चंडीगढ़. पंजाब में फिरौती और रंगदारी मांगने के मामलों में गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ में बड़ा खुलासा हुआ है. अंतरराज्यीय जबरन वसूली गिरोह के सदस्यों ने हाल के दिनों में डॉक्टरों, राजनेताओं और व्यापारियों से पैसे वसूलने के बाद उसे ठिकाने लगाने के लिए लगभग 150 बैंक खाते खुलवाए थे. ये खाते दिल्ली, मुंबई और कोलकाता जैसे मेट्रो शहरों सहित पूरे देश में शाखा वाले विभिन्न बैंकों में खोले गए थे. हालांकि पंजाब पुलिस ने दूसरे राज्यों की पुलिस की मदद से इनमें से अधिकांश खातों को अब फ्रीज करवा दिया है और बाकी खातों की जांच चल रही है.
प्रसिद्ध पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की दिन दहाड़े हत्या के बाद हाल के दिनों में अमृतसर पुलिस के पास रंगदारी की शिकायतों का ढेर लग गया था. पीड़ितों में व्यापारी, डॉक्टर और यहां तक कि राजनेता भी शामिल हैं. इससे चिंतित होकर शहर पुलिस ने एक विशेष जांच दल का गठन किया, जिसमें अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त प्रभजोत सिंह विर्क और सहायक पुलिस आयुक्त वरिंदर सिंह खोसा भी शामिल हैं.
पुलिस ने जबरन वसूली के मामले में बिहार के दो निवासियों की गिरफ्तारी की थी. बिहार के सिसवा मौजे गांव के प्रिंस कुमार और पूर्वी चंपारण जिले के लुकारियान तहसील के सेवाराहन गांव के विकास कुमार की गिरफ्तारी हुई थी. इनसे मोबाइल फोन और फर्जी आईडी बरामद की गई थी. जांच में पता चला कि साइबर अपराधी फिरौती के लिए कॉल कर रहे थे, जो गैंगस्टर बनकर डॉक्टरों से रंगदारी वसूलने की कोशिश कर रहे थे.
जांच के लिए पुलिस टीम बिहार रवाना
जांच दल का नेतृत्व करने वाले पुलिस उपायुक्त मुखविंदर सिंह भुल्लर के हवाले से द ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 150 बैंक खातों में से आधे बैंक खातों को दिल्ली में अपने समकक्षों की मदद से पुलिस ने फ्रीज कर दिया है. उन्होंने कहा कि शेष बैंक खातों की जांच अभी जारी है. एएसआई मल्कियत सिंह के नेतृत्व में चार पुलिसकर्मियों की एक टीम को अन्य आरोपियों का पता लगाने और गिरफ्तार करने के लिए बिहार भेजा गया है. उन्हें ट्रांजिट रिमांड पर अमृतसर लाया जाएगा और आगे की पूछताछ के लिए उनकी पुलिस हिरासत की मांग करते हुए अदालत में पेश किया जाएगा.
पाकिस्तान से जुड़े हैं आरोपियों के तार
पुलिस उपायुक्त भुल्लर ने कहा कि आरोपियों के देश के अन्य हिस्सों के अलावा पड़ोसी देश पाकिस्तान से भी संबंध थे. उनके तौर-तरीकों के बारे में उन्होंने कहा कि वे एक व्हाट्सएप आईडी बनाते थे और फिर इंटरनेट के जरिए कॉल करते थे. वे कुख्यात गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई, गोल्डी बराड़ और जग्गू भगवानपुरिया के सहयोगी के रूप में अपनी पहचान बनाते थे. मूसेवाला हत्याकांड की जांच के दौरान पंजाब पुलिस ने बिश्नोई और भगवानपुरिया को गिरफ्तार किया था. साइबर जालसाजों ने इसका फायदा उठाया और इंटरनेट पर पीड़ितों के कॉन्टैक्ट नंबर ढूंढ़कर जबरन वसूली करने लगे.