दिल्‍ली में शराब पर हंगामा क्‍यों है बरपा? एक्‍साइज पॉलिसी की CBI जांच के पीछे की सियासत समझ‍िए

Delhi Excise Policy Row: दिल्‍ली की अरविंद केजरीवाल सरकार और उपराज्‍यपाल के बीच ठन गई है। एलजी ने दिल्‍ली सरकार की नई आबकारी नीति लागू करने में कथित गड़बड़‍ियों की सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं।

नई दिल्ली: सिंगापुर विवाद के बाद उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने दिल्ली सरकार की एक्साइज पॉलिसी लागू करने के मामले में हुई कथित गड़बड़ियों की सीबीआई से जांच कराने की सिफारिश कर दी है। उपराज्यपाल ने इसके लिए चीफ सेक्रेटरी की उस रिपोर्ट को आधार बनाया है, जो 8 जुलाई को भेजी गई थी । इस कदम के बाद दिल्ली में सियासी पारा फिर गरमा गया है। दिल्ली सरकार ने पिछले साल ही अपनी नई एक्साइज पॉलिसी लागू की थी। उपराज्यपाल ने जिस रिपोर्ट को आधार बनाया है, उसमें कहा गया है कि दिल्ली एक्साइज एक्ट और दिल्ली एक्साइज रूल्स का उल्लंघन किया गया। इसके अलावा शराब विक्रेताओं की लाइसेंस फीस भी माफ की गई, जिससे सरकार को 144 करोड़ रुपये के रेवेन्यू का नुकसान हुआ। रिपोर्ट में आबकारी मंत्री की जिम्मेदारी भी निभा रहे उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने वैधानिक प्रावधानों और आबकारी नीति का उल्लंघन किया। इसके साथ ही यह भी कहा गया है कि एक्साइज पालिसी लागू करते हुए कई प्रक्रियाओं का भी पूरी तरह से पालन नहीं किया गया। राजनिवास सूत्रों का कहना है कि इन सभी गड़बड़ियों को देखते हुए ही सीबीआई जांच की सिफारिश करने का फैसला लिया गया।

जेल से नहीं डरते, सिसोदिया पर लगा केस झूठा: केजरीवाल
सीबीआई जांच की सिफारिश किए जाने के बाद सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि हम जेल जाने से नहीं डरते। हम भगत सिंह की औलादें हैं। उन्होंने कहा, ‘सिसोदिया पर लगा केस बिल्कुल झूठा है। मैंने तीन-चार महीने पहले ही बता दिया था कि ये लोग मनीष सिसोदिया को जल्द ही गिरफ्तार करने वाले हैं। मैं उन्हें 22 सालों से जानता हूं। वह कट्टर ईमानदार और देशभक्त आदमी हैं।’ उन्होंने कहा कि दिल्ली में हुए शानदार कामों की चर्चा पूरी दुनिया में हो रही है। ये दिल्ली के कामों को रोकना चाहते हैं। इन्होंने पहले स्वास्थ्य मंत्री को जेल में डाला और अब शिक्षा मंत्री को जेल में डालने जा रहे हैं। वहीं, सिसोदिया ने ट्वीट कर कहा कि जैसे-जैसे ‘आप’ का देशभर में प्रभाव बढ़ेगा, अभी और बहुत झूठे केस होंगे। पर अब कोई जेल केजरीवाल जी और ‘आप’ को नहीं रोक सकते।

हम जेल जाने से नहीं डरते। हम भगत सिंह की औलादें हैं। सिसोदिया पर लगा केस बिल्कुल झूठा है।
अरविंद केजरीवाल

चीफ सेक्रेटरी की रिपोर्ट पर LG का ऐक्‍शन
एलजी ने सीबीआई जांच की सिफारिश चीफ सेक्रेटरी की उस रिपोर्ट के आधार पर की है, जो 8 जुलाई को भेजी गई थी। इस घटनाक्रम के बाद दिल्ली सरकार और एलजी के रिश्तों में तल्खी और बढ़ने की आशंका है। सूत्रों के मुताबिक, सीएम हर शुक्रवार को राजनिवास में एलजी के साथ होने वाली वीकली मीटिंग में भी इस बार शामिल हुए नहीं हुए। इसके पीछे उन्होंने अपने खराब स्वास्थ्य का हवाला दिया। एलजी ऑफिस से मिली जानकारी के अनुसार, चीफ सेक्रेटरी द्वारा भेजी गई रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि पहली नजर में यह जाहिर होता है कि नई एक्साइज पॉलिसी को लागू करने में जीएनसीटी एक्ट-1991, ट्रांजेक्शन ऑफ बिजनेस रूल्स 1993, दिल्ली एक्साइज एक्ट 2009 और दिल्ली एक्साइज रूल्स 2010 का उल्लंघन किया गया है।

