क्रिकेट की दीवानगी ने पहुंचाया अफगानिस्तान, ठीक से आती नहीं थी हिंदी, अब इंग्लिश में करते हैं कमेंट्री

जयपुर. अफगानिस्तान में तालीबान सरकार के एक साल पूरे हो चुके है. बीते एक साल में अफगानिस्तान से पलायन की कई तस्वीरें आपने देखी होगी, लेकिन प्रदेश के देवेन्द्र कुमार हाल ही में अफगानिस्तान के डॉमेस्टिक क्रिकेट लीग में कमेंट्री करके लौटे है. क्रिकेट कमेंट्री के जनूनी देवेन्द्र जोधपुर के छतरपुरा गांव के रहने वाले हैं. उन्होंने सरकारी विद्यालय से हिंदी माध्य में 12वीं कक्षा तक ही पढाई की है. कभी मारवाड़ी के अलावा हिंदी भी उन्हें ठीक तौर पर नहीं आती थी, लेकिन देवेन्द्र के शौक और जूनून ने उन्हें इंग्लिश कमेंटेंटर बना दिया. साल 2017 से अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंट के लिए कमेंट्री कर चुके देवेन्द्र के लिए तालीबान की वापसी के बाद  नया अनुभव था.

अफागनिस्तान के राष्ट्रीय खेल ब्रॉडकास्टिंग के लिए कमेंट्री के दौरान  काबुल में क्रिकेट मैच के दौरान बम धमाका भी हुआ. इस धमाके से वे कुछ दूरी पर थे. देवेन्द्र का कहना है कि हाल ही में स्पागीजा लीग 2022 के लिए उन्होंने कमेंट्री की है. तालीबान सत्ता में आने के बाद अफगानिस्तान की परिस्थितियों में बदलाव आया है, लेकिन वहां के लोग आज भी भारतीय लोगों के प्रति मित्रता जताते हैं. देवेंद्र अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड के कमेंट्री पैनल में एकमात्र भारतीय हैं.

देवेंद्र ने शेयर किया अपने एक्सपीरिएंस
देवेन्द्र ने बताया कि सिर्फ ग्रेग चैपल ने शुरूआती दिनों  मेरी सबसे ज्यादा मदद की है. शुरूआती दिनों में कई बार फ्रेंडली मैच में कमेंट्री करने का मौका भी दिया. देवेन्द्र ने बताया कि शुरुआती दौर में अफगानिस्तान-आयरलैंड सीरीज में तीन इंटरनेशनल वनडे और जिम्बाब्वे-अफगानिस्तान सीरीज में 5 वनडे और दो टी-20 मैच में कमेंट्री करने का मौका मिला था.

देवेन्द्र बताते है कि गांव के स्कूल में कोई अंग्रेजी का शिक्षक नहीं था. यहां तक कि मारवाड़ी में हिंदी भी पढ़ाई जाती थी इसलिए बहुत दिनों तक अंग्रेजी भाषा समझ में नहीं आया, लेकिन टोनी ग्रेग और जेफ्री बयकॉट की आवाज रेडियो पर सुनकर प्रेरित हुआ.