नई दिल्ली. इस कैशलैस और डिजिटल जमाने में अगर अब भी आप कैश में पेमेंट करने में विश्वास रखते हैं या आपकी आदत है तो आपको ये आदत भारी पड़ सकती है. आपको बता दें कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने अस्पताल, बैंक्वेट हॉल और बिजनेसेज में कैश पेमेंट पर नजर रखने का फैसला किया है.
इसका मकसद टैक्स चोरी (Tax Evasion) पर लगाम लगाना है. दरअसल, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट कैश के इस्तेमाल पर रोक लगाना चाहता है. डिपार्टमेंट चाहता है कि लोग पेमेंट के लिए ज्यादा से ज्यादा बैंकिंग और डिजिटल माध्यम का इस्तेमाल करें.
20,000 रुपए से ज्यादा लोन या डिपॉजिट कानून का उल्लघंन
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के अनुसार, कैश में 20,000 रुपये से ज्यादा लोन या डिपॉजिट लेना कानून का उल्लंघन है. उनके मुताबिक, ऐसे सभी ट्रांजेक्शन बैंकिंग के नियमों के अनुसार होने चाहिए. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट कैश देने वाले से ज्यादा कैश पेमेंट लेने वाले हॉस्पिटल्स के खिलाफ कार्रवाई करने का प्लान बना रहा है.
मंगाए जा रहे पेशेंट के डेटा
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट उन लोगों का पता लगाने की भी कोशिश कर रहा है, जिन्होंने हॉस्पिटल या इलाज से जुड़ी दूसरी सेवाएं के बड़े अमाउंट के पेमेंट कैश में किया है. इसके लिए हॉस्पिटल और ऐसी दूसरी संस्थाओं से मरीजों के डेटा मंगाए जा रहे हैं. कैश पेमेंट को लेकर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के नियम पहले से स्पष्ट हैं. किसी व्यक्ति को दूसरे व्यक्ति से 2 लाख रुपये या इससे ज्यादा कैश लेने की इजाजत नहीं है. किसी संस्था या राजनीतिक पार्टी को कैश में दान देने पर टैक्स डिडक्शन का फायदा नहीं मिलता है.
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट कुछ खास बिजनेसेज और प्रोफेशन पर भी नजर रख रहा है. इनकम टैक्स के नियम के मुताबिक, हॉस्पिटल्स या इलाज से जुड़ी दूसरी तरह की सेवाएं देने वाली संस्थाओं को पेशेंट के भर्ती होने के समय उसके पैन की जानकारी लेना जरूरी है.
बैंक्वेट हॉल के भी खिलाफ होगी सख़्त कार्रवाई
बैंक्वेट हॉल के मामलों में भी पाया गया है कि वे ट्रांजेक्शन का रिकॉर्ड नहीं रखते हैं. ऐसे कुछ बैंक्वेट हॉल के खिलाफ एक्शन लिए गए हैं. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के अधिकारियों का कहना है कि कुछ प्रोफेशनल्स के खिलाफ भी जांच चल रही है. अगर उनके खिलाफ ठोस सबूत मिलते हैं तो कार्रवाई की जाएगी.
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के अधिकारियों का कहना है कि छोटे शहरों में टैक्स चोरी करने वाले यह मानते हैं कि वे इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के रडार पर नहीं आएंगे और उनकी नज़र से बच जायेंगे. इसकी वजह यह है कि ऐसे शहरों में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के ज्यादा अधिकारी नहीं होते. डिपार्टमेंट इस नजरिए से भी कैश ट्रांजेक्शन की जांच कर रहा है.