चंडीगढ़. पंजाब की फरीदकोट सेंट्रल जेल में हर दूसरा कैदी नशे आदी है. हाल ही में जेल में 45 प्रतिशत कैदियों के ड्रग्स के लिए किए गए डोप टेस्ट पॉजिटिव पाए गए हैं. जेल में कुल 2,333 कैदियों में से 1,064 स्वास्थ्य विभाग द्वारा किए गए डोप टेस्ट में फेल हो गए हैं. 155 महिला कैदी भी नशे की आदी पाई गई हैं. पॉजिटिव पाए गए 1,064 कैदियों में से 725 का जेल के आउट पेशेंट ओपिओइड असिस्टेड ट्रीटमेंट (OOAT) नशा मुक्ति केंद्र में इलाज चल रहा है. पिछले महीने राज्य सरकार ने राज्य भर की जेलों में बंद कैदियों के बीच मादक द्रव्यों के सेवन के निदान के लिए एक ड्रग स्क्रीनिंग अभियान शुरू किया था. सिविल सर्जन का कहना है कि हम कई अन्य कैदियों को चिकित्सा सेवाएं देने जा रहे हैं, जिनकी ड्रग टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव पाई गई है.
एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले कुछ सालों में फरीदकोट जेल में 70 से ज्यादा कैदियों की मौत हो चुकी है. जहां कुछ की मौत आत्महत्या से हुई, वहीं कुछ की मौत विभिन्न बीमारियों से हुई है. सूत्रों का कहना है कि मौतों का मुख्य कारण नशीली दवाओं का दुरुपयोग है. माना जाता है कि नशा करने वालों के बीच सिरिंज के आदान-प्रदान से हेपेटाइटिस वी जैसी बीमारियों में वृद्धि हुई है. अधिकांश आत्महत्या के मामलों में यह माना जाता है कि नशीली दवाओं की सीमित आपूर्ति नशा करने वालों को आत्महत्या के लिए प्रेरित करती है. कई जेल स्टाफ सदस्यों को पिछले वर्षों में यहां कैदियों को ड्रग्स की आपूर्ति करने में उनकी कथित भूमिका के लिए गिरफ्तार किया गया था. दो दिन पहले मोगा पुलिस के एक एएसआई को यहां जेल में नशीला पदार्थ सप्लाई करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.
एसडीएम दे चुके हैं राज्य सरकार को रिपोर्ट
कुछ समय पहले, राज्य सरकार को सौंपी गई अपनी जांच रिपोर्ट में एसडीएम कोटकपूरा ने कहा था कि जेल के भीतर आत्महत्या के मामलों में वृद्धि की उत्पत्ति मादक पदार्थों की लत में हुई थी. जांच रिपोर्ट से पता चला था कि जेल में नशेड़ियों की आसानी से पहुंच थी. एसडीएम ने आरोप लगाया था कि जेल कर्मचारियों की मिलीभगत के बिना ड्रग्स परिसर में प्रवेश नहीं कर सकते.