नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को गुजरात के गांधीनगर स्थित गिफ्ट सिटी में देश के पहले अंतरराष्ट्रीय बुलियन एक्सचेंज का उद्घाटन किया. इस मौके पर प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत भी अब सिंगापुर, ब्रिटेन, अमेरिका जैसे देशों की कतार में शामिल हो गया है.
ऐसे में ज्यादातर लोगों के मन यह सवाल उठा होगा कि आखिर यह भारतीय अंतरराष्ट्रीय बुलियन एक्सचेंज (IIBX) क्या है और यह कैसे काम करता है. क्या इस एक्सचेंज पर भी शेयर बाजार की तरह सोने की खरीद-फरोख्त होगी और इसके जरिये क्या ग्लोबल मार्केट में भी निवेश किया जा सकेगा. ऐसे ही सभी सवालों के जवाब आपको इस खबर के जरिये मिल जाएंगे.
अब तक 64 ज्वैलर्स IIBX से जुडे़
द बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन के चेयरमैन योगेश सिंघल ने बताया कि देश को मिले नए एक्सचेंज का सबसे ज्यादा फायदा सोने के आयात को मिलेगा. IIBX यानी इंडिया इंटरनेशनल बुलियन एक्सचेंज के जरिये अब देश में सोने का आयात हो सकेगा, जिससे यह प्रक्रिया और आसान हो जाएगी. अभी तक करीब 64 ज्वैलर्स रजिस्टर्ड IIBX से जुड़ चुके हैं. इस एक्सचेंज पर 125 टन गोल्ड का वॉल्ट तैयार किया जाएगा, जबकि चांदी के वॉल्ट की क्षमता 1,000 टन होगी. इस एक्सचेंज के जरिये बुलियन ट्रेडिंग में पारदर्शिता आएगी.
क्या होंगे ट्रेडिंग के नियम
इस एक्सचेंज के जरिये सिर्फ क्वालीफाइड ज्वैलर्स ही सोने या चांदी का आयात कर सकेंगे. ज्वैलर्स को क्वालीफाइड बनने के लिए IFSC में ब्रांच होना जरूरी होगा. आयात के लिए कम से कम 25 करोड़ की नेटवर्थ होना जरूरी है. पिछले तीन साल के टर्नओवर में 90 फीसदी हिस्सेदारी बुलियन क्षेत्र की होनी चाहिए. इस एक्सचेंज पर ट्रेडिंग का समय सुबह 9 बजे से दोपहर 3.30 बजे तक होगा.
ये सुविधाएं भी मिलेंगी
माना जा रहा है कि निकट भविष्य में इस एक्सचेंज पर ट्रेडिंग की सुविधा 22 घंटे तक दी जाएगी. इसके अलावा क्वालीफाइड ज्वैलर्स को 11 दिन एडवांस में भुगतान की सुविधा मिलेगी. सभी कॉन्ट्रैक्टर और सेटलमेंट डॉलर में ही किए जाएंगे. इस एक्सचेंज पर 100% एकमुश्त मार्जिन के साथ T+O में सेटलमेंट होगा. आगे इसे T+2 में भी सेटलमेंट की मंजूरी दी जा सकती है. इसका मतलब है कि कारोबारी जिस दिन सेटलमेंट के लिए आवेदन करेंगे उसके दो दिन के भीतर पैसे जारी कर दिए जाएंगे.
कितने वॉल्ट और कौन से उत्पाद होंगे
IIBX के 3 वॉल्ट होंगे. एक सीक्वल द्वारा संचालित होगा जिसे मंजूरी मिल चुकी है और दूसरा ब्रिंक्स द्वारा संचालित होगा जिसे अंतिम मंजूरी का इंतजार है और तीसरा अभी निर्माणाधीन है. एक्सचेंज पर 995 प्योरिटी के 1 किलो का प्रोडक्ट होगा. इसके अलावा 999 प्योरिटी के 100 ग्राम का प्रोडक्ट भी होगा, जबकि आगे UAE के लिए 12.5 किलो के प्रोडक्ट उतारे जाने की भी संभावना है.
IIBX के क्या होंगे फायदे
इसके जरिये सोने के इंपोर्ट का बड़ा एंट्री गेट मिलेगा और ग्लोबल बुलियन मार्केट से देश जुड़ जाएगा. भारत अभी अपने सोने का दाम दुनिया के लिहाज से तय करता है, लेकिन आगे यह कीमत खुद तय कर सकेगा. देश में बुलियन इंपोर्ट का नया रास्ता खुलेगा और क्वालिटी के साथ प्राइस व पारदर्शिता का भरोसा बढ़ेगा. ग्लोबल ज्वेलरी बाजार में भी भारत की पोजीशन मजबूत होगी.
अभी कैसे तय होते हैं भाव
अभी गोल्ड का भाव लंदन मेटल एक्सचेंज तय करता है, जबकि न्यूयॉर्क, जापान बुलियन एक्सचेंज पर भी नजर होती है और LME पर प्रति औंस में भाव होता है. एक औंस का वजन 28.35 ग्राम के बराबर होता है. मान लें कि इंटरनेशनल मार्केट में सोने का भाव 1,750 डॉलर प्रति औंस है तो इसमें सरकार की इंपोर्ट ड्यूटी 12.75% जुड़ती है.
इसके अलावा 2.5% का एग्री इंफ्रा सेस और ड्यूटी के ऊपर से अतिरिक्त 2 डॉलर जोड़े जाते हैं. अगर डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर हो रहा तो कीमत भी बढ़ती चली जाएगी. इस एक्सचेंज के सदस्यों में सभी बड़े बैंक, गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडिंग फंड और MMTC जैसी सरकारी एजेंसियां शामिल होंगी.