सोलन जिले के कुनिहार खण्ड में मक्की की फसल को नुकसान पहुंचाने वाले बहुभक्षी कीट स्पोड़ोप्टेरा फ्यूजीपरड़ा (फॉल आर्मीवर्म) का प्रकोप पहली बार देखा गया है जिस कारण मक्की की फसल को नुकसान हो रहा है। कुनिहार खण्ड में कार्यरत विषय वस्तु विशेषज्ञ (कृषि) मनोज शर्मा, द्वारा इस संदर्भ में कृषि विज्ञान केन्द्र, सोलन को सूचित किया गया कि इस खण्ड में लगभग 50 हेक्टेयर मक्की की फसल पर इस कीट का प्रकोप हो रहा है और निदान हेतु वैज्ञानिक परामर्श देने के लिए केवीके का सहयोग मांगा। इस पर तुरन्त प्रभाव से कार्य करते हुए कृषि विज्ञान केन्द्र, सोलन के प्रभारी एवं प्रधान वैज्ञानिक, डॉ डी.पी. शर्मा ने एक टीम का गठन किया तथा नैदानिक भ्रमण करने हेतु निर्देश दिए। इस टीम में डॉ आरती शुक्ला, डॉ बंटी शायला तथा डॉ अनुराग शर्मा ने डुमैहर, नगर, करली, सरली गाँव का भ्रमण किया।
किसानों ने बताया कि उनके द्वारा इस कीट का प्रकोप पहली बार देखा गया है और इस पर किए जाने वाले कीटनाश का प्रभाव भी कम हो रहा है। कीट वैज्ञानिक अनुराग शर्मा द्वारा किसानों को इस कीट के जीवन चक्र और इसके रोकथाम हेतु सुझाव दिए गए। उन्होंने किसानों को तुरन्त प्रभाव से इस कीट की सुण्डियों को मारने हेतु फलूबैन्डज्ञमाइड़ 480 SC@ 3 मि.ली. प्रति 10 लीटर पानी या क्लोरपाईरिफॉस 20 EC@ 20 मि.ली. प्रति 10 लीटर पानी या एमामैक्टिन बैंजोस्ट 5 SG@ 4 ग्राम प्रति 10 लीटर पानी या स्पाइनोसेड़ 45 SC@3 मि.ली. प्रति 10 लीटर पानी का घोल छिड़काव करने की सलाह दी। उन्होंने किसानों से एकीकृत कीट प्रबंधन अपनाने हेतु अपील की जिससे भविष्य में इस कीट के प्रकोप का कम किया जा सके। उन्होंने किसानों को शुरूआत में अण्डों को और सुण्डियों को नष्ट करने हेतु रात्री में प्रकाश प्रपंच (सांय 6 से 10 बजे तक), पिरोमोन ट्रैप तथा फसल खत्म होन पर गहरी जूताई करने की सलाह दी। इसी भ्रमण के दौरान किसानों को डॉ आरती शुक्ला (पादप रोग विशेषज्ञ) ने टमाटर की फसलों में लगने वाले रोगों जैसे ब्लाईट, पत्तों में लगने वाले धब्बों तथा खीरे के डाउनी माइलडयू के निदान हेतु सुझाव दिया। डॉ बंटी शायला द्वारा युवा किसानों को फलों की नर्सरी लगाने हेतु प्रेरित किया तथा कृषि विज्ञान केन्द्र सोलन की आर्या स्कीम से जुड़ने हेतु प्रोत्साहित किया।