साथ ही टेंडर जारी होने के बाद 2021-22 में लाइसेंस हासिल करने वालों को कई तरह के गैरवाजिब लाभ पहुंचाने के लिए भी जानबूझकर बड़े पैमाने पर तय प्रक्रियाओं का उल्लंघन किया गया है। एलजी ऑफिस की तरफ से यह भी स्पष्ट किया गया है कि ट्रांजेक्शन ऑफ बिजनेस रूल्स 1993 के रूल नंबर 57 के तहत चीफ सेक्रेटरी ने यह रिपोर्ट एलजी को भेजी थी। यह रूल कहता है कि पूर्व निर्धारित प्रक्रियाओं के पालन में कोई भी कमी पाए जाने पर चीफ सेक्रेटरी तुरंत उस पर संज्ञान लेकर उसकी जानकारी एलजी और सीएम को दे सकते हैं। यह रिपोर्ट भी इन दोनों को भेजी गई थी।

एलजी ऑफिस के सूत्रों के मुताबिक, रिपोर्ट में सरकार पर नई एक्साइज पॉलिसी को लागू करने के लिए वैधानिक प्रावधानों और आबकारी नीति के उल्लंघन का आरोप है। दावा है कि शराब बेचने का लाइसेंस हासिल करने वालों को टेंडर जारी होने के बाद भी बड़े पैमाने पर गैरवाजिब लाभ पहुंचाने का काम किया गया, जिससे सरकार को भारी नुकसान उठाना पड़ा। रिपोर्ट में एक्साइज विभाग के शराब विक्रेताओं की 144.36 करोड़ रुपये की लाइसेंस फीस माफ किए जाने पर भी गंभीर सवाल उठाए गए हैं।

केजरीवाल सरकार पर क्‍या आरोप है?
आरोप है कि कैबिनेट को भरोसे में लिए बिना तमाम नियमों और प्रक्रियाओं को ताक पर रखकर तमाम निर्णय लिए। यहां तक कि कैबिनेट से यह निर्णय भी पास करवा लिया गया कि अगर पॉलिसी को लागू करने के दौरान उसके मूलभूत ढांचे में कुछ बदलाव करने की जरूरत हो तो आबकारी मंत्री ही वो बदलाव कर सकें। हालांकि, तत्कालीन एलजी ने कैबिनेट के इस फैसले पर सवाल उठाए, जिसके बाद 21 मई को हुई कैबिनेट मीटिंग में यह निर्णय वापस ले लिया गया, लेकिन इसके बावजूद एक्साइज विभाग मनमाने तरीके से लिए गए फैसलों को लागू करता रहा।

बाद में जब लगा कि जांच में ये गड़बियां सामने आ जाएंगी और चीफ सेक्रेटरी ने भी अपने नोट में इनका जिक्र किया, तो आनन-फानन में इन गैरकानूनी फैसलों को कानूनी जामा पहनाने के लिए 14 जुलाई को दोपहर 2 बजे कैबिनेट की एक अर्जेंट बैठक बुलाई गई, जिसका नोटिस खुद चीफ सेक्रेटरी को उसी दिन सुबह 9:32 बजे भेजा गया। कैबिनेट में किन मुद्दों पर चर्चा होने वाली है, उसके संबंध में कोई कैबिनेट नोट भी सर्कुलेट नहीं किया गया, जो कि अपने आप में नियमों का उल्लंघन था। मीटिंग खत्म होने और निर्णय लेने के बाद शाम 5 बजे एलजी सचिवालय को एजेंडा और कैबिनेट नोट प्राप्त हुआ।

