डॉ यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के अंतर्गत आने वाले दो कृषि विज्ञान केन्द्रों ने विवि का नाम रोशन किया है। कंडाघाट में स्थित कृषि विज्ञान केंद्र सोलन को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) द्वारा प्रदेश भर के 13 केवीके में पहला स्थान दिया गया है। इसके अलावा विश्वविद्यालय के केवीके लाहौल स्पीति II, जो की ताबो में स्थित है को भी प्रस्तुति में दूसरे पुरस्कार से नवाजा गया है। यह पुरस्कार आईसीएआर के अंतर्गत आने वाले कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान(अटारी), क्षेत्र-1, लुधियाना द्वारा हाल ही में हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर तथा उत्तराखंड के कृषि विज्ञान केन्द्रों की ऑनलाईन वार्षिक कार्यशाला के दौरान घोषित किए गए। कार्यशाला का उद्देश्य क्षेत्र-1 के अंतर्गत आने वाले सभी 69 कृषि विज्ञान केन्द्रों के वार्षिक कार्य की समीक्षा तथा आगामी वर्ष के कार्य की रूपरेखा को स्वीकृति प्रदान करना था।
माननीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राज्य श्री कैलाश चौधरी ने मुख्य अतिथि तथा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के महानिदेशक डॉ. त्रिलोचन महापात्र ने कार्यक्रम
में विशिस्ट अतिथि के तौर पर शिरकत की। इस दो दिवसीय कार्यशाला में कोविड-19 महामारी के दौर में कृषि विज्ञान केन्द्रों की विभिन्न गतिविधियों के क्रियान्वयन
हेतु केन्द्रों को सुदृड़ बनाने के विषय में विशेष परिचर्चा की गई जिसमें 8 विश्वविद्यालयों के कुलपतियों ने अपने विचार रखे। सभी केन्द्रो ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत
की जिसके आधार पर केवीके सोलन को हिमाचल में प्रथम पुरस्कार दिया गया।
इस मौके पर कृषि विज्ञान केन्द्र, सोलन के प्रभारी डॉ. डी.पी. शर्मा ने सभी वैज्ञानिकों व कर्मचारियों की सराहना की तथा विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. परविंदर कौशल, निदेशक अटारी
तथा विवि के विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. पी. के. महाजन का उनके मार्गदर्शन के लिए आभार व्यक्त किया जिनके नेतृत्व में कृषि विज्ञान केन्द्र को यह सम्मान प्राप्त हुआ। डॉ शर्मा ने
बताया की केंद्र द्वारा पिछले कुछ वर्षों में बेहतरीन कार्य किया गया है। पिछले वर्ष केंद्र ने जल शक्ति अभियान के अंतर्गत जिले में तीन राज्य स्थरीय किसान मेलों का सफल आयोजन
किया। इसके अलावा सेब की नवीन किस्मों का उच्च घनत्व बग़ीचा, केंद्र में स्थापित किया गया है जिससे प्रदेश के निचले क्षेत्र के किसानों के बीच फसल विविधिकरण को बढ़ावा देने में
मदद मिल रही है। इसके अलावा कोविड-19 महामारी के दौरान केंद्र के वैज्ञानिकों ने किसानों से लगातार संपर्क बना कर रखा और वैज्ञानिक परामर्श दिया। केंद्र के सहयोग से क्षेत्र में कई
प्रगतिशील किसान युवाओं के लिए प्रेरणा बने है। सोलन के दो युवा किसानों ने भारतीय किसान विज्ञान काँग्रेस में भी हिमाचल का प्रतिनिधित्व किया और प्रस्तुति दी। बेहतर वित्तीय
प्रबंधन, शूलीनी कृषि पत्रिका और विभिन्न प्रजातियों के पौधे भी केवीके किसानों को उपलब्ध करवाता है। वहीं केवीके ताबो ने कम लगात में मटर और सेब की पर्यावरण अनुकूल तकनीकें,
उच्च घनत्व बगीचों की स्थापना, स्थानीय उत्पादों का प्रसंस्करण और सामुदायिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देने की ओर प्रयास किया है। स्पीति घाटी में केसर की खेती की संभावनाओं को
तलाशने का भी केवीके की योजना है। विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ परविंदर कौशल, निदेशक विस्तार शिक्षा डॉ पीके महाजन और अन्य अधिकारियों ने दोनों केवीके की टीम को बधाई
दी। उन्होनें कहा कि यह बहुत गौरव की बात है की लगातार दूसरे वर्ष विश्वविद्यालय द्वारा संचालित केवीके को प्रदेश में अव्वल स्थान मिला है। उन्होनें कहा की इस पुरस्कार से आने
वाले समय में सभी केन्द्रों को और बेहतर प्रयास करने की प्रेरणा मिलेगी।