कैबिनेट के निर्णय के मुताबिक प्रदेश में डॉक्टरों के 300 पदों की भर्ती प्रक्रिया को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। मुख्य न्यायाधीश एए सैयद और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने राज्य सरकार से एक हफ्ते में जवाब तलब किया है।
हिमाचल कैबिनेट के निर्णय के मुताबिक प्रदेश में डॉक्टरों के 300 पदों की भर्ती प्रक्रिया को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। मुख्य न्यायाधीश एए सैयद और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने राज्य सरकार से एक हफ्ते में जवाब तलब किया है। मामले की सुनवाई 30 अगस्त को निर्धारित की गई है। डॉक्टर शौर्या चौधरी और अन्य की ओर से दायर याचिका में दलील दी गई है कि राज्य सरकार वर्ष 2012 से 2022 तक इन पदों को वॉक इन इंटरव्यू से ही भरती आ रही है। मंत्रिमंडल ने 300 पद वॉक इन इंटरव्यू से और 200 पद लोक सेवा आयोग के माध्यम से भरे जाने का निर्णय लिया था। 21 दिसंबर 2020 को राज्य सरकार ने चिकित्सकों के 251 पद वॉक इन इंटरव्यू से ही भरे थे। इसके अलावा एक फरवरी 2022 को भी चिकित्सकों के 43 पद भरे गए थे। 14 जुलाई, 2022 को राज्य सरकार ने चिकित्सकों के 300 पद वाक इन इंटरव्यू से भरे जाने को स्वीकृति दी थी
आरोप लगाया गया है कि 3 अगस्त, 2022 को राज्य सरकार ने अपने ही फैसले को पलटते हुए पद पदों को परीक्षा के माध्यम से भरे जाने का निर्णय लिया। सरकार का इस तरह का निर्णय नियमों के विपरीत ही नहीं बल्कि नौकरी की राह देख रहे प्रशिक्षु चिकित्सकों के साथ भी खिलवाड़ है। अदालत को बताया गया कि राज्य सरकार ने परीक्षा के माध्यम से इन पदों को भरने का जिम्मा अटल चिकित्सा अनुसंधान विश्वविद्यालय को दिया है। विश्वविद्यालय ने हिमाचल प्रदेश में 300 चिकित्सकों की भर्ती के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी है। चिकित्सकों की भर्ती के लिए लिखित परीक्षा 4 सितंबर को निर्धारित की गई है। चिकित्सा विभाग में कुल 500 नए चिकित्सकों के पदों को भरा जाना है, जिसमें से अभी 300 पदों की मंजूरी मिली है। प्रशिक्षु चिकित्सकों ने अदालत से गुहार लगाई है कि इस भर्ती प्रक्रिया को रद्द किया जाए और सरकार को आदेश दिए जाएं कि इन पदों को नियमों के अनुसार वाक इन इंटरव्यू से ही भरा जाए।
मुवक्किल से धोखाधड़ी करने पर वकील के खिलाफ हाईकोर्ट ने गठित की विशेष टीम
प्रदेश हाईकोर्ट ने मुवक्किल से धोखाधड़ी करने पर वकील के खिलाफ विशेष टीम गठित करने के आदेश दिए हैं। न्यायाधीश संदीप शर्मा ने एसपी सिरमौर, डीएसपी ददाहू, डीएसपी राजगढ़ और डीएसपी संगड़ाह को विशेष टीम का सदस्य बनाया है। अदालत ने टीम को आदेश दिए कि वह इस मामले में जांच कर दो महीनों के भीतर अपनी रिपोर्ट सील्ड कवर में अदालत के समक्ष पेश करें। मामले की सुनवाई 3 नवंबर को निर्धारित की गई है। रेणुका जी डैम के लिए अधिगृहित की गई भूमि के मुआवजे संबंधी मामले पर सुनवाई के दौरान अदालत ने पाया कि एक ही व्यक्ति के लिए कई वकीलों ने मुआवजे की राशि अदा किए जाने के लिए आवेदन किया है। मामले की गहराई तक पहुंचने के लिए अदालत ने सभी दावेदारों को अदालत के समक्ष तलब किया। दावेदार हरि राम ने अदालत को बताया कि उसने किसी भी वकील को मुआवजे की राशि निकालने के लिए अधिकृत नहीं किया है।
अदालत को बताया गया कि निचली अदालत में पीएस कंवर उसके वकील थे। लेकिन हाईकोर्ट में उसने पीएस कंवर को मुआवजे की राशि निकालने के लिए अधिकृत नहीं किया है। उसने अदालत को बताया कि उसके नाम का पीएनबी में खाता खुलने का उसे कोई ज्ञान नहीं है। उसके खाते में जब 29.58 लाख रुपये जमा हुए तो पीएस कंवर वकील ने उसे बुलाया और दो लाख रुपये की मांग की। अदालत को यह भी बताया गया कि वह पीएस कंवर वकील को पहले ही 4 लाख रुपये दे चुका है और दो लाख रुपये इस बार दिए गए।
मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से अदालत को बताया गया कि पीएस कंवर वकील के खिलाफ अपने मुवक्किल से इसी तरह की धोखाधड़ी करने पर पुलिस थाना ददाहु में प्राथमिकी दर्ज है। इस मामले में पीएस कंवर वकील के खिलाफ 18 लाख की धोखाधड़ी का मामला दर्ज है। अदालत ने पाया कि रेणुका जी डेम के निर्माण के लिए 12000 बीघा भूमि का अधिग्रहण किया गया है। इसके बदले में 2500 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया जाएगा। अदालत ने प्रथम दृष्टतया पाया कि इस धोखाधड़ी के लिए पीएस कंवर वकील के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज किए जाने के आदेश पारित किए जा सकते है। लेकिन ऐसे मामलों कितना बड़ा घोटाला किया गया है, यह जानने के लिए विशेष टीम का गठन किया जाना जरूरी है।