्री जन कल्याण विभाग” द्वारा 5 हजार रुपये दिए जा रहे हैं. परंतु सच तो ये है कि इस तरह की कोई स्कीम किसी विभाग या सरकार ने नहीं चलाई है.

फर्जी वेबसाइट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर लगाई गई है.

यह मैसेज उन ठगों द्वारा वायरल किया जा रहा है, जो नजर आपकी आपकी जेब पर है. ये कोई पहली बार नहीं है, ये फ्रॉड करने वाले लोग पहले भी इसी तरह के कई मैसेज वायरल करते रहे हैं और लोगों को ठगते रहे हैं. इस वायरल मैसेज में लिखा है, “एक आवश्यक सूचना – जिन्होंने वैक्सीन लगा लिया, उन्हें 5000 रु प्रधानमंत्री जन कल्याण विभाग द्वारा दिया जा रहा है, आपने भी कोरोना का वैक्सीन लगा लिया है तो अभी फॉर्म भरें और 5000 रू प्राप्त करें. इस लिंक से फॉर्म भरें https://pm-yojna.in/5000rs . कृपया ध्यान दें – 5000 रु की राशि सिर्फ 30 अगस्त 2022 तक ही मिलेगा !”

क्या गड़बड़ियां है संदेश में?
ऊपर दिया गया मैसेज हमने यहां ज्यों का त्यों छापा है. कोई भी हिन्दी जानने वाला शख्स पहली नज़र में ही भाषायी गलतियों को पकड़ सकता है. और इन ठगों द्वारा बनाया जाने वाला हर मैसेज इसी तरह गलतियों से भरा होता है, हमेशा.

दूसरी बात ये कि जो लिंक दिया गया है वह सरकारी नहीं है. किसी भी सरकारी वेबसाइट के लिंक में Gov का जिक्र जरूर होता है. उदाहरण के लिए, https://pmjdy.gov.in/. यह लिंक प्रधानमंत्री जनधन योजना की वेबसाइट का है. हालांकि ठगों ने बहुत ही शातिरता का परिचय देते हुए इस लिंक में PM और Yojna जैसे शब्दों को रखा है, ताकि आम लोग आसानी से झांसे में आ जाएं.

बेशक इन ठगों ने काफी चतुराई दिखाई हो, लेकिन एक सच यह भी है कि प्रधानमंत्री जन कल्याण विभाग का कोई विभाग है ही नहीं.

बेवसाइट पर प्रधानमंत्री का फोटो
जैसे ही आप इस लिंक पर क्लिक करेंगे, इस वेबसाइट पर आपसे आपका नाम, कौन-सी वैक्सीन ली, परिवार के कुल सदस्य और मोबाइल नंबर की जानकारी मांगी जाती है. दरअसल, इन्हें आपका फोन नंबर चाहिए होता है, जिस पर ये लोग बाद में फोन करके लालच देते हैं और 5000 रुपये दिलवाने की ऐवज में कुछ रुपये ऐंठ लेते हैं. ये रुपये कुछ जरूरी फीस या डॉक्यूमेंटेशन के लिए मांगे जाते हैं.

आप देखेंगे कि इस बेवसाइट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीरों का इस्तेमाल किया गया है. यह इसलिए, ताकि लोग आसानी से इस पर भरोसा कर लें. एक मेक इन इंडिया (Make In India) का लोगो और एक दूसरा लोगो बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का है.

पहले 30 जुलाई रखी थी अंतिम तिथि


बता दें कि इससे पहले जो मैसेज वायरल हुआ था, उसमें 30 जुलाई अंतिम तिथि बताई गई थी, लेकिन इस बार इसे 30 अगस्त कर दिया गया है. बिलकुल इसी मैसेज में पहले 30 जुलाई लिखा गया था. इस पर सरकारी प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो की फैक्ट चेकर टीम ने ट्वीट किया था कि ये दावा बिलकुल गलत है. इस तरह की कोई स्कीम सरकार की तरफ से नहीं चलाई गई है.