देश में मंकीपॉक्स का दूसरा मामला सामने आने के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने विदेश से आने वाले यात्रियों पर निगरानी कड़ी कर दी है. दुबई से केरल के कन्नूर लौटा 31 साल का शख्स भी मंकीपॉक्स की जांच में पॉजिटिव पाया गया है. यह देश में मंकीपॉक्स का दूसरा मामला है. पिछले हफ्ते, केरल में जब पहला मामला सामने आया तो उसके बाद स्वास्थ्य मंत्रालय ने आनन-फानन में केरल के स्वास्थ्य अधिकारियों की सहायता के लिए एक उच्च स्तरीय दल भेजा था.
मंकीपॉक्स वायरस से होने वाली यह बीमारी, जानवरों से मनुष्यों में फैल सकती है. इस साल की शुरुआत से अब तक दुनिया के करीब 60 देशों में इसके 6000 मामले और तीन मौतें दर्ज की जा चुकी हैं.
क्या कहते हैं भारतीय विशेषज्ञ
पिछले हफ्ते एम्स के मेडिसिन विभाग के एडिशनल प्रोफेसर पीयूष रंजन ने बताया कि चिंता की कोई बात नहीं है लेकिन सावधानी रखना बेहद ज़रूरी है क्योंकि यह बच्चों के लिए कोविड-19 से ज्यादा घातक हो सकता है. पीयूष रंजन ने एएनआई को जो जानकारी दी उसके मुताबिक मंकीपॉक्स वायरस को लेकर चिंता की कोई ज़रूरत नहीं है क्योंकि इस वायरस की संक्रामकता काफी कम है, लेकिन यह कोविड वायरस की तुलना में बच्चों के लिए घातक हो सकता है. कोविड-19 वायरस की संक्रामकता ज्यादा है, लेकिन मंकीपॉक्स संक्रमण तब होता है जब कोई संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में लंबे वक्त तक रहता है. उन्होंने कहा कि मंकीपॉक्स के लक्षण काफी हद तक स्मालपॉक्स और चिकनपॉक्स की तरह होते हैं. जिसमें मरीज को शुरुआत में बुखार और लिम्फनोड के बढ़ने की शिकायत होती है, 1-5 दिनों के बाद रोगी के चेहरे, तलवे और हथेलियों पर चकत्ते आ जाते हैं.
किसको है मंकीपॉक्स का खतरा
विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसा कोई भी जिसे मंकीपॉक्स जैसे चकत्ते हों या जिसमें मंकीपॉक्स पॉजिटिव पाया गया हो उसके संपर्क में आने वालों को संपर्क का बहुत ज्यादा खतरा होता है. सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक इस साल जो सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं उनमें पुरुषों के पुरुषों के साथ यौनसंबंध बनाने के दौरान संक्रमण फैलने के मामले ज्यादा हैं. वायरस इस समुदाय के लिए कोई अनोखी बात नहीं है. इसलिए लोगों को यह सलाह दी जा रही है कि अगर वो नए चकत्ते या मंकीपॉक्स जैसे लक्षण देखते हैं तो ऐसे लोगों से दूरी बनाकर रखें.
मंकीपॉक्स के लिए उपचार
सीडीसी के मुताबिक, मंकीपॉक्स के लिए कोई विशेष इलाज नहीं है. क्योंकि यह अनुवांशिक तौर पर स्मॉलपॉक्स के समान है, इसलिए डॉक्टर इस पर वही उपचार कर सकते हैं जो स्मॉलपॉक्स के लिए किया जाता है, जैसे एंटीवायरल दवाएं. विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि मंकीपॉक्स के उपचार में लक्षणों और बीमारी से जुड़ी जटिलताओं के प्रबंधन का प्रयास भी एक जरूरी कदम है.
भारत में कैसी रही प्रतिक्रिया
स्वास्थ्य मंत्रालय ने पिछले हफ्ते मंकीपॉक्स बीमारी से जुड़े दिशानिर्देश जारी किए हैं. इसके साथ ही आमजन के लिए कुछ निर्देश भी जारी किए गए, जिसमें बीमार लोगों और मृत या जंगली जीवों ( चूहे, बंदर) से दूरी बनाकर रखने की बात कही गई है. साथ ही लोगों से कहा गया है कि अगर वह किसी ऐसे व्यक्ति के संपर्क में आते हैं जिसे मंकीपॉक्स है तो वह तुरंत निकटवर्ती स्वास्थ्य केंद्र में संपर्क करें. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने जानकारी दी है कि देश भर में 15 वायरस रिसर्च और डायग्नोस्टिक लैबोरेटरीज को पहले ही आईसीएमआर-एनआईवी, पुणे द्वारा डायग्नोस्टिक टेस्ट में प्रशिक्षित किया जा चुका है ताकि देश में मंकीपॉक्स का पता लगाने में मदद मिल सके.
क्या मंकीपॉक्स के लिए कोई वैक्सीन भी है
कनाडा, यूके और अमेरिका जैसे देशों ने रिंग टीकाकरण चलाया जा रहा है, जिसमें स्मालपॉक्स (चेचक) के टीके लगाना शामिल है. ऐसा माना जा रहा है कि यह मंकीपॉक्स पर प्रभावी हो सकता है. वैज्ञानिकों का मानना है कि इसका वायरस भी चेचक के वायरस से मिलता-जुलता है. इसलिए मंकीपॉक्स के संपर्क में आने वाले को चेचक की वैक्सीन दी जा सकती है.
अब तक न्यूयॉर्क में मंकीपॉक्स के लिए वैक्सीन लगा रहा है. और वहां करीब 21,500 लोगों को वैक्सीन लगाने की योजना है. हालांकि स्थानीय प्रशासन ने वादा किया है कि पूरे राज्य में 30,000 से ज्यादा वैक्सीन लगाए जाएंगे.