ऐक्शन में सीएम योगी, पीडब्ल्यूडी मंत्री जितिन प्रसाद के ओएसडी के बाद अन्य अधिकारियों पर गिरी गाज, सस्पेंड

पीडब्ल्यूडी में हुए तबादलों में अनियमितता को लेकर सीएम योगी की तरफ से जांच कराई गई थी, जिसकी रिपोर्ट आने के बाद पीडब्ल्यूडी मंत्री जितिन प्रसाद के ओएसडी अनिल कुमार पांडेय पर कार्रवाई करते हुए उन्हें हटा दिया गया था। इसके साथ ही भारत सरकार से प्रतिनियुक्ति पर आए अनिल कुमार पांडेय के खिलाफ विजिलेंस जांच और विभागीय कार्रवाई की संस्तुति भी की गई।

 
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हाइलाइट्स

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक के लेटर बम के बाद से राज्य में हड़कंप मचा हुआ है। स्वास्थ्य विभाग में हुए तबादलों का मामला अभी ठंडा भी नहीं पड़ा था कि लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) में तबादलों में हुई धांधली की खबर से योगी सरकार सवालों के कटघरे में आ गई है। सीएम योगी आदित्यनाथ भी ऐक्शन में आ गए हैं। सरकार ने ताबड़तोड़ कार्रवाई करते हुए प्रमुख अभियंता (विकास) एवं विभागाध्यक्ष मनोज कुमार गुप्ता को सस्पेंड कर दिया है। साथ ही पीडब्ल्यूडी विभाग के प्रमुख अभियंता राकेश कुमार सक्सेना और वरिष्ठ स्टाफ ऑफिसर (ई-2) शैलेन्द्र कुमार पर भी कार्रवाई करते हुए उन्हें निलंबित कर दिया गया है। साथ ही प्रकरण में अन्य अन्तर्ग्रस्त कार्मिकों पंकज दीक्षित प्रशासनिक अधिकारी, व्यवस्थापन घ वर्ग एवं संजय कुमार चौरसिया, प्रधान सहायक, व्यवस्थापन घ वर्ग के विरुद्ध भी अनुशासनिक कार्रवाई की संस्तुति करते हुए निलंबित किया गया।
दरअसल, पीडब्ल्यूडी में हुए तबादलों में अनियमितता को लेकर सीएम योगी की तरफ से जांच कराई गई थी, जिसकी रिपोर्ट आने के बाद पीडब्ल्यूडी मंत्री जितिन प्रसाद के ओएसडी अनिल कुमार पांडेय पर कार्रवाई करते हुए उन्हें हटा दिया गया था। इसके साथ ही भारत सरकार से प्रतिनियुक्ति पर आए अनिल कुमार पांडेय के खिलाफ विजिलेंस जांच और विभागीय कार्रवाई की संस्तुति भी की गई।

डॉक्टर्स के तबादले के बाद पीडब्ल्यूडी में इंजीनियरों के ट्रांसफर में अनियमितता का मामला सामने आया था। बीते दिनों इसे लेकर जमकर बवाल मचा था। विभाग में ऐसे-ऐसे लोगों का तबादला भी कर दिया गया था, जो अब जिंदा भी नहीं थे। तीन साल पहले मर चुके जूनियर इंजिनियर घनश्याम दास का तबादला झांसी कर दिया गया था। इसी तरह से एक शख्स राजकुमार का तबादला इटावा से ललितपुर जिले में कर दिया गया था। बाद में पता चला कि राजकुमार नाम का कोई शख्स विभाग में नहीं है। ऐसे ही कई कर्मचारियों का तबादला तब बहुत दूर कर दिया गया, जब वे एक-दो साल के अंदर ही रिटायर होने वाले थे। पीडब्ल्यूडी में 350 से अधिक अभियंताओं का ट्रांसफर हुआ था।