खाली पड़ी थी कोयला खादान, छोटे सा प्रयोग कर शुरू किया मछली पालन, अब इलाके की पहचान हैं शशिकांत

जो लोग कहते हैं कि मछली पालन (Fish Farming) में कुछ नहीं रखा है. उन्हें झारखंड के रामगढ़ में रहने वाले किसान शशिकांत से मिलना चाहिए. शशिकांत, झारखंड की एक बंद पड़ी खदान में मछली पालन कर न सिर्फ अच्छी कमाई कर रहे हैं. बल्कि अपने इलाके के लिए नए अवसर भी पैदा कर रहे हैं.

झारखंड की खाली पड़ी कोयला खादान में मछली पालन

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झारखंड में कोयला निकालने के बाद अक्सर खादानों को खाली छोड़ दिया जाता है. परिणाम स्वरूप इन खादानों में पानी भर जाता है. सेंट्रल कोल फील्ड्स लिमिटेड (CCL) की बंद पड़ी एक खादान के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ. शशिकांत का ध्यान इस पर गया तो उन्होंने सोचा कि क्यों ना इस खादान में मछलीपालन शुरू किया जाए. 

CCL से अनापत्ति प्रमाण पत्र मिलने के बाद शुरू किया काम

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इसके लिए उन्होंने सबसे पहले जिले के मांडू प्रखंड के आरा गांव के कुछ शिक्षित युवकों की एक टीम बनाई और उन्हें इसके लिए तैयार किया. आगे उन्होंने मत्स्य विभाग से संपर्क किया. उन्होंने विभाग को बताया कि वो बंद पड़ी खादान में मछली पालन करना चाहते हैं, जिसके लिए उन्हें विभाग की मदद चाहिए. आगे सीसीएल से अनापत्ति प्रमाण पत्र मिलने के बाद उन्होंने मछली पालन शुरू कर दिया.

2010 में शुरू की गई शशिकांत की यह पहल रंग लाई   

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साल 2010 में शुरू की गई शशिकांत की यह पहल रंग लाई और अलग-अलग मंचों पर इसके लिए वो सम्मानित किए गए. उनका मछली पालन मॉडल SKOCH अवार्ड के लिए भी नामांकित किया गया था और सर्वश्रेष्ठ नवाचार श्रेणी में प्रधानमंत्री अवार्ड के लिए अंतिम दौर तक पहुंचा. ‘द न्यू इंडियन एक्सप्रेस’ की रिपोर्ट के मुताबिक शशिकांत रोजाना 40 से 45 किलों तक की मछलियां पकड़ लेते हैं. वो ना सिर्फ मछली पालन से अच्छी कमाई कर रहे हैं बल्कि रोजगार के नए अवसर भी बना रहे हैं. इलाके भर में उनकी खास पहचान है.