गुजरात: साल 2002 रेप और मर्डर केस में दोषियों की रिहाई से सदमे में बिलकिस बानो का परिवार, कहा- हमें अकेला छोड़ दें

अहमदाबाद. सोमवार की देर शाम काफी देर तक बिलकिस बानो को ये यकीन ही नहीं हो रहा था कि 2002 के दंगों के मामले में 11 दोषियों को रिहा कर दिया गया है. जबकि इन सबको साल 2008 में दोषी ठहराया गया था. बानो के पति याकूब रसूल ने कहा कि दोषियों को रिहा किए जाने की खबर से वो हैरत में हैं और उन्हें इस संबंध में मीडिया के जरिए जानकारी मिली. बता दें कि सोमवार को गुजरात सरकार ने अपनी क्षमा नीति के तहत इनकी रिहाई की मंजूरी दी. गोधरा जेल से सोमवार को रिहा होने के बाद दोषियों को माला पहनाकर स्वागत किया गया और मिठाइयां बांटी गईं.

अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत करते हुए , बिलकिस ने कहा, ‘कृपया मुझे अकेला छोड़ दो… मैंने अपनी बेटी सालेहा की आत्मा के लिए दुआ की है.’ उधर रसूल ने समाचार एजेंसी पीटीआई से बातचीत करते हुए कहा कि वो सोमवार के घटनाक्रम पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि घटना के 20 साल से अधिक समय बाद भी रहने के लिए उनके पास कोई स्थायी जगह नहीं है. उनके परिवार में उनकी पत्नी के अलावा पांच बेटे हैं.

मीडिया से मिली खबर
रसूल ने बताया कि उन्हें दोषियों के रिहा होने की खबर मीडिया से मिली. उन्होंने कहा, ‘हमें इसकी कोई जानकारी नहीं थी कि उन्होंने (दोषियों) कब आवेदन किया और राज्य सरकार ने क्या फैसला लिया. हमें कभी कोई नोटिस नहीं मिला. हमें इस बारे में नहीं बताया गया. हम इस पर कुछ भी नहीं कहना चाहते. मैं ब्योरा मिलने के बाद ही बात कर सकता हूं. हम बस दंगों में जान गंवाने वाले अपने प्रियजनों की आत्मा की शांति की प्रार्थना करते हैं. हम अपनी बेटी समेत इस घटना में मारे गए लोगों को हर दिन याद करते हैं.’

‘नौकरी या मकान की कोई व्यवस्था नहीं’
रसूल ने कहा कि गुजरात सरकार ने उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर परिवार को 50 लाख रुपये का मुआवजा दिया है. उन्होंने कहा, ‘लेकिन सरकार ने उच्चतम न्यायालय के निर्देशानुसार नौकरी या मकान की कोई व्यवस्था नहीं की है.’ रसूल ने कहा कि उनका परिवार अब भी बिना किसी स्थायी पते के छिपकर रह रहा है. साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार से मिले मुआवजे का इस्तेमाल उनके बेटों की शिक्षा पर किया जा रहा है.

बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी सजा को रखा था बरकरार
मुंबई में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की एक विशेष अदालत ने 11 दोषियों को बिल्कीस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के जुर्म में 21 जनवरी 2008 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. बाद में बंबई उच्च न्यायालय ने उनकी दोषसिद्धि को बरकरार रखा था.

माफी नीति के तहत रिहा
गुजरात में 2002 के दंगों के बिलकिस बानो मामले में उम्रकैद की सजा पाने वाले सभी 11 दोषियों को 2008 में दोषी ठहराए जाने के समय गुजरात में प्रचलित माफी नीति के तहत रिहा किया गया है. एक शीर्ष अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी और मामले में केंद्र सरकार के दिशानिर्देशों के उल्लंघन के दावों को खारिज कर दिया. गुजरात सरकार के गृह विभाग के वरिष्ठ अधिकारी का यह बयान विपक्ष के उन दावों के आलोक में आया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि गोधरा दंगा के बाद गर्भवती बिलकिस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार और उसके परिवार के सात अन्य सदस्यों की हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे दोषियों को माफी केंद्र के दिशा निर्देश का उल्लंघन है.