नूपुर शर्मा और नवीन कुमार पर कार्रवाई के बाद बीजेपी में हलचल, वरिष्ठ नेता क्या कह रहे- प्रेस रिव्यू

नूपुर शर्मा

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अंग्रेज़ी अख़बार इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक़ दिल्ली बीजेपी के कुछ नेता भले ही नूपुर शर्मा और नवीन कुमार पर पार्टी की कार्रवाई से ख़फ़ा दिख रहे हों लेकिन बीजेपी के कई वरिष्ठ नेताओं का कहना है पैग़ंबर मोहम्मद को लेकर की गई विवादित टिप्पणी पर दोनों प्रवक्ताओं को पार्टी से निलंबित और निष्कासित करने का फैसला ‘अच्छा और ठीक तरह से सोच-समझकर लिया गया फैसला है’.

अख़बार लिखता है कि वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि पार्टी मोदी सरकार की आठवीं सालगिरह के समारोह ” गरीब कल्याण कार्यक्रमों का प्रदर्शन” के लिए अपनी गतिविधियों में व्यस्त थी, और इस बीच पार्टी राष्ट्रीय प्रवक्ता नूपुर शर्मा और दिल्ली बीजेपी की मीडिया सेल के प्रमुख नवीन कुमार जिंदल दोनों ने इस तरह की बयानबाज़ी की. इससे पहले भी ये नेता पैगंबर और इस्लाम के खिलाफ़ टिप्पणियां कर रह थे और पार्टी के केंद्रीय कार्यालय की तमाम चेतावनियों के बावजूद इस तरह के बयान दिए जा रहे थे.

अख़बार से बात करते हुए एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “इस पर पार्टी की राय स्पष्ट है, प्रधानमंत्री ने विकास पर एक नैरेटिव गढ़ा और पार्टी की भूमिका उस पर काम करने और उसे समर्थन देने की है. इस प्रक्रिया को नुकसान पहुंचाने वाली कोई भी चीज़ अनुशासनहीनता मानी जाएगी.”

उन्होंने कहा, “राष्ट्रीय मीडिया के लिए पार्टी की प्रवक्ता होने के नाते, नूपुर शर्मा को पता होना चाहिए कि बीजेपी अपना एजेंडा और कथन ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास’ के इर्द-गिर्द सेट करती है. उनकी टिप्पणियों और जिंदल के ट्वीट पर विवाद ने न केवल हमारे विकास के एजेंडे को चोट पहुंचाई है बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सरकार और प्रधानमंत्री की छवि को भी नुकसान पहुंचाया है.”

बीजेपी के दोनों प्रवक्ताओं की ओर से पैग़ंबर मोहम्मद को लेकर की गई आपत्तिजनक टिप्पणी के मामले में क़तर, कुवैत, ईरान, बहरीन, मालदीव, सऊदी अरब, जैसे तमाम मध्य-पूर्व एशियाई देशों ने तीखी प्रतिक्रिया दी और कई देशों ने भारतीय राजदूतों को तलब किया.

  • नूपुर शर्मा की पैग़ंबर पर टिप्पणी से नाराज़ क़तर बोला- ‘माफ़ी माँगे भारत’, भारत ने क्या कहा
  • पैग़ंबर मोहम्मद पर बीजेपी प्रवक्ताओं के बयान पर क्या बोला अरब मीडिया

भारत पर बढ़ते कूटनीतिक दबाव के बीच भारतीय जनता पार्टी ने रविवार को दोनों नेताओं के ख़िलाफ़ क़दम उठाया था. क़तर के भारतीय राजदूत ने अपने बयान में सत्तारूढ़ पार्टी के प्रवक्ताओं को ‘फ्रिंज एलिमेंट’ बताया और कहा कि ये भारत सरकार और बीजेपी की राय को परिलक्षित नहीं करते.

नूपुर शर्मा

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वहीं अंग्रेज़ी अख़बार द हिंदू लिखता है कि नूपुर शर्मा के निलंबन और और नवीन कुमार जिंदल के निष्कासन ने बीजेपी के भीतर हलचल पैदा कर दी है.

