झांसी: जिस उम्र में बच्चे खेलते-कूदते हैं, चॉकलेट और टॉफी की जिद करते हैं, कार्टून चैनल देखते हैं, उस उम्र में झांसी के बच्चे अलग-अलग एप्लीकेशंस और सर्किट बना रहे हैं.
जी हां, झांसी में बने अटल टिंकरिंग लैब में ये नन्हें बच्चे अपने आइडिया को हकीकत बना रहे हैं. न्यू एरा पब्लिक स्कूल में बने इस लैब में छठी से लेकर दसवीं क्लास तक के बच्चे एक्सपेरिमेंट करते हैं. इस लैब में ब्लूटूथ से चलने वाली कार से लेकर रिमोट से चलने वाला क्रेन तक बनाया जाता है.
छठी से दसवीं तक के बच्चों को मिल रही ट्रेनिंग
इस अटल लैब में बच्चों को उनकी क्लास और उम्र के हिसाब से चीज़ें समझाई जाती हैं. छठी क्लास के बच्चों को सर्किट के बारे में समझाया जाता है. उससे बड़ी क्लास के बच्चों को सर्किट तैयार करना, एप्लीकेशन बनाना और कोडिंग करना भी सिखाया जाता है. यहां आठवीं क्लास के बच्चों ने एक ऐसा गैजेट तैयार किया है, जो आपातकालीन स्थिति में आपके काम आ सकता है. वहीं, 10वीं क्लास के स्टूडेंट्स ने एक ऐसा एप्लीकेशन तैयार किया है जिसकी मदद से आप मिट्टी में कितनी नमी है, यह पता कर सकते हैं.
बच्चों की क्रिएटिविटी को मिलता है बढ़ावा
अटल लैब के बच्चों को ट्रेनिंग देने वालीं सुजाता ने बताया कि आजकल के बच्चों के अंदर बहुत क्रिएटिविटी होती है. उनके मन में कई सवाल होते हैं. वे यह जानना चाहते हैं कि बल्ब कैसे जलता है, लिफ्ट कैसे काम करती है. उनके इन सभी सवालों का जवाब उन्हें अटल टिंकरिंग लैब में मिलता है. वह यहां सर्किट बनाना सीखते हैं, कोडिंग करना सीखते हैं.
क्या है अटल लैब
बच्चों और युवाओं में साइंटिफिक सोच को बढ़ावा देने के लिए नीति आयोग द्वारा अटल टिंकरिंग लैब शुरू किया गया था. यह लैब विद्यार्थियों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, 3D प्रिंटिंग और रोबोटिक्स की नई तकनीकों से रूबरू करवाता है. भारत सरकार यंग माइंड्स को STEM (साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मैथ्स) की मदद से अटल लैब में स्किल्ड बनाया जाता है