एक पेड़ में 200 ‘मिनी एनाकोंडा’ का बसेरा देख हिल जाएंगे, गांव वाले इन सांपों को मानते हैं धन का देवता

Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले के भड़ेसर गांव में अजरग सांपों का बसेरा है। ग्रामीणों ने बताया कि यहां एक पीपल का पेड़ है। इस पीपल के पेड़ को अजगर सापों ने अपना अशियाना बना लिया है। ये सांप किसी खी कांटते नहीं हैं। ग्रामीण इनकी पूजा करते हैं।

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इस पेड़ में 200 से ज्यादा अजगर होने का दावा किया गया है
रायपुर: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से करीब 150 किलोमीटर दूर जांजगीर चांपा जिले में एक अजीब मामला आया है। यहां भड़ेसर गांव में एक पीपल पेड़ के नीचे करीब 200 से ज्यादा की संख्या में अजगर सांपों ने अपना आशियाना बना लिया है। ग्रामीणों के अनुसार यह पीपल का पेड़ 200 साल पुराना है। पीपल पेड़ अंदर से पूरी तरह से खोखला हो गया है। स्थानीय लोगों ने बताया कि अंदर में 200 से 300 की तादाद में अजगर के छोटे बच्चे यहां पर निवास करते हैं। स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि इस पीपल के पेड़ की चौड़ाई 5 मीटर से भी अधिक दूरी पर फैला हुआ है।

यह पीपल का पेड़ आत्माराम पांडे के घर हैं। उनके अनुसार की पीपल के पेड़ में 200 से 300 से अधिक अजगर रहते हैं। उन्होंने बताया कि इस पड़े की उम्र 200 साल से भी ज्यादा है। इसकी सही उम्र की जानकारी किसी के पास नहीं है। बारिश के मौसम में पानी पेड़ के खोखले भाग में भर जाता है। जिस कारण से सांप बाहर आ जाते हैं।

किसी को नहीं पहुंचाया नुकसान
उन्होंने बताया कि अजगर सांपों को देखने के लिए यहां भीड़ उमड़ पड़ती हैं। ग्रामीणों का कहना हैं कि खतरनाक जीव होने के बावजूद भी अजगरों ने कभी किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया है। आश्चर्य करने वाली बात यह सामने आई है कि उस पीपल के पेड़ पर बैठने वाले पक्षियों और गिलहरी को कभी अपना शिकार नहीं बनाया है। पक्षी शांति से पेड़ की टहनियों पर रहते हैं। हर सीजन में ये सांप दिखाई देते हैं।

अजगर ने पीपल के पेड़ मे कैसे बनया था अपना ठिकाना
आत्माराम पांडे ने बताया कि यह पीपल के पेड़ के पास पहले खेत हुआ करते थे। जब खेतों में धान बड़ी होती थी तभी यहां अगजर दिखाई देते थे। उन्होंने बताया कि मेरे दादाजी ने इन अजगरों को इस पीपल के पेड़ में पनाह दी थी। कई वर्षों से पेड़ पर रहने वाले अजगरों के साथ ही नए अजगरों का तालमेल हो जाता है। अजगरों का कलर रंगीन होता हैं, दूर से देखने में पेड़ों की डालियों के रंग में मिले हुए दिखई पड़ते हैं, जिससे उनको पहचान पाना मुश्किल हो जाता है। उन्होंने यह भी बताया कि अगर उन्हें कहीं भी अजगर के बारे में जानकारी मिलती है तो वो उसे पकड़कर इस पेड़ में लाकर छोड़ देते हैं।

मानते हैं शुभ संकेत
छत्तीसगढ़ की पुरानी मान्यता के अनुसार अजगर का घर में होना शुभ संकेत होता है। घर के आसपास रहने से जीवन में धन और यश की प्राप्ति होती है। भड़ेसर गांव में रहने लोग अजगर को धनगर के रूप में मानते हैं। जिसका यह मतलब है कि यह जीव धनलाभ देने वाला है। इसी कारण ग्रामीण अजगरों को पूजनीय मानते हैं। पुरानी मान्यता के अनुसार अजगर का घर में होना शुभ संकेत होता है। उसके रहने से जीवन में धन और यश की प्राप्ति होती है। यही कारण है कि भड़ेसर के हर सदस्य विशेष त्यौहार के मौके पर अजगरों से आर्शीवाद लेने पेड़ करीब जाते हैं। उनकी पूजा अर्चना करते है दीपक भी जलाया करते हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार अजगर का रहना किसी चमत्कार से कम नहीं है।