सोलन में माता शूलिनी की शोभा यात्रा धूम धाम से निकाली गई | हालांकि इस यात्रा का स्वरूप बेहद सूक्ष्म था झांकियां नहीं थी लेकिन उसके बावजूद भी सारा सोलन खुश नज़र आ रहा था और उनके दिलों में बेहद सकून था कि माता शूलिनी अपने मंदिर से निकल कर अपनी बहन से मिलने उनके मंदिर पहुंच चुकी है | यह परंपरा कई दशकों से चली आ रही है जिसमे जून के अंतिम सप्ताह में शूलिनी माता अपनी बहन से मिलने के लिए सोलन शहर की परिक्रमा कर अपनी बहन से मिलती है | कोरोना के चलते शहर में कर्फ्यू लगा कर जिला प्रशासन ने इस शोभा यात्रा का आयोजन किया जिसमे सभी लोग अपने घरों में रहे और किसी भी तरह की अनुशासन हीनता यहाँ देखी नहीं गई | शहर वासियों ने अपनी भावनाओं पर संयम रखा और लाईव ही माता के दर्शन किए |यहाँ तक की वह अपने घरों से बाहर तक नहीं नहीं निकले जिन्होंने यह साबित कर दिया कि वह जिला प्रशासन का हर हालत में सहयोग करना चाहते है |
अधिक जानकारी देते हुए माता के साथ चल रहे कल्याणों ने कहा कि 20 गाँवों में माता के कल्याने है लेकिन सभी गाँवों से केवल एक एक व्यक्ति ही माता की शोभा यात्रा में शामिल हुआ है ताकि किसी भी तरह से नियमों की अवहेलना न हो उन्होंने कहा कि वह माता शूलिनी से आग्रह करते है कि वह कोरोना महामारी को जल्द ठीक कर दें और अगले वर्ष बहुत ही धूम धाम और बड़े स्तर पर पर माता शूलिनी का मेला हो सके |
वही एस पी सोलन अभिषेक यादव और उपायुक्त सोलन के सी चमन ने कहा कि धार्मिक परमरा कायम रहे और साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग के नियमो की अवहेलना भी न हो इसको लेकर रणनीति बनाई गई थी जिसके तहत शहर में कर्फ्यू लगाया गया और भारी पुलिस बल भी शहर में तैनात किया गया | लेकिन शहर वासियों और व्यापारियों ने जिला प्रशासन का भरपूर साथ दिया और शोभा यात्रा बेहद ही शांतप्रिय ढंग से निकाली गई उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि जिस संयम का परिचय उनहोंने शोभा यात्रा के दौरान दिया वहीँ संयम दो दिनों तक और बना कर रखें और मंदिर आने का प्रयास न करें क्योंकि किसी को भी मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं है | उन्होंने कामना की शूलिनी माता का आशीर्वाद शहर वासियों पर यूँ ही बना रहे |