Army Shelter on LAC: ईस्टर्न लद्दाख में भारतीय सेना तेजी से शेल्टर बना रही है। अभी यहां 35 ज्यादा सैनिकों के रहने के लिए परमानेंट शेल्टर बन गए हैं। वहीं दो साल पहले सिर्फ 10 हजार सैनिकों के लिए ही परमानेंट व्यवस्था थी।
बने 250 नए कंपनी मॉड्यूल
भारतीय सेना के सूत्रों के मुताबिक 2019 में ईस्टर्न लद्दाख में सैनिकों के लिए करीब 91 कंपनी मॉड्यूल थे। परमानेंट शेल्टर को कंपनी मॉड्यूल कहा जाता है, जिसमें एक साथ करीब 100-130 सैनिक रह सकते हैं। एलएसी पर साल 2020 में जब तनाव शुरू हुआ तो नए कंपनी मॉड्यूल तेजी से बनाए गए। करीब 230 नए कंपनी मॉड्यूल तब से लेकर अब तक बन गए हैं और करीब 25 पर काम पूरा होने वाला है।
ये कंपनी मॉड्यूल सेना की पोस्ट से अलग होते हैं और पोस्ट में भी कुछ सैनिकों के रहने का इंतजाम होता है। इनके अलावा जरूरत के मुताबिक कई सेमी-परमानेंट स्ट्रक्चर भी बनाए गए हैं। तनाव बढ़ने के साथ ही सेना ने टैंक, आर्टिलरी गन और दूसरे सैन्य उपकरणों की तैनाती भी बढ़ाई और तब से अब तक 180 नए स्ट्रक्चर और बने हैं। जिनका टैंक, गन आदि के लिए गैराज के तौर पर, वर्कशॉप, जनरेटर रूम के तौर पर इस्तेमाल हो रहा है।
1.5 लाख सैनिकों के लिए 220 दिन का इंतजाम
लेह-लद्दाख में तैनात सैनिकों के लिए विंटर स्टॉकिंग का काम भी तेजी से चल रहा है। यह काम मार्च से शुरू होता है और इसे सितंबर तक पूरा करना होता है। जाड़ों में यहां भारी बर्फबारी की वजह से आवाजाही नहीं हो पाती और ये इलाके पूरी तरह कट जाते हैं। 2019 में जितनी विंटर स्टॉकिंग की गई, इस बार उससे करीब 25-30 पर्सेंट ज्यादा स्टॉकिंग हो रही है क्योंकि सैनिकों की तैनाती बढ़ी है।
सेना की 14 वीं कोर लेह -लद्दाख इलाके का जिम्मा देखती है और सूत्रों के मुताबिक 14वीं कोर में इस बार 1.5 लाख सैनिकों के लिए करीब 220 दिन के लिए सभी जरूरी चीजें स्टॉक की जा रही है। करीब 45 पर्सेंट स्टॉकिंग पूरी हो गई है और तेजी से बाकी स्टॉकिंग की जा रही है। हेलिकॉप्टर के जरिए, खच्चरों के जरिए फॉरवर्ड पोस्ट तक सैनिकों के लिए पूरी विंटर्स के लिए सभी जरूरी सामान पहुंचाया जाता है।