गुरु नानक जयंती विशेष, नानक के 9 अनमोल वचन, जिनसे लाइफ में हमेशा पाएंगे लाभ और उन्नति

सिख धर्म के संस्थापक और पहले गुरु गुरुनानक देव का जन्म कार्तिक पूर्णिमा के दिन हुआ था। बताया जाता है कि नानक देवजी का जन्म संवत् 1526 को कार्तिक पूर्णिमा के दिन हुआ था और अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, इनका जन्म साल 1469 में हुआ था। इस बार यह तिथि 8 नवंबर दिन मंगलवार को है। गुरु नानक देव की जयंती पर सिख धर्म के अनुयायी बड़े ही धूमधाम से इस दिन को प्रकाश उत्सव और गुरु पर्व के रूप में मनाते हैं। गुरु नानक देव ने हमेशा अपने उपदेशों में भाईचारा, जातिवाद को मिटाने, सत्य के मार्ग पर चलने के उपदेश दिए हैं। आइए जानते हैं गुरु नानक के 9 अनमोल विचार, जिससे हर किसी के जीवन में लाभ और उन्नति होगी।

  • भगवान अजन्मा है

    भगवान अजन्मा है

    थापिआ न जाइ कीता न होइ।

    आपे आपि निरंजनु सोइ।

    गुरु नानक देवजी दोहे के माध्यम से कह रहे हैं कि भगवान अजन्मा निराकार मायातीत अटल सिद्धस्वरूप अनादि एवं अनंत है।

     

  • दुखों का होता है अंत

    दुखों का होता है अंत

    गुरा इक देहि बुझाई।

    सभना जीआ का इकु दाता सो मैं विसरि न जाई।

    गुरु नानक देवजी कह रहे हैं कि उसके गुणों का गीत गाने सुनने एवं मन में भाव रखने से सभी प्रकार के दुखों का नाश और अनन्य सुखों का भंडार प्राप्त होता है।

     

    प्रभु होते हैं खुश

    प्रभु होते हैं खुश

    तीरथि नावा जे तिसु भावा।

    विणु भाणे कि नाइ करी।

    गुरु नानक देवजी कह रहे हैं कि तीर्थों में स्नान से प्रभु तभी खुश होते हैं, जब वह उन्हें मंजूर हो। बिना ईश्वर की मान्यता के तीर्थों का स्नान कोई अर्थ नहीं है। उससे किसी तरह के फायदा नहीं होने वाला है।

     

  • अनमोल है ईश्वर की ज्योति

    अनमोल है ईश्वर की ज्योति

    जे हउ जाणा आखा नाही।

    कहणा कथनु न जाई।

    गुरु नानक देवजी कह रहे हैं कि ईश्वर की ज्योति को जान लेने पर भी उसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता। वह कथन से परे मात्र हृदय में अनुभव कर सकते हैं।

  • केवल हो सकते हैं महसूस

    केवल हो सकते हैं महसूस

    कागदि कलम न लिखणहारू।

    मंने काबहि करनि वीचारू।

    गुरु नानक देवजी कह रहे हैं कि ऐसी कोई कागज और कलम नही बनी है और कोई ऐसा लिखने वाला भी नहीं है, जो प्रभु के नाम की महत्ता का वर्णन कर सके। उसे केवल महसूस किया जा सकता है।

     

  • मिलता है समस्त लोकों का ज्ञान

    मिलता है समस्त लोकों का ज्ञान

    मंनै सुरति होवै मनि बुधि।

    मंनै सगल भवण की सुधि।

    गुरु नानक देवजी कह रहे हैं कि केवल नाम सुमिरन करने से ही ईश्वर के प्रति प्रेम उत्पन्न किया जा सकता है और केवल नाम भर लेने से ही बुद्धि भी पवित्र हो जाती है। तब उस ब्यक्ति को संसार के समस्त लोकों का ज्ञान भी प्राप्त हो जाता है।

     

  • व्यक्ति की नहीं होती मृत्यु

    व्यक्ति की नहीं होती मृत्यु

    मंनै मुहि चोटा ना खाइ।

    मंनै जम कै साथि न जाइ।

    गुरु नानक देवजी कह रहे हैं कि प्रभु का चिंतन करने वाले व्यक्ति काल मृत्यु के घात से भी सुरक्षित रहता है। उसकी मृत्यु नहीं होती, वह मनस्वी अमरता प्राप्त करता है। ऐसी पवित्र आत्मा को मृत्यु दूत नही ले जा पाते हैं।

     

  • मिलता है मान-सम्मान

    मिलता है मान-सम्मान

    मंनै मारगि ठाक न पाइ।

    मंनै पति सिउ परगटु जाइ।

    गुरु नानक देवजी कह रहे हैं कि प्रभु नाम के मनन चिंतन करने वाले को कभी किसी तरह की समस्या का सामना नहीं करना पड़ता। वह व्यक्ति सभी जगह मान इज्जत पाता है

     

  • केवल ये जानते हैं ईश्वर का महत्व

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    केवल ये जानते हैं ईश्वर का महत्व

    ऐसा नामु निरंजनु होइ।

    जे को मंनि जाणै मनि कोइ।