ताइवान के इर्द-गिर्द सैन्य अभ्यास करके क्या चाहता है चीन? एक्सपर्ट्स ने बताई पूरी प्लानिंग

बीजिंग. ताइवान के आसपास चीन के अब तक के सबसे बड़े सैन्य अभ्यास के पीछे का असल मकसद यह है कि जब स्व-शासित द्वीप पर कब्जा करने के लिए युद्ध की स्थिति पैदा हो, तो वह इसकी पूरी तरह से घेराबंदी कर सके. विशेषज्ञों ने एएफपी को यह जानकारी दी. इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि चीन की सेना इस अभ्यास को लेकर काफी उत्साहित है. दरअसल, अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी के ताइवान दौरे से चीन भड़का हुआ है और उसी के जवाब में वह ताइवान के चारों ओर ‘अभूतपूर्व पैमाने’ पर सैन्य अभ्यास कर रहा है. पेलोसी पिछले 25 वर्षों में ताइवान की यात्रा करने वाली अमेरिका की सबसे शीर्ष अधिकारी हैं. चीन ताइवान को अपना क्षेत्र बताता है और विदेशी सरकारों के साथ उसके संबंधों का विरोध करता है.

सरकारी एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, लड़ाकू विमानों, हेलीकॉप्टरों और यहां तक ​​कि युद्धपोतों को जुटाकर अभ्यास का मकसद ताइवान की नाकेबंदी की योजना बनाना और ‘समुद्र में लक्ष्यों पर हमले’ का अभ्यास करना शामिल है. यह पहली बार है जब चीनी अभ्यास ताइवान के इतने करीब हुए हैं, जिसमें कुछ अभ्यास द्वीप के तट से 20 किलोमीटर से भी कम दूरी पर हो रहे हैं. ताइवान के पूर्वी हिस्से में बीजिंग का अभ्यास भी अभूतपूर्व है, जो द्वीप के सैन्य बलों को आपूर्ति के लिए रणनीतिक रूप से काफी अहम क्षेत्र है. इतना ही नहीं, यही वो हिस्सा है जहां से युद्ध की स्थिति में अमेरिका संभावित रूप से ताइवान को सैन्य मदद भेज सकता है. चीन ताइवान को अपने क्षेत्र के हिस्से के तौर पर देखता है और यदि जरूरत पड़ी, तो एक दिन इसे बलपूर्वक अपनी मुख्य भूमि में मिलाने की कसम खाई है.

‘नाकाबंदी योजना’ को लंबे समय से ताइवान पर प्रयास करने और जीतने के लिए चीन की पसंदीदा रणनीतियों में से एक होने का अनुमान लगाया गया था और इस सप्ताह के अभ्यास से पता चला है कि इस द्वीप पर कैसे काबू पाया सकता है. इस तरह की घेराबंदी का उद्देश्य वाणिज्यिक या सैन्य जहाजों और विमानों के किसी भी प्रवेश या निकास को पूरी तरह से रोकना है. लेकिन यह इस क्षेत्र में तैनात अमेरिकी बलों को द्वीप तक पहुंच से भी वंचित करेगा. एक स्वतंत्र चीनी सैन्य टिप्पणीकार, सोंग झोंगपिंग ने एएफपी को बताया, ‘स्पष्ट रूप से चीनी सेना के पास इस तरह की नाकेबंदी लगाने की सभी क्षमताएं हैं.’ उन्होंने कहा, ‘मौजूदा अभ्यास के दौरान हम पहले से ही देख सकते हैं कि ताइवान के लड़ाकू जेट ना तो उड़ान भर सकते हैं और ना ही उनके जहाज अपने बंदरगाहों को छोड़कर कहीं जा सकते हैं.’

यह सैन्य अभ्यास 2016 में चीनी सेना के संचालन के लिए बनाई गई और हाल ही में एक्टिव हुए पीएलए के पूर्वी थिएटर के लिए भी एक महत्वपूर्ण परीक्षा है और जो देश के पूरे पूर्वी समुद्री स्थान की देखरेख करता है – और इसलिए ताइवान भी इसकी रेंज में आता है. ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी में अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के प्रोफेसर जॉन ब्लाक्सलैंड ने एएफपी को बताया कि चीन ने अब तक जो किया है वह उसकी ‘मजबूत क्षमताओं’ को दिखाता है. उन्होंने कहा, “चीन की सेना को किसी तरह से भी कम अनुभवहीन, कमजोर बल के रूप में खारिज नहीं किया जा सकता है. उनके पास स्पष्ट रूप से अपनी भूमि और समुद्र को एक साथ समन्वय करने की क्षमता है. उनके पास मिसाइल सिस्टम तैनात करने की क्षमता है और वे प्रभावी ढंग से कार्य करते हैं.’

चीन ने कहा कि पिछले दो-तीन दिनों में ताइवान के आसपास 100 से अधिक लड़ाकू विमानों और 10 युद्धपोतों ने बड़े पैमाने पर हुए सैन्य अभ्यास में हिस्सा लिया है. चीन की आधिकारिक समाचार एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक, ताइवान के तट के पास छह क्षेत्रों में चलाए जा रहे ‘संयुक्त अवरोध अभियान’ में लड़ाकू विमानों से लेकर बमवर्षक विमानों, विध्वंसक जहाजों और युद्धपोतों तक का इस्तेमाल किया गया. चीनी सेना की पूर्वी थिएटर कमान ने कुछ मिसाइलों के नए संस्करण भी दागे. सैन्य अधिकारियों ने दावा किया कि इन मिसाइलों ने ताइवान जलडमरूमध्य क्षेत्र में अज्ञात लक्ष्यों को ‘पूरी सटीकता’ के साथ निशाना बनाया. इनमें ताइवान के ऊपर से प्रशांत क्षेत्र में दागी गई मिसाइलें भी शामिल हैं.