पटना. बिहार में राजनीति का अपराध से पुराना नाता रहा है. इसकी बानगी हर चुनाव के अलावा सरकार के गठन और मंत्रिमंडल तक में देखने को मिलती है. मंगलवार को भी कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला. दरअसल नीतीश कुमार की अगुवाई वाली महागठबंधन की सरकार का विस्तार मंगलवार को हुआ. इस दौरान 31 मंत्रियों ने पद एवं गोपनीयता की शपथ ली. पद एवं गोपनीयता की शपथ लेने वाले मंत्रियों में कुछ ऐसे चेहरे भी हैं जिनका अपराध जगत से पुराना नाता रहा है.
ऐसे ही चेहरों में दो नाम सबसे ऊपर हैं. पहला नाम राजद के विधायक और मगध इलाके में बाहुबली कहे जाने वाले सुरेंद्र यादव का है जबकि दूसरा नाम बसपा छोड़कर जेडीयू के विधायक और फिर मंत्री बने जमा खान का. इन दोनों के अपराध की कुंडली काफी लंबी और पुरानी है.
नीतीश कुमार की नई कैबिनेट में शामिल सुरेंद्र यादव की छवि एक दबंग नेता के रूप में है. मूल रूप से गया जिला से आने वाले सुरेंद्र का प्रभाव पूरे मगध क्षेत्र यानी गया से सटे जहानाबाद, अरवल और औरंगाबाद में भी है. राजनेता बनने से पहले सुरेंद्र यादव की पहचान एक दबंग और बाहुबली के रूप में इलाके में थी. सुरेंद्र यादव पहले लालू यादव के करीबी थे और अब वो तेजस्वी यादव के भी करीबी हैं, इसका कारण इलाके में उनका वर्चस्व और पिछले 30 साल से बेलागंज से विधायक होना है.
सुरेंद्र यादव इस इलाके से दो बार जनता दल और पांच बार आरजेडी से यानी सात बार विधायक रहे हैं. वो सांसद भी रह चुके हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक सुरेंद्र यादव के खिलाफ हत्या के प्रयास, दंगा करने और आपराधिक साजिश रचने समेत कई संगीन आरोप लग चुके हैं और कई केस भी दर्ज हैं. 2005 में चुनाव के दौरान बूथ लूटने का आरोप भी सुरेंद्र यादव पर लगा था.
जेडीयू कोटे से मंत्री बने जमा खान की छवि बिहार और यूपी सीमा से सटे इलाकों में दबंग नेता के रूप में होती है यही कारण है कि जमा खान के उपर एक दो नहीं बल्कि 24 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज हैं. हालांकि इनमें से अधिकांश मामलों में वो बेल पर हैं और इन आपराधिक मामलों का जिक्र जमां ने अपने हलफनामें में भी किया था.
चैनपुर विधायक पर कई सारे गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं. उनके चुनावी हलफनामे के मुताबिक ही उन पर हत्या का प्रयास, हिंसा भड़काने समेत दर्जन भर से ज्यादा मुकदमे दर्ज हैं. जमा खान के खिलाफ भभुआ कोर्ट ने 2007 में आर्म्स एक्ट की धारा-27 और आईपीसी की धारा-147, 148, 149, 323, 324, 307 के तहत आरोप तय किया था. इसके अलावा चैनपुर थाने में भी उनके खिलाफ केस दर्ज हैं. कैमूर जिले के ही अलग-अलग थानों में जमा खान के खिलाफ केस दर्ज हैं. 2020 में जमा खान ने बीएसपी से चुनाव लड़ा और जीतने के बाद विधायक बने. बाद में बीएसपी को छोड़कर जेडीयू में शामिल हो गए।