इन आरोपों को आधार मानकर एलजी ने की सीबीआई जांच की सिफारिश

  1. आबकारी मंत्री के निर्देश पर एक्साइज विभाग ने एयरपोर्ट जोन के एल-1 बिडर को 30 करोड़ रुपये रिफंड करने का निर्णय लिया, जबकि वह बिडर एयरपोर्ट अथॉरिटीज से जरूरी एनओसी तक नहीं ले पाया था। यह साफतौर से दिल्ली एक्साइज रूल्स 2010 के रूल नंबर 48(11)(b) का उल्लंघन था, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि लाइसेंस लेने के लिए बिडर को सभी औपचारिकताओं को पूरा करना होगा और इसमें असफल रहने पर उसके द्वारा सिक्योरिटी डिपॉजिट के रूप में जमा की गई रकम सरकारी खाते में जमा कर ली जाएगी। लेकिन इस मामले में रकम को जब्त करने के बजाय पैसा लौटा दिया गया।
  2. सक्षम अथॉरिटीज से मंजूरी लिए बिना एक्साइज विभाग ने 8 नवंबर 2021 को एक आदेश जारी करके विदेशी शराब के रेट कैलकुलेशन का फॉर्मूला बदल दिया और बियर के प्रत्येक केस पर लगने वाली 50 रुपये की इंपोर्ट पास फीस को हटा दिया। इस निर्णय ने रीटेल लाइसेंसियों के लिए विदेशी शराब और बियर की कीमत को सस्ता कर दिया, जिससे सरकार को रेवेन्यू का भारी नुकसान झेलना पड़ा। टेंडर जारी होने के बाद भी लाइसेंसधारकों को गैरवाजिब वित्तीय लाभ पहुंचाने के लिए इस तरह के निर्णय लिए जाते रहे।
  3. बिना किसी मजबूत आधार और वास्तविक कारण के तय समय पर लाइसेंस फीस, ब्याज और पेनल्टी नहीं भरने वाले लाइसेंसधारकों के खिलाफ उचित कार्रवाई करने के बजाय एक्साइज डिपार्टमेंट ने टेंडर दस्तावेजों में किए गए प्रावधानों में ही ढील दे दी।
  4. सरकार ने दिल्ली के अन्य व्यवसायियों के हितों को दरकिनार करते हुए केवल शराब बेचने वालों को फायदा पहुंचाने के लिए कोविड के नाम पर उनकी 144.36 करोड़ रुपये की लाइसेंस फीस माफ कर दी, जबकि टेंडर दस्तावेजों में ऐसे किसी आधार पर शराब विक्रेताओं को लाइसेंस फीस में इस तरह की छूट या मुआवजा देने का कहीं कोई प्रावधान नहीं था। गैरवाजिब तरीके से लाइसेंसधारकों को पहुंचाए गए इस लाभ के चलते सरकार को 144.36 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
  5. सरकार ने बिना किसी ठोस आधार या विचार विमर्श और आवश्यकताओं का आकलन किए बिना हर वॉर्ड में शराब की कम से कम दो दुकानें खोलने की शर्त टेंडर में रखी, ताकि टेंडर जारी होने के बाद भी लाइसेंसधारकों को लाभ पहुंचाया जा सके। बाद में एक्साइज विभाग ने सक्षम अथॉरिटीज से मंजूरी लिए बिना और नियमों के खिलाफ जाकर लाइसेंसधारकों को नॉन कन्फर्मिंग वॉर्डों की जगह कन्फर्मिंग एरिया में दो से ज्यादा दुकानें खोलने की इजाजत भी दे दी।
  6. शराब की बिक्री और सेवन को प्रमोट न करने के नियम का उल्लंघन करते हुए दिल्ली सरकार ने अपने चेहेते लाइसेंसधारकों के खिलाफ दिल्ली एक्साइज एक्ट 2009 के सेक्शन-9 के तहत भी कोई कार्रवाई नहीं की, जो सोशल मीडिया, बैनर्स और होर्डिंगों के जरिए खुलकर शराब की बिक्री का प्रचार प्रसार कर रहे थे। यह सब एक्साइज विभाग की भी जानकारी में था, लेकिन उसने भी कोई कार्रवाई नहीं की। शराब का इस तरह का प्रमोशन दिल्ली एक्साइज रूल्स 2010 के रूल नंबर 26 और 27 का भी उल्लंघन है।
  7. लाइसेंस फीस में कोई बढ़ोतरी किए बिना लाइसेंसधारकों को सीधे तौर पर लाभ पहुंचाने के लिए एल-7-जेड और एल-1 लाइसेंसधारकों का ऑपरेशनल पीरियड पहले 1 अप्रैल 2022 से बढ़ाकर 31 मई 2022 तक किया गया और फिर इसे 1 जून 2022 से बढ़ाकर 31 जुलाई 2022 तक कर दिया गया। इसके लिए सक्षम अथॉरिटी यानी कैबिनेट और एलजी से भी कोई मंजूरी नहीं ली गई।

आबकारी नीति पर बीजेपी ने पूछे सीधे सवाल, आज करेंगे प्रदर्शन
नई आबकारी नीति को लेकर डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के खिलाफ सीबीआई जांच की सिफारिश किए जाने के बाद बीजेपी ने सीएम अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी पर सवालों की बौछार कर दी है। नई दिल्ली से बीजेपी सांसद मीनाक्षी लेखी, बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता और दिल्ली विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके केजरीवाल से नई आबकारी नीति से जुड़े कुछ सवालों के जवाब मांगे।

