एक घरेलू तकनीक से पानी को शुद्ध व स्वच्छ बनाया जा सकता है। यह तकनीक पौधे के जाइलम पर आधारित है। यानी 10 से 15 रुपये खर्च कर जाइलम जैविक फिल्टर पानी को शुद्ध करेगा। इस वैज्ञानिक परियोजना पर हिमाचल प्रदेश के सिरमौर की गुज्जर बस्ती में चल रहे सरकारी विद्यालय नौरंगाबाद की नौवीं की छात्रा वंदना ने काम किया। जाइलम पौधों में पाए जाने वाला एक ऐसा जटिल स्थायी उत्तक होता है, जो जल के संवहन में मुख्य भूमिका निभाता है। वंदना के इस प्रोजेक्ट को प्रदेशभर में तीसरा स्थान मिला है। उन्हें शिक्षा मंत्री ने इसके लिए सम्मानित भी किया है। दरअसल, पौधे का जाइलम प्राकृतिक रूप से जल का पारगमन कर सकता है।
इसी आधार पर जाइलम फिल्टर कार्य करता है। जाइलम में मौजूद कोषाएं जल को छानने का काम करती हैं। विशेष रूप से आयुष व जिम्नोस्पर्म पौधों का जाइलम अच्छे फिल्टर के तौर पर कार्य करता है। दरअसल, वंदना ने गुज्जर समुदाय के लोगों से पशुओं की दवाई तैयार करने की तुंबा कोड़ी विधि के बारे में सुना था, जिसमें सूखे घिये के खोखले भाग में जड़ी-बूटी पीसकर उसका घोल भरने के बाद इसके एक हिस्से में नीम का हरा तना फंसाकर उल्टा लटकाया। इसके बाद नीम के तने से यही घोल बूंद-बूंद कर टपकने लगा।