भोपाल. मध्य प्रदेश के गंजबासौदा कस्बे के छोटे से गांव से एक युवा साल 2018 में एक्टिंग के क्षेत्र में नाम कमाने का ख्वाब लिए भोपाल आया, लेकिन उसकी किस्मत को कुछ और ही मंजूर था. भोपाल आते ही प्रद्युम्न सिंह चढ़ार एवीएन नामक खतरनाक बीमारी से ग्रसित हो गया.
इस बीमारी के चलते प्रदुम्न के जोड़ों में असहनीय दर्द होता था. यहां तक कि कूल्हे के जोड़ के रिप्लेसमेंट तक की नौबत आ गई, लेकिन अब यही बीमारी प्रद्युम्न की पहचान बन गई है. जिंदगी में इम्तेहान तो बहुत होते हैं, लेकिन जीने का जज्बा होना चाहिए. प्रद्युम्न सिंह चढार जिस बीमारी से ग्रसित हुआ उसमें चलना फिरना तो दूर की बात खड़े रहना भी मुश्किल था. इलाज के लिए प्रद्युम्न को कई महीनों तक अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा.
इस बीच शारीरिक कमजोरी के चलते उसका एक्टर बनने का ख्वाब तो टूट गया, लेकिन प्रद्युम्न ने अपनी हिम्मत नहीं हारी और एवीएन यानि की अवस्कुलर नैक्रोसिस नामक इस बीमारी से लड़ने का निश्चय कर लिया.प्रद्युम्न सिंह चढ़ार बताते हैं कि मैंने ठान लिया कि जिस बीमारी के चलते मेरा सपना टूटा है इसी बीमारी को अपनी पहचान बनाऊंगा. फिर भोपाल के पिपलानी चौराहे पर एवीएन चायवाला नाम से अपना टी स्टॉल शुरू किया. पूरी शिद्दत के साथ प्रद्युम्न अपने काम में जुट गए और आज क्षेत्र में अपनी एक अलग पहचान बनाने में कामयाब हुए हैं. अब प्रद्युम्न सिंह चढार को लोग उनके नाम से कम और एवीएन चायवाला नाम से अधिक जानते हैं.
प्रदुम्न ने पेश की मिसाल
हमारे बीच कई लोग ऐसे हैं जो छोटी-छोटी मुसीबतों आने पर टूट जाते हैं, लेकिन प्रदुम्न ऐसे लोगों के लिए एक मिसाल बन कर उभरे जो किसी न किसी बीमारी से ग्रसित हैं. एवीएन चायवाला टी स्टॉल पर शाम को अक्सर लोगों की भीड़ लगती है जो लोग यहां चाय पीने आते हैं. उनका कहना है कि एवीएन चायवाला उन्हें काफी इंस्पायर करता हैं. हर हाल में जीने का जज्बा सिखाता हैं. चाय का स्वाद भी लाजवाब है.
बीमारी से लड़ते हुए कोरोना काल में भी प्रदुम्न को कई मुसीबतों का सामना करना पड़ा, लेकिन वह कहते हैं कि सम्मान से जीना है तो मेहनत तो करनी ही होगी. अब अपनी रोज़ी रोटी कमाने के साथ उनकी ज़िंदगी का बड़ा मकसद अलग-अलग बीमारियों के कारण अवसाद से ग्रसित युवाओं की मदद करना और उनमें शान से जीने का जज़्बा पैदा करना है.