दोनों नेताओं को लेकर हलचल सिर्फ सोशल मीडिया पर ही नहीं दिख रही है बल्कि जिस तरह से दोनों नेताओं पर कार्रवाई की गई है उसे लेकर संगठन के बीच काफ़ी चर्चा है.

बीजेपी के एक पदाधिकारियों ने द हिंदू से बात करते हुए माना कि नूपुर शर्मा की टिप्पणी और उनके निलंबन के बीच नौ दिनों का अंतराल था और मध्य-पूर्व देशों में विरोध के बाद ही पार्टी ने कार्रवाई की.

पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, “मूल रूप से, जब तक यह एक अंतरराष्ट्रीय मुद्दा नहीं बन जाता, हम कोई कार्रवाई नहीं करने वाले थे. इससे पता चलता है कि निलंबन का ये फैसला नेकनीयती के साथ नहीं लिया गया और हम पर दबाव डालकर फ़ैसला करवाया जा सकता है.”

सुप्रीम कोर्ट

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  • कश्मीर में फिर से निशाने पर पंडित, डर से शुरू हुआ पलायन
  • कश्मीर में अल्पसंख्यकों की हत्या पर नाराज़गी, जम्मू में प्रदर्शन
  • कश्मीर में केमिस्ट माखन लाल समेत तीन हत्याओं से बढ़ा डर

उपासना कानून के मामले में सुप्रीम कोर्ट पहुँचा जमीयत

द हिंदू में छपी ख़बर के अनुसार, जमीयत उलमा-ए-हिंद ने सुप्रीम कोर्ट का रुख कर एक याचिका को खारिज करने की मांग की है, जो उपासना स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम 1991 की वैधता को चुनौती देती है. उपासना स्थल कानून के मुताबिक़ किसी भी धार्मिक स्थान का रूपांतरण नहीं किया जा सकता.

उलेमा वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय की ओर से 1991 के इस अधिनियम के खिलाफ दायर याचिका में हस्तक्षेप चाहता है.

उलेमा के आवेदन में कहा गया है, “कई मस्जिदों की एक सूची है जो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है, यह आरोप लगाए जा रहे हैं कि इन मस्जिदों का निर्माण कथित रूप से हिंदू पूजा स्थलों को नष्ट कर किया गया था.”

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कश्मीर में एक साल में 22 लोगों की टारगेट किलिंग

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बातें उन मुश्किलों की जो हमें किसी के साथ बांटने नहीं दी जातीं…

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इंडियन एक्सप्रेस के एक डेटा रिपोर्ट के मुताबिक़ इस साल जम्मू-कश्मीर में टारगेटेड अटैक के 20 मामले जिसमें ज्यादातर निशाना अल्पसंख्यकों प्रवासियों और सुरक्षा कर्मियों को बनाया गया था उसमें 22 लोगों की हत्या की गई.

जवाबी कार्रवाई में इनमें से 14 हमले में शामिल चरमपंथियों या उनके कथित सहयोगियों को पुलिस ने या तो मार गिराया या गिरफ्तार किया.

इन 20 हमलों में मारे गए 22 लोगों में एक कश्मीरी पंडित सरकारी कर्मचारी, राजपूत समुदाय का एक सदस्य, चार प्रवासी और पंचायत स्तर के चार नेता शामिल हैं.

मारे गए लोगों की सूची में चार पुलिसकर्मी, सेना का एक जवान, सीआरपीएफ़ के दो जवान, रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के दो जवान और तीन स्थानीय निवासी भी शामिल हैं.

ये डेटा हमलों के भौगोलिक प्रसार को भी दिखाता है. मध्य कश्मीर में 10 लोग मारे गए, जिसमें बडगाम में सात और श्रीनगर में तीन हत्याएं हुईं. दक्षिण कश्मीर में 10, कुलगाम में पांच, पुलवामा में तीन और अनंतनाग और शोपियां में एक-एक और उत्तरी कश्मीर के बारामूला में दो हत्याएं की गईं.

छह अनसुलझे हत्या के मामलों में हाल ही में हुए दो दिनों में तीन हमलों किए गए और तीन लोगों की हत्याएं हुईं. इसमें जम्मू की एक महिला शिक्षक, राजस्थान के एक बैंक मैनेजर और बिहार का एक प्रवासी मज़दूर शामिल है.