अमेरिका और यूरोप में बहुत से लोग ऐसे हैं, जिनके पास काम ज्यादा है और वक्त कम. इतना वक्त भी नहीं कि वो खाना बना सकें. ऐसे में लोग कुछ भी खा रहे हैं. ऐसे में सबसे ज्यादा खाया जा रहा है कि फास्ट फूड. लेकिन असल में फास्ट-फूड तो ना शरीर के लिए बहुत बेहतर होते हैं और बहुत पौष्टिक इसलिए अब लोगों में जीवनशैली से जुड़ी बीमारियां होने लगी हैं.
हमारे देश भारत में भी ये हाल हो रहा है और यूरोप, अमेरिका में तो बहुत ही ज्यादा. ऐसे में लोगों के पोषण का विकल्प बनकर उभरा है स्मार्टफूड. स्मार्टफूड की मात्रा खाने-पीने में भी कम होती है. और यह आपके शरीर की सारी पोषण की जरूरतों को भी पूरा कर देता है. अमेरिका और कनाडा में इन दिनों स्वॉयलेंट नाम का एक ऐसा ड्रिंक लोकप्रिय हो रहा है, जिसे स्मार्टफूड कहा जा रहा है. अमेरिका, इंग्लैंड और कनाडा में ये लोकप्रिय है. भारत में बेंगलुरु जैसे शहर में उपलब्ध है. ई-बिजनेस साइट्स पर ये जरूर उपलब्ध हैं. कीमत कुछ ज्यादा है. कई फ्लेवर में उपलब्ध सोयलेंट की एक बोतल आमतौर 300 – 400 रुपए के बीच मिलती है.
क्या है यह स्वॉयलेंट?
इसे बनाने वालों के अनुसार स्वॉयलेंट अपने-आप में पूरा खाना है. जिसकी एक 400 कैलोरी की बोतल से आपके दिन की 20 फीसदी पोषण की जरूरतें पूरी हो जाती हैं. इसमें कार्बोहाइड्रेट, फैट और प्रोटीन सारे पोषक तत्व संतुलित मात्रा में हैं. और इसके अलावा प्रोसेस्ड खाने में रहने वाले कई हानिकारक तत्व भी इसमें नहीं हैं. यह प्रॉडक्ट पूरी तरह से पेड़-पौधों से निकले तत्वों से बना है. इसे बनाने में भी खाना बनाने से कम कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन होता है. साथ ही यह पूरी तरह से शाकाहारी है. साथ ही लैक्टोस जैसे तत्व नहीं हैं.
इस फूडड्रिंक की वेबसाइट के अनुसार, इसे फूड एंज ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट कानूनी और सुरक्षित मानती है. इसकी वजह है कि इस ड्रिंक में कोई भी ऐसा पदार्थ नहीं है जो केवल कैमिकल हो.
किसे आया था इसका आइडिया?
इसे पहले अमेरिका की सिलिकॉन वैली में काम करने वाले रॉब रेनहर्ट ने 2013 में इसे बनाया था. ताकि लोग अपनी कॉर्न और मैगी जैसी डाइट को छोड़कर कुछ ढंग का खा सकें. साथ ही उनके शरीर के पोषण की जरूरतें भी पूरी हो जायें. बाद में यह ड्रिंक लोगों को इतनी पसंद आई कि यह बहुत ज्यादा लोगों ने इस्तेमाल करनी शुरू कर दी.
बनने लगा है खाने का विकल्प, नहीं है बहुत ज्यादा महंगा
हालांकि आज इस ड्रिंक को खाने के विकल्प के तौर पर पेश किया जा रहा है लेकिन इसे बनाने वाले रेनहर्ट का असली मकसद इसे खाने के विकल्प के तौर पर पेश किया जाना नहीं था. बल्कि वे चाहते थे कि इसे उस समय के खाने का विकल्प बनाया जाये, जब आपको भूख महसूस हो रही हो लेकिन समय के साथ लोगों ने इसका प्रयोग इतना आरामदायक पाया कि यह खाने का विकल्प बनने लगी.
भारतीय रुपये के हिसाब से स्वॉयलेंट की एक बोतल का दाम 200 रुपये के करीब होगा. यानि यह बहुत मंहगी नहीं है.
क्या इससे वजन भी कम हो जाता है?
हालांकि इसे वजन कम करने की ड्रिंक के तौर पर बिल्कुल भी नहीं बनाया गया था. लेकिन अगर आप नियमित सेवन कर रहे हैं तो आपका वजन कम हो सकता है. हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि यह अपने आप में एक अच्छा आइडिया नहीं है. हालांकि ज्यादा दिनों तक इसे खाने के विकल्प के तौर पर इस्तेमाल करने से शरीर पर बुरे प्रभाव ही होंगे.
इसके साइड इफेक्ट्स क्या हैं?
2013 में स्वॉयलेंट के सीईओ ने इंटरव्यू में कहा था, “मैं सोचता हूं कि मानवता लगातार बढ़ने वाली है. सभी खाते हैं, सभी को ऊर्जा की आवश्यकता होती है. जिससे की खाद्य पदार्थों की मात्रा लगातार कम होती जानी है. ऐसे में हमें अपने शरीर को और पोषण को समझना होगा और उसी के आधार पर कुछ नया, इंसानियत के लिए इंसान का बनाया खाना डिजाइन करना होगा.” सीईओ की बात तो सुनने में बहुत अच्छी लगती है लेकिन स्वॉयलेंट के नियमित सेवन के कुछ नुकसान भी हैं –
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इसे कितना भी नेचुरल करार दे दिया जाये. यह सॉलिड फूड के लिए परफेक्ट इंसान के पाचन-तंत्र के खिलाफ है. और इंसान अपनी शुरुआती दौर से ही पाचन-तंत्र का सॉलिड फूड पचाने में प्रयोग करता आया है. इसलिए यह उतना नैचुरल कभी नहीं हो सकता.
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