उम्रकैद की सजा काट रहे पूर्व माओवादी ने पकड़ी किताबों की संगत, जेल में मास्‍टर्स की तीसरी डिग्री

चेरलापल्ली जेल से मास्‍टर की डिग्री लेने वालों में गणेश अकेले छात्र नहीं थे। समारोह में उनके साथ शामिल हुए 38 वर्षीय आमेर मोहम्मद जमाल भी थे जो उम्र कैद की सजा काट रहे हैं। जमाल ने कहा क‍ि यह मेरे परिवार के लिए गर्व का दिन है। मेरे पिता जिंदा होते तो बहुत खुश होते।

telangana news Ex-Maoist PVB ganesh
पूर्व माओवादी ने जेल में रहकर पूरी की मास्‍टर्स की पढ़ाई।
हैदराबाद: पीबीवी गणेश। उम्र यही 54 साल के आसपास। शनिवार को हैदराबाद के डॉ बीआर अंबेडकर मुक्त विश्वविद्यालय के 24वें दीक्षांत समारोह में जब उन्‍होंने अपनी तीसरी मास्टर डिग्री ली तो, उनके अतीत के पन्‍ने एक बार फिर खुलने लगे। एक समय था जब उनके हाथों में कलम नहीं, हथ‍ियार थे। वे गुरिल्‍ला युद्ध में शामिल थे और ओंगोल में एक सांसद की हत्‍या के आरोप में उन्‍हें पकड़े गये और आजीवन उम्रकैद की सजा सुनाई गई। माओवाद से यहां तक का उनका सफर दूसरे कैदियों के लिए नजीर बन गया है।

सपना- डॉक्टरेट की पढ़ाई
दीक्षांत समारोह में अपनी पत्नी के साथ शामिल हुए गणेश ने कहा, ‘मैं बस अपने परिवार के साथ रहना चाहता हूं। अगर मैं इस साल मुक्त हो जाता हूं, तो मैं राजनीति विज्ञान या मनोविज्ञान में डॉक्टरेट की पढ़ाई करूंगा।’ गणेश ने जब सांसद की हत्‍या की थी तब वे महज 27 साल के थे और भौतिकी में स्नातक थे।

चेरलापल्ली जेल से मास्‍टर की डिग्री लेने वालों में गणेश अकेले छात्र नहीं थे। समारोह में उनके साथ शामिल हुए 38 वर्षीय आमेर मोहम्मद जमाल भी थे जो उम्र कैद की सजा काट रहे हैं। जमाल ने कहा क‍ि यह मेरे परिवार के लिए गर्व का दिन है। मेरे पिता जिंदा होते तो बहुत खुश होते।
उन्होंने कहा, ‘में पढ़े लिखे घर से हूं। मेरे पिता उस्मानिया विश्वविद्यालय में अरबी के प्रोफेसर थे। मैंने मुफखम जाह कॉलेज से बीटेक पूरा किया और तकनीकी फर्मों में काम किया। मेरा सपना है क‍ि मैं पीएचडी की पढ़ाई पूरी करूं।’

गणेश और जमाल अपनी डिग्री के साथ पढ़ाई में और आगे बढ़ना चाहते हैं। इनके जैसे ही 29 वर्षीय डी संतोष कुमार भी हैं। वे डिग्री मिलने के बाद उम्‍मीद कर रहे हैं क‍ि कैद से छूटने के बाद उन्‍हें नौकरी मिलेगी। वे 18 साल की उम्र से ही हत्‍या के आरोप में जेल में हैं।

इस बारे में प्रोफेसर बीना चिंतालपुरी ने बताया क‍ि यह पहली बार है जब हमने तेलंगाना में जेल के कैदियों को एमएससी (मनोविज्ञान) की पेशकश की है। 2018 में जेलों के महानिदेशक वी के सिंह ने पूरी तरह से संचालन मनोविज्ञान प्रयोगशाला की स्थापना की जहां जेल में प्रयोग और शोध किए गए। तब से 26 छात्रों ने स्नातक किया है और एक नया बैच शुरू हो गया है।