‘चखते ही जुबां और जेब की गर्मी गायब’, आखिर कानपुर में क्यों बदनाम हो गई कुल्फी!

कानपुर. यूपी का कानपुर अपने अलग अंदाज और बेमिसाल स्वाद के लिए जाना जाता है. यहां का स्वाद सिर्फ अपने शहर तक ही सीमित नहीं है बल्कि देशभर में जायके और मिठाइयों का बोलबाला है. कानपुर में जब भी हम मिठाइयों या मीठे की बात करते हैं तो कुल्फी सबसे आगे रहती है. जब मौसम गर्मी का हो और ठंडी कुल्फी मिल जाए तो जुबां पर पानी आना लाजमी है. यही नहीं, कानपुर में जब कुल्फी की बात होती है, तो सबसे पहले ‘बदनाम कुल्फी’ का नाम जुबान पर आता है.

कानपुर में कुल्फी के बदनाम होने के पीछे भी एक कहानी है, जो हम आपको बताएंगे. दरअसल इस कुल्फी की दुकान की स्थापना राम अवतार पांडे ने की थी. इस नाम के पीछे की वजह यह है कि जब बदनाम कुल्फी की शुरुआत हुई थी तब फुटपाथ पर लगाकर यह कुल्फी बेची जाती थी. फुटपाथ पर बिकने के बावजूद इसकी सेल बहुत ज्यादा थी. इस वजह से इसका नाम बदनाम हो गया और कानपुर वासियों पर बदनाम कुल्फी का स्वाद सर चढ़कर बोलने लगा. जबकि बदनाम कुल्‍फी की टैग लाइन ‘चखते ही जुबां और जेब की गर्मी गायब’ है.

इस खास तरीकों से होती है तैयार
इस कुल्फी को तैयार करने के लिए सबसे पहले दूध की रबड़ी बनाई जाती है. उस रबड़ी में काजू, बादाम, पिस्ता डाला जाता है. उसके बाद इसको स्टील के एक वेसल में डाला जाता है. उसके बाद उसके चारों तरफ बर्फ की सिल्ली लगाई जाती है और उसे कई घंटे उसी में घुमाया जाता है, जब यह रबड़ी जम जाती है तब वह कुल्फी के रूप में परोसी जाती है.

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फुटपाथ से शहर में 6 आउटलेट्स तक का सफर
बदनाम कुल्फी की शुरुआत फुटपाथ से हुई थी. बड़े चौराहे पर फुटपाथ पर सबसे पहले यह कुल्फी बेची जाती थी, लेकिन जैसे-जैसे इसकी बिक्री बढ़ती गई, वैसे-वैसे इसके शहर भर में आउटलेट खुलते गए. आज बदनाम कुल्फी के शहर में कुल 6 आउटलेट्स हैं, जो कि ठग्‍गू के लड्डू के नाम से जाने जाते हैं. वहीं, कुल्फी के दाम की बात की जाए तो यह ₹60 की 100 ग्राम कुल्फी से लेकर ₹600 किलो तक बिकती है.

Badnaam Kulfi