नई दिल्ली- टोक्यो ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता मुक्केबाज़ लवलीना बोरगोहेन ने शीर्ष आयोजन राष्ट्रमंडल खेलों से तीन दिन पहले ‘मानसिक उत्पीड़न’ का आरोप लगाते हुए कहा है कि उनकी कोच को खेल गांव में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जा रही है। लवलीना ने सोमवार को ट्विटर पर एक पोस्ट साझा करके कहा, “आज मैं बड़े दुख के साथ कहती हूं कि मेरे साथ बहुत उत्पीड़न हो रहा है। हर बार मेरे कोच, जिन्होंने मुझे ओलंपिक में पदक लाने में मदद की, उन्हें हटाकर मेरी ट्रेनिंग में बाधा डाली जा रही है।”
उन्होंने कहा, “इनमें से एक कोच संध्या गुरुंगजी द्रोणाचार्य पुरस्कार से सम्मानित हैं। मेरे दोनों कोचों को हज़ार बार हाथ जोड़ने के बाद कैंप में ट्रेनिंग के लिये बहुत देर से शामिल किया जाता है। मुझे इससे ट्रेनिंग में बहुत परेशानियां उठानी पड़ती हैं, और मानसिक उत्पीड़न तो होता ही है।” उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी कोच संध्या गुरुंग को खेल गांव में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जा रही थी, जबकि उनके दूसरे कोच को वापस भारत भेज दिया गया था।
उन्होंने लिखा, “अभी मेरी कोच संध्या गुरुंग जी राष्ट्रमंडल खेल गांव के बाहर खड़ी हैं और उन्हें प्रवेश करने नहीं दिया जा रहा है, और मेरी ट्रेनिंग खेलों के आठ दिन पहले रुक गयी है। मेरे दूसरे कोच को भारत वापस भेज दिया गया है।
मेरे बहुत विनती करने के बाद भी ऐसा हुआ है और इससे मेरा मानसिक उत्पीड़न हुआ है। मुझे समझ नहीं आ रहा है कि मैं खेलों पर कैसे ध्यान केंद्रित करूं।” उन्होंने कहा, “इसी के चलते मेरी पिछली विश्व चैंपियनशिप भी खराब हुई थी। इस राजनीति के चलते मैं अपने राष्ट्रमंडल खेल खराब नहीं करना चाहती हूं।
आशा करती हूं कि मैं मेरे देश के लिये इस राजनीति को तोड़कर पदक ला पाऊं। जय हिंद।” टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक जीतकर लवलीना ओलंपिक पदक जीतने वाली तीसरी भारतीय मुक्केबाज़ बन गयीं। इससे पहले विजेंदर सिंह (कांस्य, बीजिंग 2008) और मैरी कॉम (कांस्य, लंदन 2012) यह उपलब्धि हासिल कर चुके हैं। वह ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली पहली मुक्केबाज़ भी हैं।