देश छोड़ने के मामले में भी भारतीय आगे: 2021 में 1.63 लाख लोगों ने छोड़ी भारतीय नागरिकता

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मेरा देश बदल रहा है…इस वाक्य को भारतीय तेज़ी से सच साबित कर रहे हैं. मज़ाक से इतर रियल ट्रूथ बताएं तो बीते कुछ सालों में भारतीय नागरिकता छोड़ दूसरे देश की नागरिकता लेने वाले भारतीयों की संख्या में भारी बढ़ोतरी हुई है.

2021 में कुल 1,63,370 भारतीयों ने भारतीय नागरिकता छोड़ी   

2021 में कुल 1,63,370 भारतीयों ने भारतीय नागरिकता छोड़ी और दूसरे देशों की नागरिकता ली. 2019 से के बाद ये संख्या सबसे ज़्यादा है. The Times of India की रिपोर्ट के अनुसार, 2019 में 1,44,017 और 2020 में 85,256 भारतीयों ने भारतीय नागरिकता छोड़ कर दूसरे देशों की नागरिकता ली.

गृह मंत्रालय ने जारी किया डेटा

Indians giving up Indian citizenship  

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, गृह मंत्रालय ने एक प्रश्न के उत्तर में संसद के सामने ये डेटा रखा. यूनियन मिनिस्टर ऑफ स्टेट फॉर होम, नित्यानंद राय ने बीते मंगलवार को संसद के सामने ये आंकड़े प्रस्तुत किए. 2021 में 1,63,370 भारतीयों ने भारतीय नागरिकता छोड़ी ये भी बताया गया कि बीते 5 सालों में ये सबसे ज़्यादा है. 2019 से 2021 के बीच 3.92 लाख भारतीयों ने भारतीय नागरिकता छोड़ी. नित्यानंद राय, बहुजन समाज पार्टी के फ़जलुर रहमान के सवाल का जवाब दे रहे धे.

किन देशों में बस रहे हैं भारतीय?

भारतीय नागरिकता छोड़कर किन देशों में बस रहे हैं भारतीय? नित्यानंद राय ने बताया कि भारतीयों ने 103 देशों की नागरिकता ली. इनमें सबसे ज़्यदाा 78,000 भारतीय अमेरिका में बसे. वहीं 21,000 भारतीयों ने कनाडा की, 14,500 ने यूके की नागरिकता ली. 2021 में 23,500 भारतीयों ने भारत थोड़ ऑस्ट्रेलिया में बसने का निर्णय लिया.

संसद के आंकड़ों के अनुसार, 2015 से 2021 के बीच कुल 9,32,276 भारतीयों ने भारत की नागरिकता छोड़ी. नागरिकता छोड़ने के कारण पर गृह मंत्रालय ने कहा कि निजी कारणों से भारतीयों ने ये निर्णय लिया.    

कुछ दिनों पहले खबर आई थी कि कोरोना काल में बहुत सारे धनकुबेर देश छोड़ कर यूएई, यूरोप, कनाडा और अमेरिका जैसे देशों में चले गए. ऐसे आमीरों के देश छोड़ने की कई वजहों में से एक बड़ी वजह COVID को बताया गया, लेकिन 2022 में भी देश छोड़ किसी अन्य देश में बसने का ये चलन जारी है. 

दुनिया भर में निजी धन और निवेश इमीग्रेशन के ट्रेंड को ट्रैक करने वाली हेनले ग्लोबल सिटीजन्स रिपोर्ट में  हाई-नेट-वर्थ इंडिविजुअल की ग्रोथ के आंकड़ों के पूर्वानुमान के अनुसार, भारत में आगले दस साल की अवधि के दौरान डॉलर के करोड़पतियों और अरबपतियों की संख्या में 80 प्रतिशत की वृद्धि होगी. वहीं अमेरिका में ये वृद्धि दर मात्र 20% है. वहीं फ्रांस, जर्मनी, इटली और ब्रिटेन में इसका प्रतिशत मात्र 10 होगा. इसके बावजूद इस साल भारत से लगभग 8,000 धनकुबेरों के देश छोड़ने का अनुमान है.