लेखी ने कहा कि अपने नेताओं को ईमानदारी के सर्टिफिकेट बांटने से पहले अरविंद केजरीवाल कुछ सवालों का जवाब दें। उन्होंने पूछा कि 25 अक्टूबर 2021 को एक्साइज विभाग ने शराब बेचने वाली कंपनियों को जो नोटिस दिया था, उस पर आगे क्या कार्रवाई हुई? कोरोना काल में जब लोगों को मदद की सबसे ज्यादा दरकार थी, उस वक्त शराब बेचने वाली कंपनियों को किस आधार पर छूट देकर उनकी 144.36 करोड़ रुपये की लाइसेंस फीस माफ की गई? एल-1 के टेंडर में शामिल एक कंपनी का 30 करोड़ का अर्नेस्ट मनी डिपॉजिट किस आधार पर कंपनी को वापस किया गया? विदेशी शराब और बियर के केन पर 50 रुपए प्रति केन की छूट किस प्रक्रिया के तहत दी गई? एक ब्लैक लिस्टेड कंपनी को दो जोन के ठेके कैसे दिए? कार्टल पर पाबंदी के बावजूद शराब विक्रेता कंपनियों के कार्टल को लाइसेंस कैसे दिए गए?

आदेश गुप्ता ने कहा कि अरविंद केजरीवाल जिस तरह कुछ दिन पहले सत्येंद्र जैन को क्लीन चिट दे रहे थे, वैसी ही क्लीन चिट वह मनीष सिसोदिया को भी दे रहे हैं। उन्होंने पूछा कि क्या शराब माफिया के दबाव में आकर ड्राई डे की संख्या 21 से घटाकर 3 की गई। उन्होंने बताया कि शनिवार को बीजेपी केजरीवाल के घर या दफ्तर पर विरोध प्रदर्शन करेगी। वहीं नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कहा कि हमने विधानसभा में भी इसके खिलाफ कई बार आवाज उठाई, मगर सरकार के पास हमारे सवालों का कोई ठोस जवाब नहीं था। शिकायतकर्ता और दिल्ली बीजेपी के प्रवक्ता हरीश खुराना ने कहा कि नई शराब नीति में बहुत सारी अनियमितताएं हैं और भ्रष्टाचार हुआ है। इनके अलावा बीजेपी सांसद गौतम गंभीर, मनोज तिवारी, प्रवेश वर्मा, रमेश बिधूड़ी के अलावा पार्टी के अन्य नेताओं ने भी इस मुद्दे को लेकर केजरीवाल सरकार पर हमला बोला।

शराब नीति की एलजी द्वारा सीबीआई जांच कराने के आदेश का स्वागत : कांग्रेस
दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष चौ अनिल कुमार ने कहा कि दिल्ली को नशे की राजधानी बनाने वाली दिल्ली सरकार की शराब नीति को लागू करने में हुए घोटाले और भ्रष्टाचार की जांच करने की दिल्ली के एलजी की सिफारिश का प्रदेश कांग्रेस स्वागत करती है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस कार्यकर्ता पहले दिन से ही शराब नीति का विरोध कर रहे हैं, जिसके लिए कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल ने केजरीवाल की शराब नीति में हुए भ्रष्टाचार की जांच कराने के लिए दिल्ली पुलिस आयुक्त को लिखित शिकायत भी की थी। उन्होंने कहा कि सच को छिपाया नहीं जा सकता, सच यही है कि दिल्ली सरकार पूरी तरह से भ्रष्टाचार में लिप्त है।

अनिल कुमार ने कहा कि शराब नीति पर दिल्ली के मुख्य सचिव की रिपोर्ट को आधार बनाकर ही एलजी ने दिल्ली सरकार की शराब नीति के खिलाफ सीबीआई जांच की सिफारिश की है। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट में शराब के ठेकों के लाइसेंस धारियों को अनुचित लाभ पहुंचाने के काम किया गया है और नियमों और आवंटन प्रक्रिया का उल्लंघन करके ठेके आवंटित किए गए हैं। उन्होंने कहा कि 32 जोन में विभाजित राजधानी में 849 ठेके खोलने की बोली निजी संस्थाओं और रिटेल लाइसेंस दिए गए और दिल्ली सरकार ने नियमों को ताक पर रखकर शराब माफिया के साथ मिलकर काम किया। यही नहीं, ब्लैकलिस्टेड कंपनियों तक को टेंडर दिए गए।