राजकुमार राव एक बार फिर से लोगों का दिल जितने के लिए तैयार हैं. इस बार वो जिस शख्स के किरदार में नजर आएंगे, लोगों का दिल जीतने के लिए उसकी खुद की कहानी ही काफी है. इस कहानी के साथ राजकुमार राव के अभिनय का तड़का सोने पर सुहागे से कम नहीं होगा.
राजकुमार राव लेकर आ रहे श्रीकांत बोला की बायोपिक
बता दें कि राजकुमार राव अपनी अगली फिल्म ‘श्री’ की रिलीज डेट का ऐलान कर दी है. इसके साथ ही उन्होंने फिल्म का टीजर भी रिलीज कर दिया गया है. ये फिल्म बायोपिक है उस युवा की जिसने आंखों की रोशनी ना होते हुए भी अपने भविष्य को रोशन किया. हम यहां बात कर रहे हैं दृष्टिहीन मगर सफल बिजनेसमैन श्रीकांत बोला की. राजकुमार राव की आने वाली फिल्म ‘श्री’ श्रीकांत बोला की बायोपिक है. इसमें राजकुमार राव खुद श्रीकांत के किरदार में नजर आएंगे.
फिल्म का दमदार टीजर हुआ रिलीज
इस टीजर के रिलीज होते ही फैंस की श्री को लेकर उत्सुकता और बढ़ गई है. टीजर में बोले जा रहे डायलॉग रोंगटे खड़े करने वाले हैं. इस टीजर वीडियो में राजकुमार राव की आवाज सुनाई दे रही है. जिसमें उन्हें कहते सुना जा सकता है कि, ‘मैं अंधा जरूर हूं, पर मैं देख सकता हूं, सपने और सपने मैं बहुत बड़े देखता हूं.’ इसके साथ उन्होंने कैप्शन में लिखा, ‘श्रीकांत बोला की प्रेरणा देने वाली कहानी ‘श्री’ 15 सितंबर 2023 को रिलीज होने के लिए बिल्कुल तैयार है.’
फिल्म में राजकुमार राव के अलावा अलाया एफ, ज्योतिका और शरद केलकर जैसे सितारे भी अहम किरदारों में नजर आने वाले हैं. तुषार हीरानंदानी के निर्देशन में बनी इस फिल्म को टी-सीरीज और चॉक एन चीज फिल्म्स ने मिलकर प्रोड्यूस किया है. ‘श्री’ की कहानी लिखने वाले हैं सुमित परोहित और जगदीप सिद्धू.
22 साल बाद हिंदी फिल्मों में ज्योतिका की वापसी
बता दें कि इस फिल्म में अहम किरदार में नाज आने वाली ज्योतिका 22 साल बाद हिंदी फिल्मों में दोबारा नजर आने जा रही हैं. इससे पहले उन्हें साल 2001 में फिल्म ‘लिटिल जॉन’ में देखा गया था. भले ही वो सालों से हिंदी फिल्म जगत का हिस्सा नहीं रहीं मगर उन्होंने तमिल, तेलुगू और मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में खूब काम किया. हालांकि ज्योतिका के करियर की शुरुआत हिंदी फिल्म इंडस्ट्री से ही हुई थी. 1998 में उन्होंने ‘डोली सजा के रखना’ फिल्म में काम किया, जिसे दर्शकों ने खूब पसंद किया था.
कौन हैं श्रीकांत बोला?
7 जुलाई 1992 को आंध्र प्रदेश के सीतारामपुरम, मछलीपट्टनम शहर में जन्मे श्रीकांत बोला बचपन से ही दृष्टिहीन हैं. उनके परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद कमज़ोर थी. महीने भर में 1600 रुपये कमाने वाले परिवार में ऐसे दृष्टिहीन बच्चे का जन्म किसी शोक से कम नहीं था. सबने श्रीकांत के परिवार को सलाह दी कि वे उसे मार दें. उन सभी का मानना था कि ये बच्चा दृष्टिहीन होने के कारण किसी काम का नहीं है और बड़ा हो कर परिवार पर बोझ ही बनेगा. हालांकि परिवार ने किसी की बात ना सुनी और फैसला किया कि चाहे जैसे भी हो लेकिन वह अपने बच्चे का पालन पोषण करेंगे.
जिस श्रीकांत को रिश्तेदारों और समाज ने बोझ माना, उन्होंने 2012 में बौलैंट इंडस्ट्री के नाम से एक कंज्यूमर फूड पैकेजिंग कंपनी की शुरुआत की. आज की तारीख में बोलैंट इंडस्ट्रीज ने आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक सहित अपनी 7 यूनिट स्थापित कर ली हैं. पत्तियों और इस्तेमाल किए गए कागज से ईको-फ्रेंडली पैकेजिंग बनाने वाली ये कंपनी 2012 से लगातार 20 प्रतिशत मासिक की दर से विकास कर रही है. आज श्रीकांत की 7 फैक्ट्रियों में हर महीने करोड़ों की सेल होती हैं तथा उनकी कंपनी का टर्न ओवर 200 करोड़ से ज़्यादा है. सितंबर 2017 में ही कंपनी की वैल्यू 413 करोड़ रुपये आंकी गई थी.
2021 में फोर्ब्स ने श्रीकांत को 30 अंडर 30 एशिया की लिस्ट में जगह दी थी. इस लिस्ट में एशिया के उन व्यवसाइयों को जगह मिलती है जो 30 साल से कम उम्र के हैं तथा अपने क्षेत्र में बेहतर कर रहे हैं. इस लिस्ट में केवल तीन भारतीय ही शामिल थे.