हर किसी का सपना होता है, अपना घर हो, अपनी गाड़ी हो, संपत्ति हो. कार इस देश में आवश्यकता भी है और शॉ ऑफ करने का ज़रिया भी. कार खरीदने के लिए, उसके मेंटेनेंस के लिए और बढ़ती महंगाई को देखते हुए पेट्रोल के लिए भी अच्छी-खासी बचत और आय का साधन होना ज़रूरी है. कार खरीदने के लिए या तो लोग बैंक से लोन लेते हैं या बचत के पैसों से पेमेंट करते हैं. तमिलनाडु (Tamil Nadu) के एक शख्स ने इन दोनों विकल्पों को छोड़कर एक नया विकल्प बना डाला. पेशे से होमियोपेथ डॉक्टर, इस शख़्स ने 10-10 रुपये के सिक्कों से 6 लाख की कार खरीद ली.
नकली समझे जाने वाले 10 रुपये के सिक्के से खरीदी कार
रिपोर्ट के अनुसार, डॉ ए वेट्रीवेल (Dr. A Vetrivel) नामक इस शख्स ने 10-10 रुपये के सिक्के जमा करके 6 लाख रुपये की कार खरीद ली. डॉ वेट्रीवेल ने लोगों में जागरुकता फैलाने के लिए ये अनोखा कदम उठाया. दरअसल आरबीआई के बार-बार कहने के बावजूद देश के कई लोग आज भी 10 रुपये के सिक्कों को नकली मानते हैं. या फिर लेने से कतराते हैं. इसी सोच को बदलने का ज़िम्मा डॉ वेट्रीवेल ने लिया.
बच्चों को 10 रुपये से खेलते देखकर आया विचार
डॉ वेट्रीवेल स्कूल भी चलाते हैं. उन्होंने बताया, ‘लगभग एक महीने पहले मैंने कुछ छात्रों को 10 रुपये के सिक्कों के साथ खेलते देखा. मैंने उनसे पूछा कि वो पैसे के साथ क्यों खेल रहे हैं? इस पर उन्होंने कहा कि वो सिक्के किसी काम के नहीं है.’ धर्मापुरी के रहने वाले डॉ वेट्रीवेल ने बताया कि उनके इलाके में कई दुकानें ऐसी हैं जहां 10 रुपये के सिक्के नहीं लिए जाते.
घर-घर जाकर 10 रुपये के नोट देकर सिक्के जमा किए
लोगों की सोच बदलने के लिए डॉ वेट्रीवेल ने घर-घर जाकर 10 रुपये के सिक्के जमा करना शुरू किया. शहर के हर मोहल्ले में जाकर उन्होंने 10 रुपये के नोट दिए और 10 रुपये के सिक्के लिए. उन्होंने बैंक से भी मदद ली. डॉ वेट्रीवेल के शब्दों में, ‘ये आसान था क्योंकि लोग 10 रुपये के सिक्कों से छुटकारा पाकर खुश थे. मैंने हारूर से ही 60,000 के लगभग सिक्के इकट्ठा किए.’
कार डीलर ने कई बैंक से वेरिफ़ाई किया
सिक्के इकट्ठा करने के बाद, उन्हें प्लास्टिक के थैले में लेकर डॉ वेट्रीवेल कार डीलर के पास पहुंचे. कार डीलर ने कई बैंक से वेरिफ़ाई करने के बाद ही सिक्के लिए और डॉ वेट्रीवेल को कार बेची. India Today से बात-चीत के दौरान डॉ वेट्रीवेल ने ये बताया कि उनकी मां दुकान चलाती हैं और कई कस्टमर्स ऐसे मिलते हैं जो 10 रुपये के सिक्के नहीं लेना चाहते.
डॉ वेट्रीवेल के शब्दों में, ‘बैंक भी कई बार 10 रुपये के सिक्के नहीं लेते. वे कहते हैं कि सिक्के गिनने के लिए लोग नहीं हैं. जब आरबीआई ने कह दिया है कि ये सिक्के नकली नहीं है तब बैंक उन्हें एक्सेप्ट क्यों नहीं करते हैं? शिकायत दर्ज करवाने के बावजूद कोई एक्शन नहीं लिया जाता.