अमेरिकी संसद की स्पीकर नैंसी पैलोस की ताइवान यात्रा के बाद चीन करीब बौखला सा गया है. चीन और अमेरिका के बीच रिश्ते अगर फिर बेहद खराब हो गये हैं तो चीन ने ताइवान की सीमा पर युद्धाभ्यास शुरू करके उसे डराने की कोशिश की है. चीन ने ताइवान की ओर कई मिसाइल्स भी छोड़ी हैं. ताइवान इसके बाद भी मजबूती से खड़ा है. ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग वेन लगातार चीन की आंखों की किरकिरी बनती रही हैं. उन्होंने दिखा दिया है कि वह और उनका देश चीन से नहीं डरता.
इससे पहले भी कोरोना के समय में ताइवान ने जिस शानदार तरीके से कोरोना के खिलाफ जंग जीती, उससे साबित हुआ कि इस देश ने तकनीक की मदद से बहुत कुछ ऐसा कर लिया है, जिसे कमाल कहा जा सकता है. ये देश अगर साफ्टवेयर में दुनिया की बड़ी ताकत है तो माइक्रोचिप उत्पादन में दुनिया की निर्भरता ही अब उस पर है. ताइवान की सफलता के पीछे हैं ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग-वेन (Tsai Ing-wen), जो चीन की आंखों की सबसे बड़ी किरकरी हैं.
कैसी रही शुरुआती जिंदगी
साई इंग-वेन ताइवान के एक सामान्य परिवार में पैदा हुई. उनके पिता कार रिपेयरिंग का छोटा बिजनेस चलाते थे. साई अपने पिता की सबसे छोटी संतान हैं. उन्होंने कानून और अंतरराष्ट्रीय व्यापार की पढ़ाई की है. खासी पढ़ी-लिखी साई ने अमेरिका के कॉरनेल युनिवर्सिटी और ब्रिटेन के लंदन स्कूल ऑफ इकॉनमिक्स से शिक्षा प्राप्त की है.
एक सामानय परिवार में पैदा हुईं वेन अपने टैलेंट के बल पर यहां तक पहुंची हैं. वह फिलहाल अपने देश की ऐसी लोकप्रिय नेता हैं, जिन्होंने देश को काफी कुछ बदला है
एक्सपर्ट होने के नाते पहली बार मंत्री बनीं थीं
ताइवान सरकार के लिए उन्होंने पहली बार साल 1993 में काम करना शुरू किया. हालांकि तब तक उन्होंने कोई पार्टी नहीं ज्वाइन की थी. उन्हें वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन से बातचीत के लिए ताइवान का निगोशियेटर नियुक्त किया गया. साल 2000 में जब ताइवान के राष्ट्रपति Chen Shui-bian बने थे. इस सरकार में साई पहली बार मंत्री बनीं लेकिन तब भी उन्होंने कोई पार्टी नहीं ज्वाइन की थी. उनकी विशेषज्ञता को ध्यान में रखते हुए मंत्रिपद दिया गया था.
साल 2004 में साई ने डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी ज्वाइन (डीपीपी) की थी. आगामी सालों में उन्होंने कई पद संभाले. जब तक पार्टी की सरकार नहीं रही तब तक संगठन की जिम्मेदारी संभाली.
जब बनीं राष्ट्रपति, बनाए कई कीर्तिमान
साल 2016 साई की जिंदगी में सबसे महत्वपूर्ण था. इस साल उन्होंने डीपीपी के राष्ट्रपति कैंडिडेट के तौर प्रचंड बहुमत से सरकार बनाई. उनका राष्ट्रपति बनना कई मामलों में ऐतिहासिक था. वो देश की पहली अविवाहित राष्ट्रपति हैं. वो पहली राष्ट्रपति बनीं जिसने देश की राजधानी ताइपेई का मेयर का पद नहीं संभाला था.
साथ ही एशियाई देशों में पहली महिला राष्ट्र प्रमुख हैं जो किसी राजनीतिक परिवार से ताल्लुक नहीं रखतीं. लेकिन इसके बाद बीते चार सालों में उनकी लोकप्रियता इस कदर बढ़ी कि बीते जनवरी में हुए चुनावों में वो एक बार फिर देश की राष्ट्रपति चुनी गई हैं. वो भी प्रचंड बहुमत से. साई की बढ़ती लोकप्रियता चीन के लिए मुश्किलें बढ़ा रही हैं.
मानवाधिकारों के लिए काम
राजनीति के साथ-साथ साई ने मानवाधिकार के क्षेत्र में खासा काम किया है. साल 2017 में उनकी सरकार ने कानून बनाकर सेम सेक्स मैरिज को वैधानिकता प्रदान की थी. साथ ही राष्ट्रपति कार्यकाल में सार्ई ने कई ज्यूडिशियल, लेबर, पेंशन रिफॉर्म्स किए हैं.
प्रेसीडेंट बनने के बाद साई ने अपने देश में तमाम सुधार के कार्यक्रम शुरू किए. देश में खुलापन लाने की कोशिश की. सामाजिक स्तर पर बहुत काम किया. चीन को उनके ये सारे काम बहुत चुभते हैं.
बिल्लियां हैं बेहद पसंद
साई को बिल्लियां बेहद पसंद हैं. उनके पास एक बिल्ली और बिल्ली हैं जिनका नाम Think Think and Ah Tsai है. इन दोनों को साई ने अपने चुनाव प्रचार अभियान के दौरान भी इस्तेमाल किया था. इसके अलावा साई ने कुछ कुत्ते भी पाले हैं.
पहली बार राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने सार्वजनिक रूप से कहा था कि वो तीन गाइड डॉग्स को गोद लेंगी. इस पर मीडिया की तरफ से सवाल किया गया कि आपके घर में बिल्लियां पहले से हैं. तो क्या कुत्ते पालने का फैसला ठीक है? तो साई ने जवाब दिया था-ये कुत्ते बेहद ट्रेंड होते हैं और बिल्लियां के साथ बहुत आसानी से रह लेंगे.
साई के इस जवाब की मीडिया में बहुत चर्चा हुई थी. सामान्य तौर पर ये माना जाता है कि कुत्ते और बिल्ली एक दूसरे के साथ रहना पसंद नहीं करते लेकिन साई ने ये भी कर दिखाया.